December 22, 2024

राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं प्रदर्शनीःमौन पालन सें बढे़गी किसानों की आय कई गुना-सुबोध उनियाल

देहरादून
उद्यान एंव खाद्य प्रसंस्करण विभाग, द्वारा उत्तराखण्ड में मौनपालन
की सम्भावना एंव गुणवत्तायुक्त मौन उत्पाद विषय पर राजकीय उद्यान,
सर्किट हाउस, देहरादून में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी का
आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्घाटन सुबोध उनियाल,
मंत्री, कृषि एंव कृषक कल्याण मंत्री द्वारा किया गया।
संगोष्ठी के उद्घाटन से पूर्व कृषि मंत्री द्वारा इस अवसर पर विभागीय डिजीटल लैब का उद्घाटन करने के
साथ ही विभागीय बैवसाईट, फेसबुक, ट्वीटर एवं यू0टयूब चैनल का
लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर कृ,िष मंत्री द्वारा विभागीय बैवसाईट एवं
अन्य सोसल मीडिया प्लेटफार्म पर अपडेट डाटा अपलोड करने के निर्देश
दिये गये। साथ ही उनके द्वारा इसन प्लेटफार्मों पर उत्तराखण्ड के
औद्यानिकी के क्षेत्र में क्षेत्रवार एवं फसलवार जोन बनाते हुए औद्यानिक
विस्तार की सम्भावनाओं का आंकड़ा भी प्रदर्शित करने के निर्देश
दिये गये। उसके बाद प्रदेश के मौन पालकों द्वारा स्टॉल
के माध्यम से प्रदर्शित किये गये मौन उत्पादों पर आयोजित प्रदर्शनी का
उद्घाटन कर अवलोकन किया गया एवं मौन पालकों द्वारा प्रदर्शित
उत्कृष्ठ मौन उत्पादों की सराहना की गयी। मंत्री द्वारा जनपद
चमोली में मौनपालन से सम्बन्धित स्टार्टअप प्रारम्भ करने वाले
नवयुवकों का भी उत्साहवर्धन किया गया। उल्लेखनीय है कि राज्य के
दूरस्थ ग्राम कलगोट,जोशीमठ, चमोली के शुभम
राणा (केन्द्रीय मौनपालन शोध संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त) एवं
शुभम सिंह रावत (बी0सी0ए0) नवयुवकों द्वारा मौनपालन का कार्य किया
जा रहा है, जहॉ इनके द्वारा स्थानीय कास्तकारों को भी मौनपालन
को अपनाकर अपनी आजीविका ब-सजय़ाने के लिए नवनीतम तकनीकी से प्रशिक्षित
करने के साथ ही निःशुल्क बीज वितरण कर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
सुबोध उनियानल द्वारा संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते
हुए संगोष्ठी में भौतिक रूप से उपस्थित जनपद हरिद्वार एवं देहरादून के
मौनपालकों तथा विभागीय प्रसार कर्मियों के साथ ही प्रदेश के अन्य

जनपदों से वर्चुअल रूप से जुड़े हुए समस्त मौनपालकों व विभागीय प्रसार
कर्मियों का आह्वान किया कि हम सबको मिलकर प्रदेश को औद्यानिकी के
क्षेत्र में उन्नत राज्य बनाने के लिए निरन्तर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है,
जिससे कि पृथक विकसित उत्तराखण्ड राज्य की परिकल्पना पूर्ण हो सके।
कृषि  मंत्री द्वारा सम्बोधित करते हुए अवगत कराया गया कि उत्तराखण्ड राज्य की
भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत यहॉ के अधिकांश भू-ंउचय भाग पर
किये जाने वाले औद्यानिक एवं कृषि उत्पादन इल कमंिनसज जैविक होते हैं।
इसलिए किसानों को राज्य के जैविक उत्पाद परिषद में अपना पंजीकरण अवश्य
कराना चाहिए, क्यांेकि इससे उनके उत्पाद के मूल्य में गुणात्मक वृद्धि
प्राप्त होती है। उन्होंने कृषि उत्पादन मण्डी समिति की भॉंति
उत्तराखण्ड औद्यानिक परिषद को भी किसानों व उपभोक्ता के मध्य से
बिचौलियों को हटाने के लिए सीधे औद्यानिक उत्पादों के खरीद की
व्यवस्था किये जाने के निर्देश दिये, जिससे कि प्रदेश के किसानों को
उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त हो सके।
जब से मण्डी द्वारा मडुआ एवं चौलाई की खरीद प्रारम्भ की गयी
है तब से किसानों को दोगुनी आय प्राप्त हो रही है।
भारत सरकार द्वारा लागू किये गये नये कृषि कानूनों पर प्रकाश डालते
हुए। अब एक देश एक बाजार का निर्णय नये
कानूनों के अन्तर्गत किया गया है, जिसके प्रभाव से किसान देश के किसी
भी बाजार में अपने उत्पादों को विक्रय कर सकते हैं।
भारत सरकार द्वारा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना
हेतु 35 प्रतिशत राजसहायता प्रदान की जा रही है, जिसके अन्तर्गत उत्तराखण्ड
राज्य के लिए 1591 इकाईयों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही राज्य
के किसानों को उच्चगुणवत्तायुक्त पौध रोपण सामग्री उपलब्ध कराने
के लिए राज्य मंे पौधशाला अधिनियम लागू किया गया है व भारत सरकार को
औद्यानिकी के एकीकृत विकास हेतु रू0 1200.00 करोड़ की
कार्य योजना प्रेषित की जा रही है। इसी प्रकार 30 मै0टन क्षमता के
कोल्ड रूम स्थापित करने, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापना हेतु 90 प्रतिशत
राज सहायता दिये जाने एवं औद्यानिक उत्पाद को रोड हैड तक पहुॅचाने
के लिए रोपवे निर्माण हेतु नाबार्ड से वित्त पोषण का प्रस्ताव प्रस्तुत
किया गया है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री द्वारा जनपद देहरादून व हरिद्वार के 05-ंउचय05
प्रगतिशील मौनपालकों को भौतिक रूप से एवं अन्य जनपदों के वर्चुअल
रूप से जुड़े प्रगतिशील मौनपालकों में से 02-ंउचय02 मौनपालकों
(कुल 32 मौनपालकों) को सम्मानित किया गया एवं आह्वान किया गया कि
अपने-ंउचयअपने क्षेत्र में किसानों को मौनपालन हेतु प्रोत्साहित करें।
उद्घाटन सत्र में डा0 हरमिन्दर सिंह बवेजा, निदेशक, उद्यान एवं
खाद्य प्रसंस्करण, उत्तराखण्ड द्वारा कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए
मंत्री एवं समस्त मौनपालकों का स्वागत किया गया। निदेशक, उद्यान
द्वारा बताया गया कि संगोष्ठी के माध्यम से मौनपालकों को मात्र शहद
उत्पादन तक ही सीमित न रखते हुए अन्य मौन उत्पादों जैसे पराग,

रायलजैली, मौन विश, मोम, आदि के उत्पादन के लिए प्रेरित किया जायेगा।
इस अवसर पर मा0 मंत्री जी द्वारा विमोचित मौन पालन पर आधारित पुस्तक से पाठक
मौनपालन की नवीनतम जानकारी प्राप्त कर लाभान्वित हो सकेंगे।
संगोष्ठी में भोजनावकाश के उपरान्त तकनीकी सत्रों का आयोजन
किया गया, जिसमें श्री अतर सिंह, निदेशक शिवालिक नेचुरल प्रोडक्स
देहरादून द्वारा उत्तराखण्ड में आजिविका के साधन के रूप मेें
मौनपालन,योगेन्द्र पुनिया, निदेशक सनलाईट इण्डिया एग्रो
प्रोड्यूसर कम्पनी लि0 द्वारा परागण का औद्यानिक फसलों के उत्पादन पर
प्रभाव, अजय सैनी ज्योति ग्रामोद्योग संस्थान द्वारा गुणवत्ता पूर्ण
रानी मधुमक्खी का उत्पादन एवं निर्मल कुमार ऑनली एण्ड स्योरलि
आरगेनिक, कनखल, हरिद्वार द्वारा मौन पालकों की समस्याएं एंव समाधान विषय
पर व्याख्यान दिये गये।
सत्र के अन्त में डा0 राम बिलास यादव, अपर सचिव, कृषि एवं कृषक कल्याण,
उत्तराखण्ड शासन की उपस्थिति मंे मौनपालकों व विशेषज्ञों के
साथ चर्चा एवं प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें
मौनपालकों की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया गया। इस अवसर पर अपर
सचिव महोदय द्वारा मौनपालकों को आस्वस्त किया गया कि उत्तराखण्ड सरकार
एवं उद्यान विभाग कृषकों की समस्याओं के समाधान हेतु प्रतिबद्ध है।
संगोष्ठी का समापन संजय कुमार श्रीवास्तव, निदेशक, बागवानी
मिशन, उत्तराखण्ड द्वारा समस्त सम्मानित मौनपालकों का धन्यवाद ज्ञापित करते
हुए किया गया। इस अवसर पर जनपद देहरादून व हरिद्वार के विभागीय
अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा भौतिक रूप से एवं अन्य जनपदों के
अधिकारियों/कर्मचारियांे का वर्चुअल रूप से प्रतिभाग किया गया।

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