तो क्या एनटीपीसी टनल नहीं जोशीमठ भू-धंसाव का कारण! जोशीमठ के आस-पास के गांवों में भी हो रहा है भू-धंसाव




-भानु प्रकाश नेगी,जोशीमठ,चमोली
जोशीमठ में भू धंसाव व कटाव से यहां का जनमानस दसशत में जी रहा है। जिन घरों व होटलों में दरारें आई है उन्हेें पूर्ण रूप से खाली कर दिया गया है। यहां के लोगों को जिला प्रसाशन द्वारा नगर पालिका परिषद,आदिगुरू शंकराचार्य आश्रम व गुरूद्वारा में विस्थापित किया गया है। लेकिन यहां भी लोग चैन से नहीं रह पा रहे है। लोगों की जीवनभर की कमाई से बनाई मकानें दरकनें से वह मानसिक तनाव में आ गये है लोगों को अपने बच्चों के भविष्य व आगे की जीवन यापन की चिन्ता सता रही है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों का कहना है कि उन्हें रात को नींद नहीं आ रही है।खाने का मन नहीं करता। कुछ मकानों में जहां कम दरारें आई है वहां लोग अभी भी रह रहे है। लेकिन यहां भी लोग दहसत व मजबूरी में रह रह है।
प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी के जोशीमठ दौरे के बाद यहां के लोगों को राहत व पुर्नवास की आशा तो है लेकिन यह कब तक हो पायेगा यह अभी कहा नहीं जा सकता है। मुख्यमंत्री के दौरे के बाद शासन व प्रसाशन हरकत में आया है लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि पुर्नवास व राहत में भी यहां राजनीती हो रही है।
वहीं जोशीमठ से सटे ग्रामीणों का कहना है कि यह भू धंसाव न सिर्फ जोशीमठ नगर क्षेत्र में है बल्कि जोशीमठ से लगे जहां एनटीपीसी का क्षेत्र है जिनमेें जीरो बैंड,घोसी,तल्ला,खंन्चा,जोरमी,पैंयां,खरोडी,ढॉक व तपोवन से लगा चमतोली क्षेत्र भी इससे प्रभावित है। ग्रामीणो का कहना है कि पूरे जोशीमठ क्षेत्र का व्यापक भू बैज्ञानिक सर्वेक्षण होना चाहिए। पुराने सर्बे में कहा गया है कि, जोशीमठ पानी के तालाब के उपर बसा हुआ है। वही आन्दोलनकारी एस.एस.राणा का कहना है कि, जोशीमठ के उपर आईटीवीपी सुनील बस्ती है जब यहां बस्ती बसी थी तब उन्होनें अपने पानी का पाईप किसी गढ़ढे में डाल दिया था वहां आज भी पानी के निकासी की बहुत अच्छी व्यवस्था नहीं है,उसी एरिया मनोबाग,सुनील बस्ती,सिंगधार,मारवाड़ी क्षेत्र तक गुजर रहा है जहां भू धंसाव का सबसे असर दिख रहा है।सुनील बस्ती के पानी की निकासी की जांच होनी चाहिए केवल इस बात पर अड़ जाना कि एनटीपीसी के टनल के कारण ही यह हो रहा है। कहीं ऐसा तो नही कि सुनील बस्ती से पानी रिसाव के कारण मारवड़ी एरिया में जा रहा हो। जोशीमठ से तपोवन हेलंग तक जितना भी एरिया नदी से लगा हुआ है उसका भू बैज्ञानिकों के द्वारा सर्वे होना चाहिए। तल्ला खंन्चा में 25 नाली भूमि धौली गंगा में बह गया है।

जोशीमठ क्षेत्र में भू धंसाव शासन व प्रसाशन के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है वहीं अब यहां राहत व पुर्नवास पर राजनीती भी शुरू हो गई है। कई लोगों का कहना है कि विधायक सरकार के विपक्षी पार्टी का होने की वजह से राज्य सरकार अपने अपने लोगांे की बातें सुन रही है विपक्ष के लोगों की समस्याओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। प्रसाशन भी खानापूर्ति मंे लगा हुआ है। स्थानीय लोगांे का कहना है कि कई माह पूर्व भू धंसाव की जानकारी लिखित तौर पर शासन व प्रसाशन को दी गई थी लेकिन इस मामले पर शासन प्रसाशन द्वारा लापरवाही बरती गई और अब प्रसाशन हरकत में आया है तक यहां का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है।
जोशीमठ में भू धंसाव पर भू बैज्ञानिकों की रिपोर्ट आनी बाकी है।लेकिन यहां के लोगांे को अपने वर्तमान व भविष्य की चिन्ता सता रही है। क्या जोशीमठ में प्रभावित पीड़ितों को जल्द पुर्नवास के साथ नुकसान का मुआवजा दिया जायेगा? या यहां के पीड़ित यूं ही खानबदोस जिन्दगी जीने को मजबूर रहेगें यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

