गोरखा समुदाय ने धूमधाम से मनाया तमु ल्होसर त्यौहार।
Gorkha community celebrated Tamu Lhosar festival with great pomp.
सेवलाखुर्द, चंद्रबनी स्थित प्रकाश पैराडाईस पार्टी पैलेस में तमु धीं (गुरुङ सामाज) समिति द्वारा नव वर्ष “तमु ल्होसर” पर्व धूम धाम से मनाया गया। इस वर्ष तमु धीं (गुरुङ्ग समाज) समिति के स्थापना के 25 वर्ष होने पर समोरोहको रजत जयंति के तौर पर मनाया गया।
सर्व प्रथम भारतके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी को दो मिनटका मौन रखकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी ।
इस समारोह में गोरखा समुदाय के लोगों ने साथ मिल कर मुप्री (गरुड वर्ष) को विदा तथा सप्री ल्हो (सर्प वर्ष) का स्वागत करते हुए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
गुरुङ्ग अपनी भाषा में स्वयं को “तमु” कहते हैं। इस लिऐ इसे “तमु ल्होसर” कहते हैं। इसे “तमु संवत्” अथवा “गुरुङ पंचाग” आरम्भ होने के दिन के रुप में मनाते हैं। प्रत्येक वर्ष विक्रमी संवत् पौष माह के 15 तारीख को गुरुङ समुदाय “तमु ल्होसर” अथवा नव वर्ष के रुप में अपने इस पर्व को धूम धाम से मनाते हैं। इस दिन पूरे देहरादून के गुरुङ व गोरखा समुदाय के अन्य सभी लोग एक जगह में एकत्र हो कर तमु ल्होसर “गुरुङ नव वर्ष” को खुशी और उत्साह के साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रिति भोज व अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
तमु ल्होसार क्या है और क्यों मनाया जाया है ?
तमु ल्होसर गुरुङ जाति का विशेष पर्व है. गुरुङ जाति के प्राचीन धर्म ग्रन्थों के अनुसार प्रत्येक वर्ष विक्रमी सम्वत के पौष माह के 15 तारीख से इनका नव वर्ष आरम्भ होता है, जिसे “तमु ल्होसार” कहते हैं. हिन्दू ज्योतिष शास्त्र की 12 जन्म राशियों की तरह इनके भी 12 ल्हो (वर्ग) होते हैं. जो प्रत्येक वर्ष विक्रमी सम्वत् के पौष माह के 15 तारीख को को बदलते रहते हैं. ये विभिन्न पशु-पक्षियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
(वर्ग) इस प्रकार से हैं:-
१. च्युल्हो (मुसक वर्ग)
२. ल्वोंल्हो( गाय वर्ग)
३. तोल्हो( बाघ वर्ग)
४. हियल्हो(बिल्ली वर्ग)
५. मुप्र्हिल्हो (गरुड़ वर्ग)
६. सप्र्हील्हो (सर्प वर्ग)
७. तल्हो (घोड़ा वर्ग)
८. ल्हुल्हो (भेड़ वर्ग)
९. प्रल्हो (बँदर वर्ग)
१०. च्यल्हो(पक्षी वर्ग)
११. खिल्हो(कुत्ता वर्ग)
१२. फोल्हो(मृग वर्ग)
उपरोक्त ल्हो (वर्ग) अपने क्रमानुसार प्रत्येक वर्ष बदलते रहते हैं. प्रत्येक वर्ष 29 दिसंबर तदानुसार विक्रमी संवत् के 14 पौष के मध्य रात्री को ठीक 11.59 बजे पिछला ल्हो (वर्ग) विदा होकर नये ल्हो(वर्ग) का आगमन होता है. इस वर्ष मुप्री ल्हो (गरुड वर्ग) विदा होकर सप्री ल्हो (सर्प वर्ग) का आगमन हो रहा है।
तमु (गुरुङ) जाति की वास्तविक पहचान कराने वाले तथ्यों में से एक “ल्हो” (वर्ग) गणना द्वारा व्यक्ति की आयु मालुम करने की पद्धति है. इसी लिये “ल्होकोर” तमु (गुरुङ) जाति के लिये अति महत्वपूर्ण पद्धत्ति माना जाता है. इस ल्हो (वर्ग) से भविष्य फल, शुभ अशुभ दशाफल, शगुन विचार, महिना तिथि तथा दिन निकाल कर धार्मिक अनुष्ठान व अन्य मांगलिक कार्य किये जाते हैं।
अपने आगमन के क्रम से प्रत्येक ल्हो (वर्ग) एक एक वर्ष भोग करते हैं. जैसे 30 दिसंबर 2024 से 29 दिसमंबर 2025 तक सप्री ल्हो (सर्प वर्ग) का प्रभाव रहेगा. इस अवधि के दौरान जन्म लेने वाले शिशुओं का कर्म फल तल्हो होगा. इसी प्रकार सप्री ल्हो (सर्प वर्ग) एक वर्ष पुरा कर के अगले वर्ष में “त ल्हो” (घोड़ा वर्ग) का आगमन होगा. इसी ल्हो परिवर्तन के दिन को ही “ल्होसार” उत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। यह क्रम समय के चक्र के अनुरुप ल्होकोर (वर्ग परिवर्तन) मनुष्य के जीवन गति तथा समय के संग अविरल चलता रहता है. तमु जाति (गुरुङ जाति) के ल्हो गणना अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म जिस जीव-जन्तु के प्रतीक वाले ल्हो (वर्ग) में जन्म लिया है उस व्यक्ति के जीवन में उसी जीव-जन्तु के प्रकृति का प्रभाव पाया जाता है.
ल्होसार मनाने का तरिका
ल्होसार के दिन प्रात उठ कर घरों में कुल अथवा पितृ पुजा स्थल की सफाई करके स्वच्छ जल फूल चढा कर कुल देवता व पित्रों की पूजा की जाती हैं. घर के बड़े बुजुर्ग छोटो को रिपा (एक प्रकार का एक पवित्र धागों का सूत्र गले में पहना कर शुभ कामना दी जाती है. विशेषकर जिनका ल्हो (वर्ग) परिवर्तन हो रहा है, उनके लिये विशेष पुजा अर्चना की जाती है. घरों में पारम्परिक गोर्खा व्यंजन स्वादिष्ट भोजन पकाया जाता है जैसे सेल रोटी भात, तरुल गोर्खा चटनी टिमुर व टमाटर की चटनी भट्टा-गुन्द्रुक कि तरकारी आदि. महिलएं पुरुष युवक व युवतियां अपने पारम्परिक पोषाक पहनते हैं तथा सामुहिक भोजन का आयोजन किया जाता है. युवक युवतियां लोक गीत गाकर लोक नृत्य प्रस्तुत करते हैं
इस आयोजन के मुख्य अतिथि रेशम गुरुङ्ग संस्थापक अध्यक्ष अंतरार्ष्ट्रीय गुरुङ्ग परिषद उपस्थित रहे। पदम सिंह थापा अध्यक्ष गोर्खाली सुधार सभा, वरिष्ठ संरक्षक ब्रिगेडियर पी एस गुरुङ्ग, सूश्री दुर्गा गुरूंग , समिति के अध्यक्ष बसंत कुमार गुरुङ्ग, महासचिव तिलक राज गुरुङ्ग , कोषाध्यक्ष कै० ओ०पी गुरूंग एवं अतिथिगण , समुदाय के महानुभावजन उपस्थित थे.