वाणी विकार से पुरुषार्थ बिगड़ता है :आचार्य शिव प्रसाद ममगाई।



संसार का चिंतन करने से मन बिगड़ता है इसलिए भगवान के नाम का जप अवश्य करो जिससे मन न बिगड़े एक बार मन बिगड़ने पर इसका सुधरना मुश्किल है ।आचार बिगड़ने से विचार बिगड़ते है विचार बिगड़ने से वाणी बिगड़ती है। ऐसा कोई मनखरा भाव न रखें जिससे वाणी में विकार आवे वाणी को बिगाड़ने वाले का पुरुस्वार्थ बिगड़ता है।
उक्त विचार ज्योतिष्पीठ ब्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने मोहकमपुर राजेश्वरी पुरम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस में व्यक्त करते हुए कहा। कि प्रभु में अनन्यता होने पर हम संसार के कुचक्र से छूट सकते हैं ।भरी सभा मे एक भारत की प्रमुख नारी द्रोपदी दुःशासन के द्वारा अपमानित की जा रही थी ।उसने सोचा कि मेरे पांच पति ही मेरी रक्षा करेंगे ।परन्तु जुए में हारने के कारण ये पांचो सिर नीचे करके बैठ गए ।तब द्रोपदी के ह्रदय से पतियों का बल निकल गया ।अब द्रोपदी ने सोचा कि भीष्म द्रोण आदि रक्षा करेंगे वे भी सिर नीचे करके देखते रह गये। अब द्रोपदी के मन से सारे विश्व का बल निकल गया ।अर्थात मैं स्वयम अपनी रक्षा करूँगी। भले ही नारी का बल दस हजार हाथी के बल वाले दुःशासन का मुकाबला कैसे करे द्रोपदी ने दांत से साड़ी दबाई और दुःशासन ने जैसे साड़ी को झटका दिया वैसे ही द्रोपदी के हाथ से साड़ी खिसक गई अब द्रोपदी ने बल का त्याग कर दिया केवल श्यामसुंदर के बल पर निर्भर हो गयी। बस अनन्य हो गयी और चीर बढ़ाने के लिए प्रभु तत्क्षण पहुंच गए भाव यह है ।कि उपासना पूजा भक्ति में अनन्यता प्रमुख वस्तु है। जिस पर लोगो का विशेष दृष्टिकोण नही रहता ।इसलिए परमात्मा में अनन्यता होने पर जीवन की नींव में स्थिरता आ जाती है। जो भक्ति करते हैं ।उन्हें भगवान अवश्य मिलते हैं ।मन मछली की तरह भटकने वाला है। मन रूपी मछली को विवेक रूपी ज्ञानसे भी धोओगे तो द्रोपदी रुपि भक्ति स्वयं प्राप्त होगी ।और परमात्मा जीवन के अहम रूपी दुस्साशन से बचाने स्वयं आएंगे भक्ति भजन श्रेष्ठ होगा भगवान दरवाजा खटखटाने आएँगे जैसे सुलभा विदुर के भजन से दुर्योधन के मेवा त्याग कर सुलभा के दरवाजे खटखटाये विदुर का शाक व विदुरानी के केले के छिलके खाये यह सब भक्ति व भजन की महत्ता का फल है ।वैराग्य के बिना भक्ति बोझिल है ।तथा भक्ति विहीन जीवन निःस्वाद है ।जैसे कई प्रकार के व्यंजन बनाने पर लवण नही पड़ा उसी प्रकार सारे सुख प्राप्ति पर भक्ति नही तो जीवन की निःस्वादता है ।ज्ञान की बाते करने की नही बल्कि ज्ञान का अनुभव होता है ।ज्ञानी पुरूष में किसी भी समय ज्ञान का अभिमान नही आना चाहिए आदि प्रसंगो पर भक्त गण भाव विभोर हुए ।
इस अवसर पर मुख्य रूप से आशा नौटियाल प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा सतीश चंद्र भट्ट ,जगदीश, राजेश ,रविंद्र, अभिमन्यु ,गणेश, हरिश्चंद्र, आदविक चैतन्य। बीना देबी, सुनीता ,उषा, प्रीति ,सोमावती, कांति धस्माना, राजकुमारी कुकसाल, निहारिका, अतिक्ष जगदीश पन्त ,कमला बगवाड़ी ,आदि भक्त गन उपस्थित थे।

