यू-सैक ने विश्व पर्यटन दिवस पर आयोजित की एक दिवसीय कार्यशाला।
उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यू-सैक) द्वारा हिमालय नॉलेज नेटवर्क (एच.के.एन) के अन्तर्गत विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड में उत्तरदायी पर्यटन विकास विषयक एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पर्यटन विभाग, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद, वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान, कुमाऊँ व गढ़वाल विश्वविद्यालय, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, देवस्थानम बोर्ड, मिरडास व संकल्प तरू संस्थाओं से पर्यटन क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उक्त कार्यशाला का उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य में उत्तरदायी पर्यटन को विकसित करने के लिए उपस्थित चुनौतियां, आंकड़ों व सूचनाओं की स्थिति को चिन्हिकरण कर क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप नीति दस्तावेज तैयार करना था।
कार्यशाला में यू सैक के निदेशक प्रो. एम पी बिष्ट ने समस्त प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए य-सैक द्वारा किए जा रहे कार्यकलापों की जानकारी प्रदान की तथा रिमोट सेंसिंग व भौगोलिक सूचना प्रणाली तकनीकी से सृजित एवं एकत्रित सूचनाओं के बारे में अवगत कराया एवं बताया कि सूचना का साझाकरण व उनको उचित समय पर नीति निर्धारणकर्ताओं को पहुँचाना अति आवश्यक है। प्रो0 बिष्ट ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं, जिसमें रिस्पोंसिबल पर्यटन के माध्यम से गुफाओं, देव-वनों, बुग्यालों, अध्यात्मिक सर्किट आदि को विकसित किए जाने की आवश्यकता है, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार का भी सृजन होगा और लोगों की आर्थिकी में भी सुधार होगा एवं पर्यटन के नए आयाम विकसित होंगे।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रो0 एस.सी. बागड़ी, पूर्व हेड, पर्यटन विभाग, गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कहा कि पर्यटन सम्बन्धी आंकड़ों का उचित सृजन करना, स्थानीय लोगों को बढ़ावा देना तथा उत्तराखण्ड में कम विकसित क्षेत्रों को अधिक प्रचारित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थित पर्यटन सम्बन्धी सभी मूलभूत सुविधाओं का श्रेणीकर करना अतिआवश्यक है। इस अवसर पर पर्यटन विभाग की अपर निदेशक डॉ0 पूनम चन्द ने उत्तराखण्ड में पर्यटन की स्थिति व सम्बन्धित आंकड़ों का प्रस्तुतिकरण करते हुए बताया कि पर्यटन विभाग राज्य में उत्तरदायी व सतत पर्यटन विकास को विकसित करने के लिए कटिबद्ध है, जिससे राज्य के दूरस्थ स्थानों में स्थित लोगों को लाभ प्राप्त हो सके।
कार्यशाला में हिमालय नॉलेज नेवटर्क के नोडल अधिकारी डॉ0 गजेन्द्र सिंह ने बताया कि यू-सैक द्वारा राज्य इकाई के रूप में पर्वतीय क्षेत्रों में अनेक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं जैसे कृषि, ग्लेशियरों, कार्बन सिंक वैल्यू, सांस्कृतिक एवं जैविक विविधता के क्षेत्रों में समृद्ध होने के बावजूद भी पर्वतीय क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र में 145 से अधिक विश्वविद्यालय 2000 से अधिक प्रोफेसर व 500 से अधिक वैज्ञानिक कार्यरत है, फिर भी विभिन्न संस्थानों में सूचना की सीमित साझेदारी है, जिसके अधिक से अधिक साझाकरण हेतु हिमालय नॉलेज नेवटर्क की स्थापना की गई है।
कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे वन विभाग के अपर मुख्य वन संरक्षक एस.एस. रसेइली ने बताया कि विभिन्न राज्यों द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में सफल पद्धतियों का अनुसरण करते हुए उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटन विकास किया जाना चाहिए, जिसमें स्थानीय लोगों की सहभागिता आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होगी। इस अवसर पर डॉ0 पराग धकाते, मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि वह समस्त संस्थाएं जो पर्यटन के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं वे सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियों को सतत विकास पर्यटन के अन्तर्गत समाहित करने का प्रयास करें। साथ ही पर्यटन सम्बन्धी सूचनाओं का आदान-प्रदान होना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक पर्यटक उत्तराखण्ड के सुखद अनुभव साथ लेकर जाएं और संस्मरणों को अधिक से अधिक लोगों तक प्रसारित करें।
कार्यशाला के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए डॉ0 बितापी सिन्हा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने मास टूरिज्म व विशेष पर्यटन को वर्गीकृत किए जाने को आवश्यक बताया साथ ही समस्त इकाईयों जैसे- गांवों, तहसील, जिला व राज्य स्तर में स्थित पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों के कौशल विकास प्रशिक्षण पर जोर दिया।
कार्यशाला का संचालन कर रहे यू-सैक के वैज्ञानिक व परियोजना के नोडल अधिकारी शशांक लिंगवाल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा कि कार्यशाला से प्राप्त सुझावों के आधार पर यूसैक शीघ्र ही एक गुणवत्त थीमेटिक डाक्यूमेन्ट तैयार करेगा, जिसे नीति-निर्धारकों की अनुमति उपरान्त विषयगत दस्तावेजीकरण कर नीति आयोग को प्रदान किया जायेगा।
कार्यशाला में शैलेन्द्र सिंह नेगी, पी.सी.एस., बी.डी. सिंह, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, देवस्थानम बोर्ड, यशपाल सिंह, डिप्टी कमाण्डेन्ट- आई.टी.बी.पी. अपूर्व, संस्थापक-संकल्प तरू, डॉ0 अशोक कुमार, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, गीता डोबरियाल, निदेशक, मिरडास, जयप्रकाश पंवार, पहाड़, डॉ0 अरूणा रानी, डॉ0 प्रियदर्शी उपाध्याय, डॉ0 नीलम रावत, डॉ0 आशा थपलियाल, आर.एस. मेहता, इन्द्रजीत सिंह कड़ाकोटी, हेमन्त बिष्ट, दिव्या उनियाल, देवेश कपरूवाण, नवीन चन्द्र, संजय द्विवेदी, 8सोनम बहुगुणा, डॉ0 भावना घिल्डियाल, सौरभ डंगवाल, विकास शर्मा, मीना पन्त आदि ने प्रतिभाग किया।