विनम्र श्ऱद्धांजलिःपंचतत्व में विलीन हुए पहाड़ प्रेमी गढ़भोज के एम डी लक्ष्मण रावत
गढभोज रेस्टोरेन्ट यानी की पहाड़ी भोजन का मात्र आलीशान रेस्त्रा! के एम डी समाजसेवी लक्ष्मण सिंह रावत पंचतत्व में विलीन हो गये। बीते दिन मंहत इन्द्रेश अस्पताल में उन्होंने अंन्तिम सांस ली। उनके अचानक निधन से सम्पूर्ण उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। पहाड़ी अनाजों से अनेक प्रकार के स्वादिस्ट व स्वाथ्य वर्धक व्यंजन लोगो को परोसने वाले लक्ष्मण रावत का जीवन बचपन से ही सर्धषमय रहा। 18 साल की उम्र में पिता का साया उठने के बाद परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई। दिल्ली में ढावा चलाया, मुम्बई में नौकरी की, गांव वापस आये तो ग्राम प्रधान बने टेली कम्युनिकेशन का व्यवसाय किया। देहरादूनमें रियल इस्टेट कारोबार किया । हमेसा पहाड़ियों की मदद की। राजपुर रोड़ पर पहाड़ी अनाजों से बने लजीज व्यंजनों का रेस्टोरेन्ट गढ़भोज भी खोला।
लेकिन हम पहाड़ियों ने कभी अपने पहाड़ के भोजन की कद्र नहीं की शुरवाती दौर में गढ़भोज रेस्टोरेन्ट काफी चला। लेकिन धीरे धीरे हम पहाड़ियों ने ही लोगों ने उसका दुस्प्रचार करना शुरू कर दिया कि महंगा है? भाई लक्ष्मण रावत कैटरिंग के लिए भी हाथ पांव मार रहे थे कई जगह ऑडर मिले लेकिन सरकारी संस्थानों ने छोटी रकम के लिए भी उन्हें खूब चक्कर लगावाये।
माटी और थाती के लिए समर्पित लक्ष्मण रावत हर बार यही कहता था कि जब हम अपने पहाड़ी अनाजों व संस्कृती को चलन में लायेगें तो दुनियां उत्तराखंड का अनुसरण करेगी। जिसके लिए उन्होनें अथक प्रयास भी किये। उनके इस प्रयास के लिए उन्हें अनेक संस्थानों ने सम्मानित भी किया। लेकिन अचानक उनके छोटे भाई की रहस्यमयी मृत्यु हो गई लक्ष्मण रावत अपने छोटे भाई को बहुत प्रेम करते थे भाई की मौत का उनको सदमा सा लग गया।और वह मन से टूट गये कारोबार में भी लगातार घाटा होने से उन्हें गढभोज रेस्टोरेंन्ट को बंद करना पड़ा और वह काफी समय से अपने दर्द को बयां भी नहीं कर पा रहे थे।
जब उन्हें हम पहाडियों के सहारे की जरूरत थी तब हमारे पहाड़ी आकाओं ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। और नेता जी समेत कई चकडै़तों की फौज ने फ्री में खूब खाया पिया और जय राम जी की करके चले गयें । तब कैसे फलता फूला हमारा पहाड़ी रेस्टोरेन्ट गढ़भोज। लक्ष्मण भाई की इतनी अल्प आयु में यूंही चले जाने के जिम्मेदार हमस ब पहाड़ी लोग है। ध्यान रहे लक्ष्मण रावत जैसे पहाडियों की आगे इस कदर अनदेखी न हो हम सब पहाडियों को इस विषय पर गंभीरता से मंथन करना होगा।पहाड़ के इस सच्चे माटी के लाल को हिमवंत प्रदेश न्यूज की ओर से शत शत नमन व विन्रम श्रद्धांजलि।