अच्छे कर्म व सुविचारों से इसी जन्म में स्वर्ग की होती है अनुभूति:माताश्री मंगला जी


भानु प्रकाश नेगी,हंस लोक आश्रम नई दिल्ली
माता श्री राजराजेश्वरी की जयंती के शुभ अवसर पर 5 व 6 अप्रैल को छतरपुर नई दिल्ली हंस लोक आश्रम में लोककल्याण सत्संग व विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर हंस फाउंडेशन की संस्थापक माता श्री मंगला ने प्रवचन दिए,व संत भोले जी महाराज ने भजन गाकर भक्तो को भाव विभोर कर दिया।
माता श्री मंगला ने प्रवचन के दौरान कहा कि,भगवान की भक्ति करने वाला यही शरीर है।अच्छे कर्म व अच्छे विचारों सें इसी जन्म में स्वर्ग की अनुभूति की जा सकती है।सत्संग में तन व मन से बैठने पर अंर्तदशा हो है। मिलता है।सत्संग हमें अन्धेरे से ज्ञान की ओर ले जाता है।सत्संग ज्ञान की गंगा है,जिसमें डुबकी लगानी पड़ती है।
हमारा सौभाग्य है कि हम सब मिलकर माता श्री राजेश्वरी की जयंती मना रहे हैं।उनके सत्संग की दया दृष्टि अविरल रूप से बहती रहती थी।जब ह्रदय में चोट लगती है तभी जीवन में बदलाव आता है।आप सबको माताश्री की कृपा से ही इतनी सेवा दे पा रहे है।संत महात्मा सत्संग से ही सोयी आत्मा को जागृति करते है।आज जो फसल बोयेगे वही कल काटेंगे।आज हमारे देश में नशा समाज को गलत दिशा में भटका रहा है नशे से मानव अपने शरीर व आत्मा का नाश कर रहा है।इसे सत्संग से बचाया जा सकता है।माताश्री से यही प्रार्थना है कि जन-जन को सद्बुद्धि दे।
कार्यक्रम के दौरान दूसरे दिन सुबह के समय सभी भक्तो ने संत भोले जी महाराज,माताश्री मंगला जी व सांखेय जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त कर प्रसाद ग्रहण किया इससे पहले नेपाल से आये भजन मंडली ने नेपाली में भजन कीर्तन कर सबको आकर्षित किया।सत्संग के दौरान सुमधुर भजनों से सभी भक्तों को भाव विभोर कर दिया।सत्संग के बाद भोजन काल में नेपाली भजन मंडली व उत्तराखंड उत्तरकाशी मोरी ब्लाक से आये भक्तों
ने परम्परागत भेष भूषा में तांदी लोक नृत्य कर माता श्री राजेश्वरी के जयंती पर खुशी जताई। सत्संग में देशभर से आये भक्तों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया। जहां डॉक्टरी सलाह के बाद निःशुल्क दवाओ का भी वितरण किया गया।
सत्संग कार्यक्रम में देशभर से आये भक्तों के विविध रंग भी दिखाई दिये
कार्यक्रम के दूसरे दिन वरिष्ठ उद्योगपति वह समाजसेवी मनोज भार्गव ने अपने संबोधन में कहा की गुरू की कृपा से जीवन में शांति व सुख का असली एहसास होता है इस दौरान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहां की जिनका उद्देश्य लोगों के कष्टों को दूर करना हो वह करुणामई माता मंगला जी है। पवित्र आत्मा में से निकली आवाज परमात्मा तक जाती है आत्मा की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी है। वही संत राजा जी ने कहा की अहंकार और क्रोध का मन में होने से सारा जीवन अंधकार में हो जाता है। सत्संग भजन हो अपने अंदर ग्रहण करना जरूरी है।
जनकल्याणकारी सत्संग के दूसरे दिन करुणामई माता मंगला ने अपने प्रवचन में कहा की पर्व की बनाई हुई हमारी मजबूत काया भी इस संसार से एक दिन समाप्त हो जाती है तो यह मोह माया की सम्पत्ति उसके आगे कुछ भी मायने नही रखती।बहुत मुश्किल से मानव काया इस चराचर जगत में मिलती है उसमें भी अगर सद्बुद्धि व सद्भावना न हो तो यह मानव जीवन व्यर्थ हो जाता है।
कार्यक्रम में देशभर भर से पंहुचे भक्तों के विविध रंग भी दिखाई दिये।कार्यक्रम की सम्पति से पहले गुरूमाता व गुरूजी महाराज की भक्तों ने आरती उतारी।
प्रसाद वितरण के दौरान पूरे भारत की विविधता की झलक दिखाई दी जिसमें गुजराती,पंजाबी,हिमाचली,उत्तराखंडी,भोजपुरी आदि प्रदेश के लोग एक साथ प्रसाद वितरित करते दिखाई दिये।
कार्यक्रम के दूसरे दिन वरिष्ठ उद्योगपति वह समाजसेवी मनोज भार्गव ने अपने संबोधन में कहा की गुरू की कृपा से जीवन में शांति व सुख का एहसास होता है ।इस दौरान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि जिनका उद्देश्य लोगों के कष्टों को दूर करना हो वह करुणामई माता मंगला जी है। पवित्र आत्मा में से निकली आवाज परमात्मा तक जाती है। आत्मा की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी है। वही संत राजा जी ने कहा कि अहंकार और क्रोध को मन में रखने से सारा जीवन अंधकार मय हो जाता है। सेवा, सत्संग, भजन को अपने अंदर ग्रहण करना जरूरी है।
जनकल्याणकारी सत्संग के दूसरे दिन करुणामई माता मंगला ने अपने प्रवचन में कहा की प्रभु की बनाई हुई हमारी मजबूत काया भी इस संसार से एक दिन समाप्त हो जाती है, यह मोह माया की सम्पत्ति उसके आगे कुछ भी मायने नही रखती।बहुत मुश्किल से मानव काया इस चराचर जगत में मिलती है, उसमें भी अगर सद्बुद्धि व सद्भावना न हो तो यह मानव जीवन व्यर्थ हो जाता है।
कार्यक्रम में देशभर भर से पंहुचे भक्तों के विविध रंग भी दिखाई दिये।कार्यक्रम की समापन्न से पहले गुरूमाता व गुरूजी महाराज की भक्तों ने आरती उतारी।
प्रसाद वितरण के दौरान पूरे भारत की विविधता की झलक दिखाई दी जिसमें गुजराती,पंजाबी,हिमाचली,उत्तराखंडी,भोजपुरी आदि प्रदेश के लोग एक साथ प्रसाद वितरित करते दिखाई दिये।