हमारा दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है संसार बदलने की नही:आचार्य शिव प्रसाद ममगाई।



हमारा दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है संसार बदलने की नही:आचार्य शिव प्रसाद ममगाई
संसार मनोमय है और उसमें जो कुछ हमें दिखता है वह हमारे ही मन का प्रतिबिंब अथवा बिकार दिखता है यदि हम अच्छे हैं तो संसार भी अच्छा भाता है और यदि हम बुरे हैं तो हमारी अपनी ही बुराइयां संसार मे प्रतिबिंबित होती दिखाई देंगी इसके लिए हमे संसार को बदलने की आवश्यकता नही किंतु हमे अपनी दृष्टि बदलने की आवश्यकता है ।हमारी दृष्टि बदल जाएगी तो हमारा संसार भी बदल जायेगा।


उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने मोहकमपुर राजेश्वरी पुरम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म की संस्थापना हेतु अपने आवतीर्ण होने के छठे दिन ही पूतना वध द्वारा राक्षसों का कल्याणकारी वध करके ऐश्वर्यमयी धर्म संस्थापना लीला का शुभारंभ कर देते हैं ।इसके अनन्तर तृणावर्त वत्सासुर वकासुर कागासुर धेनुकासुर सुदर्शन शंखचूड़ अरिस्टासुर आदि का उद्धार करते हैं ।और साथ ही अपने मुख में यशोदा मैया को विश्वरूप दर्शन यमलार्जुन भंग कुबेर पुत्रों का उद्धार कलियादमन ब्रह्मदर्पदलन गोवर्द्धन धारण गोवर्द्धन रूप में पूजा ग्रहण इन्द्रमोह भंग वरुनलोक गमन रासलीला के समय अपने असंख्य रूपों में प्रकट होना आदि ऐश्वर्यमयी लीलायें भी होती रहती हैं। यों धर्मसंस्थापन का तथा धर्म रक्षण का कार्य बृज में निरन्तर चलता रहता है ।चाणूर मुष्टिक तथा मामा कंस से लेकर राजरूप धारी अगणित असुरों के उद्धार द्वारा प्रजा को सुव्यवस्थित करते हुए धर्म संस्थापना ही की।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सतीश चन्द्र भट्ट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा आशा नौटियाल रविंद्र भट्ट रमेश नौटियाल राजेश भट्ट गणेश शर्मिष्ठा भट्ट कमला बगवाड़ी चन्द्र बल्लभ बछेती उषा कुकसाल कांति धस्माना निहारिका अभिमन्यु जगदीश पन्त सरोजनी पन्त सोमावती आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे।

