नम आँखों से लाड़ली नंदा को किया कैलाश विदा, अब 6 माह देवराड़ा में होंगे देवी के दर्शन



रिपोर्टर- संदीप कुमार
चमोली। हिमालय की आराध्य देवी माँ नंदा देवी की लोक जात यात्रा 2021 हर्षोल्लास के साथ आज वेदनी बुग्याल और बालपाटा मे पूजा- अर्चना के बाद संपन्न हो गई हैl हजारों नम आँखों ने अपनी लाड़ली नंदा को ससुराल कैलाश के लिए विदा किया l अब 6 माह राज राजेश्वरी नंदा देवी अपने ननिहाल देवराड़ा गांव मे विराजमान होगीl
घाट विकासखंड स्थित सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर नंदाधाम नंदा के मायके से जन्माष्टमी के पर्व पर माँ नंदादेवी की डोलियां नंदा देवी के ससुराल कैलाश के लिए यही से विदा हुई l प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली लोकजात पैदल यात्रा 1 किमी के विभिन्न 21 पड़ावों को पार करने के बाद माँ नंदा की देव डोलियां नंदा सप्तमी को वेदनी और बालापाटा बुग्याल पहुंची। जहां माँ नंदा की पूजा अर्चना के बाद ससुराल कैलाश की विदाई के साथ नंदादेवी लोक जात यात्रा का समापन हुआ ।

यात्रा मे सैकड़ो गांवों की छन्तोलियो के साथ शामिल नंदा राजराजेश्वरी की देवी डोली अब 6 माह के लिए अपने नैनिहाल थराली के देवराडा में विराजमान होगी । जबकि नंदादेवी की डोली बालापाटा में लोकजात सम्पन्न होने के बाद सिद्धपीठ कुरुड़ मंदिर में ही श्रदालुओं को दर्शन देगी।
मां नंदा देवी की यात्रा गांवों, खेत खलियान,गाड़,गधेरो,जंगलों,निर्जन स्थलों से होकर बुग्यालों में पहुंची। जहां लोगों द्वारा डोली का पूजा अर्चना कर भव्य स्वागत किया गया। देवी को श्रृंगार सामग्री,कलेऊ,पकवान,वस्त्र भेंट कर जागर गीत गाए गएl
बता दे कि 12 वर्षो में कुरुड़ मंदिर से ही नंदादेवी राजजात का आयोजन होता है और प्रतिवर्ष नंदा देवी लोक जात का आयोजन किया जाता है। नंदाधाम कुरुड़ माँ नंदा का मायका है। जंहा नंदादेवी का प्राचीन मंदिर और दुर्गा माँ की पत्थर की स्वयंभू शिलामूर्ति है।