डायट चमोली :सामुदायिक सहभागिता के अंतर्गत SMC / SMDC के सदस्यों के प्रशिक्षण हेतु सन्दर्भदाता प्रशिक्षण
समापन के अवसर पर डायट प्राचार्य आकाश सारस्वत ने कहा कि सामुदायिक सहभागिता की पहली शर्त है कि हम अपना कार्य पूर्ण निष्ठा से करें, हमें विद्यालय का वातावरण और अधिक सौहार्दपूर्ण बनाने का प्रयास करना है। राष्ट्रीय पर्व पर व अन्य विशेष दिवसो पर मातृ शक्ति की सहभागिता करवाना आवश्यक हैं। शिक्षक नेतृत्वशील बने व समुदाय की मदद से विद्यालय में आने वाली चुनौतियों से पार पाएं। विद्यालय प्रबंधन समिति की मदद से कई विद्यालयों ने अपने विद्यालय में गुणवत्तापरक शिक्षा को सुनिश्चित करने में अपना योगदान दे रहे हैं। विद्यालय व समुदाय के मध्य सम्बन्ध के तीन मुख्य स्तंभ सहभागिता, विश्वसनीयता और पारदर्शिता हैं।
अध्यापक अपने विद्यालय को जीवंत बनाने का सतत प्रयास करते रहें, इसमें राज्य स्तर पर कई विद्यालयों को एक धाम की तरह विशेष ऊर्जावान बनाया हैं। सन्दर्भदाता प्रशिक्षण में कुल 35 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया । समुदाय के सदस्य मेरा विद्यालय मेरा गौरव के रुप में विद्यालय का स्वामित्व लें, क्यूंकि विद्यालय समुदाय का है और समुदाय के लिये है।इस प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागी एमटी के रूप में प्रत्येक संकुल में कार्य करेंगे और smc के सदस्यों को प्रशिक्षण देंगे।
कार्यक्रम समन्वयक गोपाल कपरुवान ने बताया कि इस वर्ष प्रशिक्षण में पीएम श्री विद्यालयों, आईटी एक्ट 2009, निपुण भारत मिशन एवं FLN, एसएमसी एवं एसएमडीसी के गठन, सामुदायिक सहभागिता, समावेशी शिक्षा, बालिका शिक्षा, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना, आपदा प्रबंधन एवं विद्यालय सुरक्षा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विस्तृत चर्चा हुई। इस अवसर पर मुख्य सन्दर्भदाता नरेन्द्र रावत, न्याय पंचायत से शैलेन्द्र, सुरेश, अमित मैंडोली, पूजा, जया, राकेश भट्ट, डॉ बृजेन्द्र सिंह, आदि उपस्थित रहे।