April 18, 2024

महायोद्धा सेनापति जनरल विपिन रावत सी.डी.एस.- डा0 योगम्बर सिंह बर्त्वाल

भारतीय सेना के प्रथम मुख्य सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत का 8 दिसम्बर 2021 को तमिलनाडु के किन्नूर क्षेत्र में हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण पत्नी मधुलिका रावत एवं 13 सेना कर्मियों के साथ निधन हो गया इस खबर के बाद सारा देश शोक में डूब गया। इस स्तब्धकारी घटना के कारण सम्पूर्ण उत्तराखण्ड भी दुःख में डूब गया।
जनरल विपिन रावत वीर प्रसूता भूमि गढ़वाल के बेटे हैं देश के सैन्य इतिहास में पहली बार सी.डी.एस के पद में सुशोभित कर रहे थे। महान सैन्य परम्परा के व्यक्ति लेफ्टिनेंट जनरल उप सेना प्रमुख लक्ष्मण सिंह रावत उनके पिता थे। दादा भी सन् 1952 में सुबेदार मेजर वन गये थे। सैनिक की सैन्य परम्परा, साहस एवं कुशल रणनीति के गुण उनको घुट्टी में मिले थे। जनरल विपिन रावत का पैतृक गांव सैण पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल विकासखण्ड में है। उनका जन्म 16 मार्च सन् 1958 में देहरादून में हुआ था। सरलता सहजता एवं सौम्यता के गुण उन्हें पारिवारिक संस्कार में मिले थे। राष्ट्र के इतने सर्वोच्च पद पर पहुंचने पर भी सहजता व शालीनता उनके स्वभाव में बने रहे।
प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून स्थित कैम्ब्रिज हाल स्कूल से इंटर शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से हुई। उसके बाद सी0डी0एस0 व मेडीकल में भी चयन हो गया था। मेडीकल में जाने के बजाय उन्होंने सैन्य जीवन में जाना ही उचित समझा जो भारतीय सैन्य परम्परा में कई महत्वपूर्ण स्थलों में विजयकारी निर्णय हुए। देहरादून में एन0डी0ए0 प्रशिक्षण के दौरान इनके प्रशिक्षक रहे सेवा निवृत लेफ्टिनेंट जनरल दिगम्बर सिंह बर्त्वाल बताते हैं कि विपिन रावत जी में एक अच्छे सैनिक के गुण मौजूद थे। उनको प्रशिक्षण पूरा होने पर सोर्ड ऑफ ऑनर भी प्रदान किया गया था। एन0डी0ए0 परेड निकालने के पश्चात् पिताजी की गोरखा, रेजीमेंट में तैनाती मिली पासिंग आउट परेड के समय उनके साथ ठाकुर कृष्णसिंह पंवार का फोटो आज भी आकर्षण का केन्द्र है। ठाकुर कृष्ण सिंह संविधान सभा के सदस्य एवं उत्तरकाशी के विधायक व उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। विपिन रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत का विवाह 1954 में सुशीला देवी पुत्री श्री ठाकुर सूरत सिंह ग्राम धाती पट्टी धनारी के साथ हुआ थे। डा0 सूरत सिंह सन् 1914 में इलाहाबाद से बी0ए0 किया था। सुशीला देवी की अन्य तीन बहिनों के साथ साथ सन् 1950-54 में लेडी हॉर्डिंग दिल्ली से उच्च शिक्षा प्राप्त की हुई थी। ठाकुर कृष्ण सिंह ने काशी के थियोसोफीकल कॉलेज से पढने काशी से बी.एस.सी. किया। लखनऊ विश्व विद्यालय से एम.ए. एल.एल.बी सन् 1925 में किया था वे थियोसॉफीकल सोसाइटी के सदस्य सन् 1920 में ही बन गये थे।


पौड़ी गढ़वाल से जिला बोर्ड के सचिव सुरेन्द्र सिंह बर्त्वाल व टिहरी गढ़वाल से ठाकुर कृष्ण सिंह राजपूतों में ये ऐसे व्यक्ति हुए जो स्त्री शिक्षा के बड़े हिमायती हुए। दोनों ने अपनी बेटियों को दिल्ली लखनऊ व इलाहाबाद के विश्वविद्यालयों से स्नातक व परास्नातक की शिक्षा सन् 1950-55 में दिलाई। विपिन रावत जी की माता सुशीला देवी के मामा डा0 उदयभान सिंह पुंडीर बागवानी के वैज्ञानिक थे। जिन्होंने सेब के पेड़ों पर लगने वाली चिरबटिया पेस्ट का आविष्कार किया था। ठाकुर कृष्ण सिंह एक दामाद भीम बहादुर सिंह कार्की भारतीय सर्वेक्षण विभाग में उप सर्वेयर जनरल रहे हैं एवं एक दामाद ले0 कर्नल ओंकार सिंह सन् 1971 में युद्ध में छम्ब सेक्टर में शहीद हुए थे। ठाकुर कृष्ण सिंह के विरादारी भाई टिहरी राज परिवार के गम्भीर सिंह प्रथम भारतीय सर्वेयर जनरल 1958-68 तक रहे। देहरादून स्थित 14 न्यू रोड़ में ठाकुर कृष्ण सिंह का आवासीय भवन था। मैं भी सन् 1985 से 94 तक उसी में रहा। इस दौरान जनरल विपिन रावत अपने नाना ठाकुर कृष्ण सिंह व नानी श्रीमती विद्यावती देवी से मिलने आते थे। तो मुझे जनरल रावत जी को नजदीक से देखने व मिलने का अवसर मिला। सन् 1986 में जनरल रावत की शादी रीवा रियासत के कुंवर मृगेन्द्र सिंह की बेटी मधुलिका से हुआ। कुंवर मृगेन्द्र सिंह भी ठाकुर कृष्ण सिंह की भांति राजनेता थे। मैं ठाकुर कृष्ण सिंह पर पुस्तक तैयार कर रहा था कि मेरी दृष्टि जनरल विपिन रावत के आकर्षक व्यक्तित्व पर केन्द्रित हो गई। तब वे मेजर जनरल थे मैंने पुस्तक उनको समर्पित करने की सोच ली थी। कतिपय कारणों से पुस्तक प्रकाशन में विलम्ब होते गया लेकिन निर्णय अड़िग रहा। उन्हीं दिनों एक सेना अधिकारी ने कहा बर्त्वाल जी विपिन रावत अवश्य जनरल बनेगा। सी0डी0एस0 रावत के मामा ले0 कर्नल सत्यपाल सिंह परमार ने एक बार उनसे मिलने का समय भी तय कर लिया था लेकिन मुलाकात नहीं हो पायी, लेकिन उस समय की स्मृतियां ही शेष हैं।


ऐसे दौर में जब जनरल विपिन रावत सी0डी0एस0 भारतीय सेना के आधुनिकीकरण की ओर ले जा रहे थे उनका न रहना बड़ी अपूर्णनीय क्षति है। सी0डी0एस0 विपिन रावत का उत्तराखण्ड से लगाव लगातार बना रहा। 30 अप्रैल 2018 को थल सेनाध्यक्ष बनने पर सड़क मार्ग से अपने पैतृक गांव सैण विकासखण्ड द्वारीखाल आये। अपने पारिवारिक जनों से आत्मीय लगाव से मिले। अपनी बचपन की यादों को ताजा करने के लिए नाना सूरत सिंह परमार कृष्ण सिंह परमार के गांव थाती पट्टी धनारी जिला उत्तरकाशी 20 सितम्बर, 2019 को गये। उनके मामा खुशपाल सिंह के बेटे नरेन्द्र सिंह ने उनके बचपन का एक फोटो भी दिखाया डुन्डा से गांव जाते समय गांव वालों ने अपने भांजे का ढोल नगाड़ों के बाजों के साथ स्वागत किया। रास्ते में भवान गांव में राजराजेश्वरी मंदिर में मामा के बेटे ज्ञानेन्द्रपाल सिंह परमार के साथ पूजा-अर्चना की। राजराजेश्वरी उनके ननिहाल की कुल देवी है। इसी अवधि में एक बार गंगोत्री दर्शन के लिए भी आए।
सी0डी0एस0 विपिन रावत उत्तराराखण्ड की वीर प्रसूता भूमि के गौरव थे। स्वभाव से मृदु भाषी व सौम्य स्वभाव उनकी पहचान थी उनके निधन से सम्पूर्ण उत्तराखण्ड गमगीन स्थिति में है। ऐसे शिखर पर पहुंचने से पहले सेना प्रमुख विपिन रावत ने लम्बी सैन्य सेवा महत्वपूर्ण चुनौती वाले कार्यों को बेहतरीन ढंग से निभाया। चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर इन्फेंट्री बटालियन प्रमुख की भूमिका सन 1986 में निभाई। कांगों से संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति मिशन को कुशल नेतृत्व दिया। सन् 2015 में मणिपुर, आतंकी हमले के प्रत्युत्तर में 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर आतंकी संगठन एन0एस0सी0 के आतंकियों को ढेर करवाया। इसके कमांडर रावत ही थे। 29 सितम्बर सन 2016 को भारतीय सेना ने पी.ओ. के जाकर सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त किया था ऐसे कई -कई सैनिक कार्यवाहियों का विपिन रावत ने सफल संचालन किया। उनके अन्दर अद्भुत रणकौशल था जो किसी मिशन को सफलता पूर्वक अन्जाम देते थे।


सेना प्रमुख बनने पर उनकी प्राथमिकता से अत्याधुनिकीकरण था जिससे वैश्विक स्तर भारतीय सेना को भी वैज्ञानिक उपकरण से लैश करने की थी। ऐसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को अंजाम देने में लगे थे। यह भी संयोग था कि भवितव्यता 16 दिसम्बर 1978 को भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होते समय उनके साथ संविधान सभा के सदस्य उनके नाना ठाकुर कृष्णसिंह साथ में थे मानो यह कह रहे थे कि भारतीय संविधान की भावना में रहकर देश की रक्षा का संकल्प लो, सोशल मीडिया पर 43 साल पर्वू का फोटो यही सन्देश दे रहा है। दुनियां के सैन्य इतिहास में यह भी एक संयोग ही होगा कि तीन पीडिया सेना में रही, पिता लक्ष्मण सिंह रावत उप सेनाध्यक्ष तो बेटा सेना अध्यक्ष के बाद पहला सेना प्रमुख बना। माता सुशीला देवी भी भाग्यशाली महिला थी कि पति लेफ्टिनेंट जनरल व उप सेनाध्यक्ष व बेटा विपिन रावत भारतीय सेना का प्रथम सेना प्रमुख बना। देश विदेश में सैन्य कार्यक्रम सफलता से संचालित किये, देश का गौरव बढ़ाया। यह भी एक संयोग था कि पति विपिन रावत व पत्नी मधुलिका रावत विवाह के यज्ञ मंडप से मृत्यु के पश्चात् भी एक साथ चिता लगी। बेटी कृतिका, तरिणी, छोटे भाई कर्नल विजय रावत, भतीजे कैप्टेन पी.एस. रावत ने दिल्ली के बराड़ स्क्वायड में मुखाग्नि दी।
शनिवार ग्यारह दिसम्बर को अस्थि कलश लेकर सड़क मार्ग से वी.आई.पी. घाट में विसर्जन हेतु पारिवारिक जनों में सेना के अधिकारियों के साथ उनके मामा कर्नल सत्यपाल सिंह परमार भी थें दोनों बेटियों ने विधि विधान से अस्थि विसर्जित की। बाद में कर्नल परमार, मेजर जनरल आर.पी.एस. राना को पांचों प्रयागों में विसर्जन हेतु अस्थि कलश सौंपे। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल, हरिद्वार वी.आई.पी. घाट पर उत्तराखण्ड के नेता, शासन, प्रशासन के लोग शामिल थे।
1 दिसम्बर 21 को सी.डी.एस. विपिन रावत गढ़वाल विश्व विद्यालय के दीक्षांत, समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे। वो वहां सभी से खुलकर मिले, 11 को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में आना था। 8 दिसम्बर को सैन्य संस्थान में संबोधन हेतु शामिल होना था। लेकिन एस.आई. हेलीकाप्टर से 13 लोगों की जीवन लीला खत्म हो गयी। सारा देश स्तब्ध रह गया। पूरी दुनियां के लिए यह हृदय विचारक घटना थी। पूरी दुनियां के लोगों ने दुःख व्यक्त किया। सम्पूर्ण भारत में लोगों ने दुःख आश्चर्य व्यक्त किया। देवभूमि की माटी के लाल भारत के गौरव पुत्र सी0डी0एस0 विपिन रावत के निधन पर राष्ट्र शोक में डूब गया। बडे व्यापक स्तर पर समाज ने गमगीन होकर अपनी श्रद्धांजलि दी।


उत्तराखण्ड में शिक्षण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, सांस्कृतिक संगठनों ने सी0डी0एस0 विपिन रावत चित्र पर माल्यार्पण अर्पित कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। देहरादून में कैमब्रिन स्कूल में पूर्व छात्र विपिन रावत सी0डी0एस0 को, श्रद्धांजलि अर्पित की। चन्द्र कुंवर बर्त्वाल शोध संस्थान ज्योति विहार के कार्यालय से सुन्दर श्याम, कुकरेती, मनोहर रावत, डा0 मीनाक्षी रावत, प्रभा सजवाण, कुलवन्ती देवी बर्त्वाल ईशु रावत, पूर्व विधायक कुंवर सिंह नेगी, डा0 योगम्बर सिंह बर्त्वाल ने अश्रुपूरित आंखों से पुष्पांजलि अर्पित की।
अभी 22 दिसम्बर को जनरल विपिन रावत की दूसरी नानी सुशीला देवी कृष्ण सिंह की दूसरी पत्नी को शोक व्यक्त करने 58 लिटन रोड गया तो दुःखी थी, कहने लगी कि अभी कुछ दिन पूर्व मैं दिल्ली में उनके यहां ठहरी थी दोनों पति ने पत्नी बड़ी सेवा की। मुझे मायके के दिनों की याद आने लगी थी। क्या पता था कि ऐसी घटना भी होगी। भगवान दोनों को शांति प्रदान करें।
मृत्यु के पश्चात् इतना व्यापक रूप से लोगों ने संवेदना व्यक्त की।
एक उत्कृष्ट सैनिक से सेना अध्यक्ष बनने व प्रथम बार सेना प्रमुख बनने तक पहुंचने में जनरल विपिन रावत की असाधारण क्षमता, रणकौशल एवं दूरदृष्टि की सोच थी। भारतीय सैन्य अकादमी से एन0डी0ए0 स्नातक उपाधि प्राप्त करने पर सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किये गये। रक्षा एवं प्रबन्ध अध्ययन में एम0फिल, स्टेट स्ट्रेटेजिक और डिफेन्स स्टडीज में एफ0 फिल, सैन्य मीडिया अध्ययन में पी0एच0डी0, सैनिकों को मिलने वाले सुविधाओं में भूमिका, सेना में महिलाओं को इन्ट्री दिलाने में योगदान, भारतीय सेना को प्रोफेशनल आर्मी बनाने का श्रेय, कश्मीर में आतंकवाद के विरूद्ध आक्रामक नीति, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसी उपलब्धि, उच्च ऊंचाई युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषज्ञ थे। पी0बी0एस0एम0, एवीएसएम, यूवाईएसएम, एमएमबीएसएम, वाईएसएम, वी0एस0एम0 आदि पुरस्कारों से सम्मानित 43 साल के सैनिक अनुभवों ने ऐसे सर्वोच पद पर आसीन किया था। भारतीय सेना के व देश की सुरक्षा में सर्वोच्च योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोंपरान्त पदम् विभूषण जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया है।

मो0 9719975772

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