राजाजी टाईगर रिज़र्व में आये वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व टीम का तीन दिवसीय प्रशिक्षण पूर्ण
राजाजी के पशुचिकित्सक डॉ राकेश नौटियाल द्वारा टाइगर मॉनिटरिंग को लेकर किए जा रहे प्रयासों को विस्तृत रूप से वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व टीम को समझाया गया। उन्होने बताया कि वीटीआर से आयी 15 सदस्यों की टीम को दो समूह में बाँटा गया तथा आरटीआर की अलग अलग क्षेत्रों जैसे मोतीचूर, बेरीवाड़ा, धौलखंड, चीलावाली आदि का भ्रमण कर टाइगर ट्रांसलोकेशन व मॉनिटरिंग के लिए किए जा रहे कार्यों, मानव वन्यजीव संघर्ष , रेलवे ट्रैक पेट्रोलिंग आदि की विस्तृत जानकारी दी गई।
मोतिचूर के क्षेत्राधिकारी महेश सेमवाल ने मोतीचूर-चीला हाथी गलियारे पर बने अंडरपास की महत्ता और उपयोगिता को
समझाते हुए बताया कि ना केवल हाथी बल्कि अन्य छोटे बड़े वन्यजीव भी आरटीआर के पूर्वी से पश्चिमी भूभाग में विचरण करने
के लिए इस अंडरपास का उपयोग करते है। मोतिचूर रेंज में बने टाइगर बाड़े का भी दौरा किया तथा टाइगर ट्रांसलोकेशन में
इसकी महत्ता को समझा।
वीटीआर की टीम टाइगर मॉनिटरिंग के लिए समर्पित आरटीआर व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की संयुक्त टीम से भी मिली तथा उनकी
प्रतिदिन की कार्य प्रणाली को समझा। टीम का नेतृत्व कर रहे डिप्टी रेंजर महींद्र गिरी ने रेडियो टेलीमेट्री व टाइगर पगमार्क के
द्वारा टाइगर मॉनिटरिंग के गुर वीटीआर टीम को सिखाये।
वीटीआर टीम ने बताया कि उनके लिए राजाजी में प्रशिक्षण का अनुभव बहुत प्रभावशाली रहा। वीटीआर तथा आरटीआर की
भौगोलिक संरचना काफ़ी सीमा तक समान है जिस कारण राजाजी में किए गये सफल प्रबंधन प्रयासों का अनुसरण वाल्मीकि में
किया जा सकता है। निदेशक आरटीआर डॉ साकेत बडोला ने इस तीन दिवसीय सफल प्रशिक्षण के लिए राजाजी के फील्ड
स्टाफ की प्रशंसा की तथा भविष्य में इस तरह के और प्रशिक्षणों का आयोजन कराये जाने की बात कही।
इस प्रशिक्षण हेतु उपनिकेशक राजाजी महातिम यादव, वन्यजीव प्रतिपालक हरीश नेगी, सहायक वन संरक्षक अजय लिंगवाल
और सरिता भट्ट, सभी क्षेत्राधिकारी व फ़ील्ड स्टाफ के साथ साथ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के डॉ बोपन्ना, विक्रम तोमर आदि का योगदान
रहा।
https://youtu.be/50HOrHA_UrM?si=cbNEMHZMUMNOMNqH