April 16, 2024

प्रत्येक प्राणी में सत रज तम रूप में विराजती है जगदम्बा:आचार्य शिव प्रसाद ममगाई

चमोली/मंडल: धर्म और आस्था में अभिरुचि बढ़ती है सत्कर्म करने की प्रविर्ती होती है समझ लो ऐसे स्वरूप में सतो गुण की प्रधानता होने पर उसके आहार व्यवहार भी उत्तम एवम दूसरे को उपकार देने का भाव उसमे जागृत होने लगता है ।

उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने अनुसूया मंदिर मंडल गोपेश्वर में चल रही श्रीमद्देवी भागवत महापुराण में व्यक्त करते हुए कहा कि रजो गुण जितने के बाद सात्विकता आती है तमो गुण जितने पर कार्य करने समृद्धि संपन्नता होती है ऐसी परिस्थिति में अंतःकरण की सुद्धि और कार्य क्रम को धर्म मानकर कार्य करने की प्रवृत्ति होती है।

वैदिक धर्म सनातन धर्म का पालन करते हुए भोग प्रवत्ति से नाता जोड़ना रजो गुण की प्रधानता होने में ये सब काम होते हैं जब धन का दुरुपयोग समय संपत्ति का दुरुपयोग सबसे बुराई झगड़ा विवाद मोल लेने लगता है मन मे शांति प्राप्त न करने के पश्चात सतो गुण निवर्ती में महा क्रोधी और दुर्जनता बढ़ती है यह मनुष्य की प्रवृत्ति से ही सब पता चलता है।

कभी कभी तीनो गुणो की समानता होने पर स्थिति कार्य कारण भाव से अन्योन्याश्रित भाव से व्यक्ति कार्य करता है तमो गुण की प्रधानता होने पर मन मे दुख व दूसरे को दुख देना कभी मोह कभी शोक कर्तब्य अकर्तब्य का पूर्ण परिज्ञान अछि बात करने पर भी जो बुरी लगे उस व्यक्ति का तमो गुण होता है ।

सतो गुण जहाँ बढ़ा हो व्यक्ति में तपो भाव सर्व सामर्थ जैसे दृतरास्त्र गांधारी कुंती विदुर आदि का श्राद्ध कर्म करने के बाद स्वर्गारोहण की ओर गए पांडव कुशल क्षेम पूछकर विदुर की ओर गए सतोगुण की प्रधानता होने पर विदुर जी आप धर्म स्वरूप में विराजमान हुए और आप इनका दाह पिंड संस्कार नही करेंगे युधिष्ठिर के लौटने के बाद कुंती ने व्यास का स्मरण किया और कहा मेरा कर्ण का दर्शनकराओ गांधारी बोली मेरे अर्जून का दर्शन कराओ व्यास जी ने सतो गुण स्वरूपिणी मैया का स्मरण किया व शक्ति की कृपा से तीनों माताओ को दर्शन कराए पुनः रजो गुण भाव उतपन्न न हो जाये व्यास जी ने उसी शक्ति के द्वारा तीनो को निज धाम में भेजा रजो गुण की प्रधानता पर अर्जुन भीम जैसे सत्ता सामंजस्य बनाये रखने का भाव स्वतः आता है।

तमोगुण होने पर दुर्योधन सकुनी जैसा स्वसुख व दूसरे को दुख देने के भाव मे सर्वस्व नाश होता है उस मूल प्रकति के तीनों स्वरूपो में मनुष्य में तीनों भाव जागृत होते है वही सुख दुख एवम विनाश की ओर ले जाते हैं आदि प्रसंगों में श्रोता गण भाव विभोर हुए आज मुख्य रूप से अनुसुइया मंदिर समिति अध्यक्ष भगत सिंह बिष्ट देवेन्द्र सिंह राणा विनोद राणा डॉक्टर प्रदीप सेमवाल आरती राणा ग्राम प्रधान सिरोली लज्जावती देवी नंदन सिंह राणा नेहा पुंडीर विपुल आशुतोष सेमवाल रितिक बिष्ट आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे!!

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