भानु प्रकाश नेगी
देहरादून :देशभर में कोरोना संक्रमण की दूसरी रफ्तार के कहर के साथ- साथ ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइकोसिस संक्रमण से दहशत का माहौल बना हुआ है।यूं तो ब्लैक फंगस नई बीमारी नहीं है लेकिन चिकित्सकों के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण से रिकवर हुए मरीजों में इस फंगस के संक्रमण का खतरा लगातार बना हुआ है। ब्लैक फंगस के संक्रमण की भयावहता को देखते हुए राज्य सरकार ने इससे महामारी घोषित किया है। हालांकि राज्य सरकार इस महामारी को रोकने का पूरा प्रयास कर रही है।
क्या है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस जीव श्रृंखला का पहला जीव माना जाता है। आमतौर पर मिट्टी, खाने- पीने की वस्तुओं के सड़ने, गर्मी व आद्रता में जल्दी पनपने वाला फफूंद है। लेकिन वर्तमान समय में कोविड मरीजों के ऑक्सीजन मास्क में पनपने से यह अधिक फैल रहा है। देशभर के विभिन्न राज्यों में ब्लैक फंगस के मरीजों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है । जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश मैं सर्वाधिक मरीज संक्रमित हुए हैं।
क्यों नुकसानदायक हो रहा है ब्लैक फंगस ?
ब्लैक फंगस संक्रामक रोग है जो म्यूकर नामक फंगस की वजह से होता है। आमतौर पर यह वायरस हवा, धूल, मिट्टी में पाया जाता है। स्वस्थ इंसान के नाक व बलगम में भी यह वायरस होता है। आमतौर पर यह वायरस हमें नुकसान नहीं पहुंचाता है क्योंकि हमारा इम्यून सिस्टम इसे रोक कर सकता है ।कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है इसलिए यह उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है। कोरोना संक्रमण काल से पहले देशभर में ब्लैक फंगस के सिर्फ 8 से 10 मामले प्रतिवर्ष होते थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में यह मामले 7 हजार के पार पहुंच चुके हैं।इस वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए एपिडेमक डिजीज एक्ट 1897 के तहत सभी राज्यों के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों का इससे जुड़े मामलों को रिपोर्ट करने के आदेश केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए हैं ।अब तक 8 राज्य इसे नोटिफाइड डेट डिजीज में डाल चुके हैं।
कोरोना संक्रमित रिकवर मरीजों को है ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा।
चिकित्सकों के अनुसार ब्लैक फंगस संक्रमण का खतरा कोरोना संक्रमण के बाद ठीक हुए मरीजों के साथ -साथ शरीर की अन्य गंभीर बीमारियों में लगातार दवाओं का सेवन करने वाले मरीजों को सबसे ज्यादा है ।क्योंकि कोरोना संक्रमण के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है ।जिससे ब्लैक फंगस का संक्रमण तेजी से बढ़ने का खतरा बना रहता है ब्लैक फंगस नाक से शुरू होने के बाद आंख व दिमाग में पहुंचता है ।डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फंगस ज्यादा खतरनाक है, जिन मरीजों की डायबिटीज अनियंत्रित होती है साथ ही उन्हें कोरोना वायरस संक्रमित हुए है।आईसीएमआर के अनुसार जिन मरीजों की अंग की सर्जरी व ब्लैक फंगस का इंफेक्शन हो जाता है।कोरोना संक्रमण के दौरान जिन मरीजों डॉक्टरी सलाह के बिना स्ट्राइड दवा का ज्यादा सेवन किया हो उन्हें ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा खतरा है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार कोविड संक्रमित होने के कम से कम 6 दिन के बाद ही स्ट्राइड दवाइयां लेनी चाहिए लेकिन icmr की गाइडलाइन की अनदेखी के चलते कोविड 19 से संक्रमित होने वाले मरीज दूसरे दिन से ही स्ट्राइड दवाएं लेना शुरू कर रहे ।एक अध्ययन के अनुसार कोरोना के 80% मरीजों को स्ट्राइड की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन हमारे देश में अधिकतर कोरोना मरीज बिना डॉक्टरी सलाह के ही स्ट्राइड दवाएं ले रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार कोरोना में अगर बुखार 5 से 7 दिन बाद भी नहीं उतरता है तब स्ट्राइड दवाई ली जा सकती हैं ।खासकर शुगर के मरीजों को ध्यान देने की आवश्यकता है कि स्ट्राइड दवाएं लेने से शुगर अनियंत्रित हो जाता है। स्ट्राइड दवाएं का प्रयोग कोरोना मरीज के फेफड़ों की सूजन को कम करने के लिए किया जाता है ।जब शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली कोरोना से लड़ने के लिए अति सक्रिय हो जाती है उस दौरान यह स्ट्राइड शरीर को कई नुकसान होने में मदद करते हैं, लेकिन यह इम्यूनिटी कम कर देते हैं।डायबिटीज वाले मरीजों में डायबिटीज का लेबल बढ़ा देते हैं और ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से ब्लैक फंगस का संक्रमण हो रहा है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
-नाक का बंद हो जाना
-दांतों का टूटना, चेहरे का सुन्न पड़ जाना।
-नाक से काले रंग का पानी निकालना, खून बहना।
-आंखों में सूजन और धुंधलापन कई मामलों में मरीजों के -आंखों की रोशनी तक चले जाती है।
-सीने में दर्द उठना।
-सांस लेने में तकलीफ होना लगातार बुखार रहना
कितनी खतरनाक है ब्लैक फंगस की बीमारी
ब्लैक फंगस संक्रामक कोरोना वायरस संक्रमण से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। इस बीमारी में जिस अंग में यहां फंगस संक्रमण करता है उसे पूरी तरह से बंद कर रक्त प्रवाह को रोक लेता है जिससे शरीर का वह अंग निष्क्रिय हो जाता है ।ज्यादा संक्रमण होने पर शरीर के अंग को सर्जरी कर उसे अलग करना पड़ता है ।इस बीमारी में मृत्यु दर 50% होती है हालांकि इसके इलाज के लिए एम्फोटेरेशन वी इंजेक्शन काफी प्रभावी है, पर वर्तमान समय में इस दवा की देश के कई राज्यों में कमी होने लगी है हालांकि जून माह तक एम्फोटेसन वी की 56 हजार माइल्स और जुलाई माह तक हर महीने 1लाख 11 हजार माइल्स उत्पादित किए जाने का केंद्र सरकार द्वारा लक्ष्य रखा गया है
ब्लैक फंगस से कैसे बचें?
कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद अपना शुगर लेवल नियमित तौर पर चेक करते रहे और इससे नियंत्रित रखें
डॉक्टरों की सलाह के बाद ही स्ट्राइड का प्रयोग करें।
एंटीबायोटिक व एंटी फंगल दवाओं का प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें ।
ऑक्सीजन ले रहे है तो ह्यूमडीफायर में साफ पानी इस्तेमाल करें ।
ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर इम्यूनटी बूस्टर दवाइयां बंद करें, शरीर में पानी की कमी ना होने दें।
क्या कहते है विशेषज्ञ चिकित्सक?
Dr N S Bisht phigiciyan hand MD medicine Pandit Dindayal Upadhyay Jila aspataal Dehradun
ब्लैक फंगस आमतौर पर सड़ी गली चीजों पर रहता है कोरोना संक्रमण के कारण मरीजों का शरीर कमजोर पड़ जाता है। जिससे मिट्टी में उगने वाला जीव मानव शरीर में फैल जाता है।इसका इंजेक्शन एम्फोटेरेसन बी उपचार में उपयोगी है। ब्लैक फंगस शरीर के जिस अंग में फैलता है वहा रक्त की शिराओ और उसके चारों ओर जाल बनाता है।जिससे वह अंग काला पड़ जाता है निस्कृय हो जाता है, तब इस अंग को शरीर से अलग करना आवश्यक हो जाता है।वायरस से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है कि अपने आसपास साफ सफाई रखें, कोविड मरीजों को दी जाने वाली ऑक्सीजन (ह्यूमडीफायर) में साफ पानी डाले, मरीजों की ऑक्सीजन वाले मास के साथ-साथ मरीजों के चेहरे को हाइजीन रखा जाए। घर में कमरे को हाइजीन ठीक रखी जाए, ब्लैक फंगस ऑक्सीजन में पनपने वाला प्राणी है। दवाओं का इस रोग में बहुत कम प्रभाव है।एक बार इंफेक्शन फैल जाने पर सर्जरी की ही भूमिका है। शरीर में जिस अंग की क्षति पहुंच जाती है उसे निकाल दिया जाता है।सभी उपचारों के बाद भी 50% मरीजों को नहीं बचाया जा सकता है।