रिमोट सेन्सिंग (RS) भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) एवं क्वांटम भौगोलिक सूचना प्रणाली (QGIS) विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन



























Conclusion of a four-day training workshop on Remote Sensing (RS), Geographic Information System (GIS) and Quantum Geographic Information System (QGIS)
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (U-SAC) द्वारा केंद्र के सभागार मे राजा जी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों एवं फॉरेस्ट गार्ड हेतु दिनांक 27/01/25 से 30/01/25 तक आयोजित चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आज समापन किया गया ।इस कार्यशाला का उद्देश्य फारेस्ट कर्मचारियों को जी0आई0एस0 एवं रिमोट सेंसिंग तकनीकी की बुनियादी और उन्नत जानकारी प्रदान करना था । वन कर्मियों को अंतरिक्ष प्रौधोगिकी तकनीकों, रिमोट सेंसिंग एवं QGIS के मूल सिद्धांतों पर विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान प्रदान किया गया ।
चार दिनों तक चली इस प्रशिक्षण कार्यशाला मे प्रमुख सत्रों मे यू-सैक के वैज्ञानिकों द्वारा –फॉरेस्ट प्रबंधन मे रिमोट सेंसिंग के मूल सिद्धांत, QGIS एवं GPS के अनुप्रयोग, सैटेलाइट डेटा प्रोसेसिंग, मैपिंग एवं फील्ड डेटा संग्रहण और विश्लेषण पर व्यावहारिक प्रशिक्षण तथा QGIS सॉफ्टवेयर के उपयोग से भू- स्थानिक डेटा का प्रबंधन और विश्लेषण का प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया ।कार्यशाला मे परशिक्षणार्थियों को डेटा संग्रहण के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग, जैसे कि सर्वेक्षण, मैपिंग और जिओ स्पेसियल एनालिसिस कर ग्राफ,मैप्स और रिपोर्ट आदि सृजन करने का प्रशिक्षण दिया गया ।
QGIS सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण एवं उपयोग :- कार्यशाला मे यूसैक के वैज्ञानिकों द्वारा QGIS सॉफ्टवेयर कि मदद से भू-स्थानिक डेटा का प्रबंधन और विश्लेषण करना सिखाया गया, जो विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है, QGIS सॉफ्टवेयर एक मुक्त और ओपन-सोर्स जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) सॉफ्टवेयर है । परिसक्षणार्थियों को इसकी विशेषताएं, जैसे कि डेटा विश्लेषण विजुआलाइजेशन ,मपिंग आदि का बेसिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया एवं हैंडस ऑन ट्रैनिंग दी गई ।



यह वन प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए एक प्रभावी उपकरण है जिससे वैज्ञानिक डेटा विश्लेषण के आधार पर निति निर्माण को अधिक प्रभावी बने जा सकता है।इसके उपयोग से वन क्षेत्रों का सटीक मानचित्रण और विश्लेषण करके वनस्पति,जलसंसाधन और जैव विविधता का अध्ययन किया जा सकता है । सैटेलाइट इमेजरी और रेमोट सेन्सिंग डेटा कि सहायता से वनों कि दशा एवं वृक्षवरण मे हुए परिवर्तनों का निरीक्षण किया जा सकता है। वन्यजीव गलियारों और उनके प्राकृतिक आवास का विश्लेषण करके प्रभावी संरक्षण रणनीति बनाई जा सकती है ।अवैध कटान और अतिकर्माण को नियंत्रित किया जा सकता है । उपयुक्त क्षेत्रों मे वृक्षारोपण और पुनर्वनिकरण परियोजनाएं लागू करने मे सहायक सिद्ध होगी । जंगल कि आग एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं कि निगरानी के लिए उपयोग मे लाया जा सकेगा ।
इस चार दिवसीय कार्यशाला का सफल संचालन यू-सैक कि वैज्ञानिक डॉ नीलम रावत एवं उनकी टीम,अनुभवमौर्य,शशांक पुरोहित,प्रीतम सिंह, द्वारा किया गया, यूसैक के वैज्ञानिक डॉ आशा थपलियाल, डॉ दिव्य उनियाल द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किए गए ।कार्यशाला मे राज्य जी पार्क के उपनिदेशक- महातिम यादव, वन्य जीव प्रतिपालकश चित्तरांजली यूसैक के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी- आर0 एस0 मेहता, जनसम्पर्क अधिकारी- सुधाकर, भट्ट, प्रदीप सिंह रावत, प्रीतम सिंह, शशांक पुरोहित अनुभव मौर्य,गोविंद सिंह नेगी, देवेश कपरवान आदि उपस्थित थे । कार्यशाल मे 28 प्रतिभागियों को प्रशिक्षत किया गया।
