March 29, 2024

आरटीआई क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में छाया रहा आरटीआई कार्यकर्ताओ के उत्पीड़न व उनकी सुरक्षा का मुद्दा

देहरादून 12 अक्टूबर।  इंद्र रोड देहरादून में आरटीआई दिवस के अवसर पर आरटीआई क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कीनोट एड्रेस पढ़ते हुए आरटीआई क्लब के संस्थापक एवम महासचिव अमर सिंह धुंता एवम संगठन के अध्यक्ष डॉ बीपी मैठानी ने कहा कि अक्टूबर को पूरे देश में सूचना का अधिकार दिवस मनाया जा रहा है। देश में कई कानून बने हैं पर सूचना का अधिकार कानून ही एक ऐसा कानून है जिसका जन्मदिन मनाया जाता हैं। आरटीआई कानून का आज 17वॉ जन्मदिवस है। पिछले 16 वर्षो में आरटीआई सThe issue of harassment and safety of RTI activists dominated the program organized by RTI Club.र्वाधिक चर्चा और विवाद का विषय रहा है। चर्चा इसलिए कि इस कानून ने पहली बार देश में शासक व शासितों के बीच का समीकरण बदल दिया है। शासकों को पहली बार शायद यह आभास हुआ हो कि वे सचमुच में शासक नहीं सेवक हैँ। और शसितों को यह पहली बार अहसास हुआ है कि उनकी उधेड़ बुन करने कि क्षमता रखते हैँ। इसी क्रन्तिकारी परिवर्तन के कारण आरटीआई कानून विवाद का विषय भी बन गया है, जो इस कानून का एक दुखदायी पहलू है जिसकी चर्चा आज की परिचर्चा का प्रमुख बिंदु रहा।
आरटीआई कानून कलह पैदा करने वाला कानून बन गया है, जो एक दुःखद पहलू है। 16 वर्षो के कालखंड में अब तक देश में 106 आरटीआईकार्यकर्ताओ को अपनी जान गंवानी पड़ी है। जिनमें से 05 हत्याएँ तो देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में भी हुई हैं। इन हत्याओं के अलावा सैकड़ों लोग मारपीट का शिकार हुए हैँ और हजारों लोगों को सूचना मांगने पर धमकियाँ मिली हैँ।
चिंता की बात यह है कि यह सब होने पर भी सरकार और समाज मे इस समस्या के प्रति उदासीनता छाई हुई है। आरटीआई कार्यकर्ताओ की हत्याओं और उत्पीड़न को सामान्य अपराधों की तरह देखा जाता है और समाज की तो इसे मौन स्वीकृति मिली हुई है। यह समाज के असली चेहरे का दर्पण है। आरटीआई कानून और सरकार में भी ऐसी स्थिति से निपटने के लिये कोई प्रविधान नहीं है।
प्रश्न यह है कि कब तक ऐसा चलता रहेगा। सरहद पर दुश्मनों से लड़ते हुए मरने वाले सैनिकों की कोई कद्र नहीं है। क्यूंकि वह वर्दी में नहीं है। क्या उनको भी शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता है, देश के कानून के अधीन सूचना मांगने पर उसे मरना पीटना और धमकियाँ देना कहां तक उचित है। क्या उनकी सुरक्षा के लिये कोई व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। इस समस्या के निदान के लिये सरकार और सूचना आयोग से पहल करने के लिये संवाद स्थापित किया जाना चाहिए।
      आज के कार्यक्रम के प्रारम्भ करते हुए *पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल* ने कहा कि आरटीआई कानून से भ्रष्टाचार उजागर हुए, और सरकारें बदली हैँ। उत्तराखंड सूचना आयोग के द्वारा श्री आरएस टोलिया के कार्यकाल में खूब प्रशिक्षण किये गए थे, परन्तु अब यह शिथिल पड़ा है। क्यूंकि यह बात आई कि आयोग का काम आरटीआई की सुनवाई करना है ना के प्रशिक्षण करना। प्रशिक्षण व प्रचार का काम तो सरकार का है। उन्होंने कहा कि आयोग को प्रशिक्षण का अधिकार प्रदत्त होना चाहिए। आरटीआई मांगने का अधिकार संस्थाओं व संगठनों को भी दिया जाना चाहिए ताकि सूचना मांगने वाले व्यक्ति की आइडेंटिटी छुपी रह जा सके। आरटीआई व्यक्तियों, संस्थानों को कानूनी व पुलिस की सुरक्षा मिलनी चाहिए।
   *उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त नृपसिंह नप्लच्याल* ने कहा कि कोरोना काल में सभी चीजों की तरह आरटीआई भी कमजोर पड़ा है। आरटीआई क्लब की शाखायें सभी जनपद में खुलनी चाहिए एवम इसे umbrella organisation बनना चाहिए। चुंकी आरटीआई कानून में सूचना मांगने वाले व्यक्ति को नाम व पता उजागर करना अनिवार्य है, अतः यह आरटीआई मामले में उत्पीड़न का कारण बनता है। उन्होंने सुझाव दिया कि अधिकवक्ताओं की भांति जैसा कि उन्हें ऑफिसर ऑफ़ दी कोर्ट की तर्ज पर सुरक्षा मिलती है, ठीक उसी प्रकार से आरटीआई आवेदक को भी आयोग से सुरक्षा दिए जाने का प्रविधान बनने चाहिए। साथ में आईपीसी में भी आवश्यक प्रवधान बनाये जाने चाहिए।
     उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने कहा कि information  power है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास dejure पावर है, परन्तु जनता के पास defacto पावर है। हमारा मानवीय आदर्श संविधान है और उसकी प्रस्तावना अगे बढ़ने का पथ है। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में dignity of individual और unity and integrity of nation के मध्य बेहतर सामंजसय निर्मित करने की बात रखते हुए, आरटीआई को सशक्त कानून बताया व उसे और मजबूत बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून के आने से बहुत फायदे हुए हैँ। आरटीआई का मकसद किसी नागरिक के अधिकारों एवम उसकी liberty को सुरक्षित करना है। व्यवस्था है तो वहाँ दुरूपयोग भी हो सकता है परन्तु आरटीआई का काम व्यवस्था को दुरूपयोग से बचाना है। जब आरटीआई कार्यकर्ता किसी abuse of power को उजागर करता है तब आरटीआई कार्यकर्ताओं को धमकियां मिलनी प्रारम्भ होती है और कहीं कहीं हिंसाग्रस्त घटनायें भी हुई हैँ। कुछ मामलों में तो आरटीआई कार्यकर्ताओं को प्राण तक गँवााना पड़ा है। उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओ के गुणों पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आरआई कार्यकर्ता को किसी भी एक पुलिसकर्मी की भांति साहसी, सतर्क व बुद्धिमान होना चाहिए। उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया कि सुरक्षा प्रदान करने के mechanism व्यवस्था में बने हुए हैँ। खतरे की दशा में आरटीआई कार्यकर्ताओ को व्यवस्था के अंतर्गत उपलब्ध सुरक्षा प्रविधानों का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड में अन्य कई राज्यों के मुकाबले अच्छी कानून व्यवस्था है।
    सभा में आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष हिमालय ड्रग्स के मालिक डॉ एम फारूक ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि आरटीआई कार्यकर्ता उस दायित्व का निर्वहन करता है, जिसे कोई शासन में बैठा जिम्मेदार व्यक्ति भूल चुका होता है। उन्होंने आरटीआई कार्यकर्ताओ की सुरक्षा के सवाल को उचित बताया व इसपर कुछ कारगर करने की जरूरत पर बल दिया।
      आरटीआई कार्यकर्ता अजय नारायण ने आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हो रहे उत्पीड़न के विषय को उठाया। चकराता त्यूणी से आये कलगराम चौहान ने आरटीआई कार्यकर्ता के इस दर्द को उठाया कि आज हालात ऐसे हैँ कि बिल्ली को ही दूध की चौकीदार सौंप दी गई है। आरटीआई कार्यकर्ताओ को सूचना नहीं मिलती हैँ, सुनवाई में देरी होती है, शिकायत ही दर्ज नहीं होती है। उन्होंने सवाल किया कि नागरिक अधिकारों पर कुठाराघात हो रहा है। उन्होंने कहा कि आरटीआई कानून नागरिक के हाथ में तलवार सी तो दे दी गईं है परन्तु इस तलवार में धार बिलकुल भी नहीं है। आरटीआई कार्यकर्ता यशवंत सिंह भंडारी  ने आरटीआई के नाम पर कुछ लोग धंधा चला रहे हैँ उसपर एक्शन होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार तो आरटीआई को कमजोर बना ही रही हैँ परन्तु सूचना आयोग भी सरकार का भागीदार इसमें बनता है।
       कार्यक्रम का *संचालन* पूर्व शिक्षा निदेशक श्रीमती कमला पंत ने किया। इससे पूर्व कार्यक्रम में अध्यक्षीय उपस्थिति होने पर भारत सरकार द्वारा निर्दष्ट *आरटीआई एंथम “मेरे सपनों को जानने का हक रे, क्यों सदियों से टूट रही हैँ, इनको सजने का नाम नहीं, मेरे हाथों को जानने का हक रे” को ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी द्वारा सम्पन्न करवाया गया। जिसे सभी उपस्थित जन ने खडे होकर गाया। एवम धन्यवाद प्रस्ताव यज्ञदत्त शर्मा द्वारा पढ़ा गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान गाकर पूर्ण हुआ। कार्यक्रम में आरटीआई क्लब के *महासचिव अमर सिंह धुंता*, कमला पंत, कुसुम रावत, ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी अनुज सैनी, विनोद कुमार जैन, केआर चौहान, यज्ञदत्त शर्मा, गुणानंद शर्मा, यशवंत सिंह भंडारी, एनके अग्रवाल, धर्मेंद्र थापा, कर्नल वीके नौटियाल, किरण कुमार बौटियाल, प्रदीप कुमार गैरोला, चंद्र बहादुर, अशोक वर्मा, हेमंत गैरोला, सैयद राहत, बीडी जोशी, आरबी कुशवाहा, इंजीनियर जेसी कांडपाल, उमा सिसोदिया, प्रवीण सिंह काशी, विशाल, मुरारी कंडारी आदि बड़ी संख्या में आरटीआई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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