चारधाम यात्रा की अव्यवस्थाओं का जिम्मेदार कौन?

भानु प्रकाश नेगी,केदारनाथ
उत्तराखंड में हर साल आयोजित होने वाली विश्व विख्यात चारधाम यात्रा करोड़ों हिन्दुओं की आस्था व विश्वास का प्रतीक है,साथ ही स्थानीय लोगों की आय का भी मुख्य जरिया है। दो साल कोरोना महामारी के कारण प्रतिबंधित चारधाम यात्रा इस साल चरम पर है। गंगोत्री,यमनोत्री के बाद बाबा केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गये है।
केदारनाथ धाम के लिए देश विदेश के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पडी है।गौरीकुण्ड से लगभग 16 किलोमीटर पैदल मार्ग और पल-पल में मौसम बिगड़ने के कारण यहां की यात्रा आम श्रद्धालुओं के लिए विकट मानी जाती है। यात्रियों की भारी भीड़,घोडा,डण्डी,कण्डी के एक साथ जाने और आने के कारण व बारिस से रास्ते में फिसलन के कारण किसी भी समय दुर्धटना की संभावनायें बनी हुई है। यात्रियों को सुविधाओं के नाम पर अस्थाई शौचालय में भारी गंदगी,घोडों की लीद के कारण पूरे रास्ते में बदूबू फैली हुई है। हॉलकि जिला प्रसाशन द्वारा यहां पर सफाई कर्मचारियां,व पुलिस बल को तैनात किया गया है लेकिन यह नकाफी है। घोडे-खच्चरों की लगातार आवाजाही के कारण रास्ते के पत्थरों में भारी फिसलन बनी हुई है।केदारनाथ मार्ग पर कई स्थानों पर सड़क की हालत भी बहुत नाजुक बनी हुई है,अत्याधिक वाहनों के आने के कारण यात्रियों को कई घंटे जाम का सामना करना पड़ रहा है। वही केदारनाथ धाम में यात्रियों को दर्शन के लिए भी भारी धक्का मुक्की का सामना करना पड़ रहा है। इतनी अव्यवस्थाओं के बीच अगर किसी यात्री की रास्ते में फिसलन या घोड़े खच्चरों की टक्कर से मौत हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
खासकर केदानाथ धाम में शासन व प्रसाशन को यात्रियों की सुरक्षा व सुविधाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है,ताकि देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पडे।