March 29, 2024

बद्रीनाथ धाम के कपाट कल होंगे शीतकाल के लिए बंद

रिपोर्ट। सोनू उनियाल

बद्रीनाथ। भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के लिए 1 दिन का वक्त रह गया है। बता दें कि बद्रिकाश्रम को भू वैकुंठ कहा जाता है पांडवों ने जब अपने सगे संबंधी को मारने के बाद भगवान नारायण से जब मोक्ष की कामना पांडव करने लगे तो नारायण ने कहा कि पहले आप लोगों के ऊपर गोत्र हत्या का पाप लगा है पांडवों ने उसकी मुक्ति का उपाय पूछा भगवान नारायण ने कहा कि पहले भगवान शंकर की स्तुति करो उसी के बाद तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा ।

पांडव अपने राज पाठ का कार्य पूर्ण करने के बाद श्री केदार धाम पहुंचे वहां भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन नहीं दिए और उसके बाद आकाशवाणी हुई कि हे पांडव तुम्हें हम अपना मुखारविंद का दर्शन नहीं देंगे क्योंकि तुमने अपने परिवार के सगे संबंधियों को मारा है तुम पर कुल दाग लगा है शिव ने कहा कि मेरे पृष्ठ भाग की पूजा करो उसी के बाद तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा पांडवों ने शिव की पूजा अर्चना करने के साथ स्वर्ग के लिए चल दिए मध्यमहेश्वर में भगवान शंकर की स्तुति की वहां पर भगवान ने अपने मध्य भाग के दर्शन दिए उसके बाद पांडव तुगनाथ की तरफ गये वहां पर भगवान ने अपने बाहु प्रदेश के दर्शन दिए उसके बाद पांडव चतुर्थ केदार रुद्रनाथ गए वहां भगवान ने अपने मुखारविंद के दर्शन दिए और जब पांडव लोग श्री कल्पेश्वर धाम पहुंचे वहां पर भगवान ने अपनी जटाओं के दर्शन दिए और पांडव यहीं से बैकुंठ धाम श्री बद्री का आश्रम की ओर चल पड़े ऐसी मान्यता है कि कुछ दिन पांडव पांडुकेश्वर में भी विश्राम के समय में रहे आज भी पांडवों के अवशेष पांडुकेश्वर मे मिलते हैं पांडुकेश्वर के बाद पांडव लोग श्री बद्री का आश्रम में भगवान नारायण के दर्शन कर माणा चक्रतीर्थ ,सतोपंथ हो करके स्वर्गा रोहिणी के लिए चल दिए

ऐसी मान्यता है कि स्वर्गारोहिनी के पास जाते जाते पांच भाई पांडव और द्रौपदी मैं से मात्र युधिस्टर महाराज जी जीवित थे उन्हें पुष्पक विधान से बैकुंठ धाम पहुंचाया गया ऐसी मान्यता है बद्रीआश्रम आज भी चारों धाम दर्शन करने के बाद बद्रिकाश्रम में ब्रह्म कपाल के पास पिंडदान का विधान है इससे यह माना जाता है कि पित्र लोगों को विष्णु लोक या बैकुंठ धाम स्वर्ग लोक हो जाती है।

बद्रिकाश्रम भूलोक बैकुंठ धाम के कपाट शीतकाल के लिए कल बंद हो जाएंगे ऐसी मान्यता है कि भगवान के लिए 6 महीने शीतकाल की पूजा का विधान देवताओं के ऋषि नारद को पूजा का विधान दिया गया है किंतु कल बद्रीनाथ के मुख्य रावल के द्वारा विशेष अभिषेक पूजा करने के बाद माणा गांव की मोल्फा परिवार की कुमारी कन्या के द्वारा बनाया गया ऊन का वस्त्र को भगवान नारायण को उड़ाया जाएगा उसके बाद कपाट बंद हो जाएंगे माणा गांव और बद्रीनाथ जी का चोली दामन का साथ है बद्रीनाथ जी के पार्षद घंटाकरण के एक रूप माणा गांव में भी पूजा होती है दूसरा बद्रीनाथ जी के साथी पूजा होती रहती हैं बद्रीनाथ में घंटाकरण को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है भगवान नारायण के पार्षद उन्हें माना जाता है। बद्रीनाथ जी को फूल मालाओ से सजाया जा रहा है।

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