सरस्वती नदी के उद्गम स्थल माणा गांव में 4 मई से सरस्वती पुष्कर कुम्भकुभ का आयोजन।


हर 12 साल में मनाई जाती है यह अनोखी परम्परा
पुराना दरवार ट्रस्ट की ओर से की जायेगी मूर्ति स्थापित।


देहरादून-भू बैकुण्ठधाम बद्रीनाथ के पास सरस्वती नदी के उद्गम स्थल माणा गांव में 12 साल में मनाये जाने वाला सरस्वती पुष्कर कुम्भकंभ इस बार भव्य रूप में मनाया जायेगा। 14 से 25 मई तक दक्षिण भारत के आचार्य व उपासकों की सहभागिता में विशेष पूजन आयोजित होंगे। पुराना दरवार ट्रस्ट ने बताया कि 4 मई को अभिजीत मूहूर्त में सरस्वती कुम्भकम ध्वज की स्थापना की जायेेगी। 17 से 19 मई तक सरस्वती अभियान के तहत गोष्ठी व कार्यशाला आयोजित की जायेगी।
सरस्वती अभियान के संयोजक विनोद नौटियाल ने बताया कि चार मई को माणा में पारंपरिक विधि विधान से क्षेत्रीय पुरोहित,राजगुरू दीक्षा गुंरू अन्य पुरोहित,स्थानीय नागरिकों व राज परिवार के प्रतिनिधि व थोकदार,ठाकुरो और हक हकूकधारियों की उपस्थिति में सरस्वती मां का ध्वज स्थापित होगा। स्थापना के समय गढ़वाल के चार प्राचीन चिन्ह निशान इस पूजन में सम्मिलित होंगे।सरस्वती ध्वज की स्थापना के लिए पैय्या की लकड़ी का प्रबंध किया जायेगा। पुराना दरवार ट्रस्ट की ओर से सरस्वती उत्सव मूर्ति स्थापित की जायेगी। भगवान बद्रीनाथ कपाट बंद होने तक इस पूरे वर्ष ग्रह नक्षत्र के अनुसार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे।
राजगुरू कृष्णानंद ने बताया कि सरस्वती पुष्कर कुम्भकम का दक्षिण भारत में विशेष महत्व है।आदि गुरू शंकराचार्य की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए दक्षिण भारत के आचार्य अपासक प्रत्येक 12 बर्ष में सरस्वती नदी के उद्गम स्थल माणा सरस्वती पूजन को पंहुचते है।
इस अवसर पर राजेन्द्र भण्डारी,देवी देवली,कुवंर ठाकुर भवानी प्रताप सिंह,भुवन उनियाल,सरेश चन्द्र सुयाल,गिरधर,डॉ. महेश शर्मा,हरीश डिमरी,डॉ मानवेन्द्र बर्त्वाल आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।