पूर्व सैनिकों ने अपनी पल्टन की बहादुरी की याद में जोशो व जश्न के साथ मनाया युद्ध सम्मान दिवस “बर्की बैटल आनर डे”


Ex-servicemen celebrated Battle Honor Day “Barkey Battle Honor Day” with enthusiasm and celebration in memory of the bravery of their platoon.
देहरादून:साईं गेस्ट हाउस नजदीक आई एस बी टी, देहरादून में 5 वीं बटालियन ब्रिगेड आफ़ द गार्ड्स (मेक) के पूर्व सैनिकों ने 1965 भारत पाक लड़ाई में पाक सेना को पीछे धकेल कर पाक बर्की पर अपना कब्जा करने पर भारत सरकार द्वारा पल्टन की बहादुरी पर 6 सितंबर को युद्ध समान दिवस बर्की (बैटल आनर डे बर्की) से नवाजे जाने पर पल्टन के सभी पूर्व सैनिकों ने कैप्टन जगदीश प्रसाद गौतम के नेतृत्व में पल्टन के बहादुरी को यादगार स्वरुप यह दिवस जोशो जश्न और धूम धाम से मनाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कैप्टन लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल ने सभी अतिथियों के स्वागत अभिनन्दन से किया। मुख्य अतिथि पल्टन के वयोवृद्ध पूर्व सैनिक सुबेदार मुकंद सिंह रावत (उम्र 90 बर्ष) और कैप्टन दरबान सिंह बिष्ट साहब थे। सर्व प्रथम मुख्य अतिथि ने सभी पूर्व सैनिकों के साथ दीप प्रज्वलित किया तत् पश्चात पुष्प चक्र चढ़ाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। और शहीदों की याद में दो मिनट का मौन धारण किया गया। इसके बाद अतिथियों और वीर नारियों का पुष्प गुच्छ से स्वागत समान किया गया। इसके पश्चात कैप्टन परमानंद ध्यानी ने मंच सम्भालकर बटालियन के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला कि ब्रिगेड आफ़ द गार्ड्स की स्थापना फील्ड मार्शल के एम केरियप्पा ने इंग्लैंड की रायल गार्ड्स की तर्ज पर भारत की कुछ चुनी हुई बटालियन से किया जो भारत के राष्ट्रपति महोदय के अंग रक्षक भी हुआ करते थे तत् पश्चात इसे भी पैदल सेना में शामिल किया गया। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर इस रेजिमेंट को सर्व प्रथम मार्च पास्ट दस्ते के रुप में श्रेय प्रदान है। अब इस रेजिमेंट की 22 बटालियन हैं जो सब मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री हैं। परन्तु इसकी विशेष पहचान होने के कारण इसका नाम ब्रिगेड आफ़ द गार्ड्स ही रखा गया है। लड़ाई में भी युद्ध का सर्व श्रेष्ठ पदक परम वीर चक्र भी इसी रेजिमेंट के सैनिकों ने अपना नाम किया।
5 वीं बटालियन ब्रिगेड आफ़ द गार्ड्स की स्थापना ले कर्नल जयसिंह ने 1960 में कोटा राजस्थान में किया। उसके पल्टन ने 1960 में गोवा आपरेशन में भाग लिया उसके बाद 1962 में पल्टन ने भारत चीन की लड़ाई में भाग लिया जिसमें पल्टन के 2 अधिकारी 3 जे सी ओ और 82 जवानों ने देश पर अपने प्राणों की आहुति दी। इसमें भी पल्टन को थेमवांग डे से नवाजा गया। इसके बाद 1965 भारत पाक युद्ध में पल्टन ने पाक बर्की पर अपना कब्जा किया जिसमें पल्टन के दो जे सी ओ 18 जवान शहीद हुए।इस युद्ध में दो वीर चक्र, दो सेना मेडल पल्टन के बहादुर सैनिकों ने अपने नाम किया। और पल्टन को युद्ध समान दिवस बर्की से सम्मानित किया गया साथ ही थियेटर पंजाब से भी नवाजा गया। पल्टन की बहादुरी की कहानी यहीं पर नहीं रुकी पल्टन ने 1971 भारत पाक जंग में हिस्सा लिया जहां उसके एक जे सी ओ 6 जवान वीर गति को प्राप्त हुए। यहां भी पल्टन को थियेटर पूर्व से नवाजा गया। तत् पश्चात मेघदूत आपरेशन (सियाचिन ग्लेशियर) किरनी आपरेशन, आपरेशन रक्षक, आपरेशन विजय (कारगिल) और विदेश सेवा सभी जगह भाग लेना पड़ा। इस प्रकार पल्टन का शौर्य और पराक्रम का गौरवशाली इतिहास लगातार बरकरार है
1965 के लड़ाई के वीर योद्धा पूर्व सैनिक कैप्टन दरबान सिंह बिष्ट ने अपने जुबानी आज आयोजित कार्यक्रम में बयां किया कि किस प्रकार उन्होंने बर्की पर कब्जा किया। तत् पश्चात कार्यक्रम के संयोजक कैप्टन आलम सिंह भण्डारी ने सभी उपस्थित पूर्व सैनिक और वीर नारियों से अपेक्षा की हमें अपने पल्टन की वीर गाथाओं को संजोए रखने के लिए इस प्रकार के कार्य क्रम करने चाहिए।
इस कार्यक्रम में सुबेदार मुकंद सिंह रावत (उम्र 90 वर्ष), कैप्टन दरबान सिंह बिष्ट , कैप्टन जगदीश प्रसाद गौतम , कैप्टन आलम सिंह भण्डारी , कैप्टन लक्ष्मी प्रसाद सेमवाल कैप्टन परमानंद ध्यानी, सुबेदार सतेन्द्र सिंह भण्डारी, सुबेदार बृज मोहन खण्डूरी , सुबेदार प्रताप सिंह, कैप्टन गिरधारी, कैप्टन दान सिंह , सुबेदार चिन्ता मणी डंडरियाल, सुबेदार मेजर ऋषि नारायण, वीर नारियां और आश्रित उपस्थित थे।
इस रेजिमेंट का नारा (मोटो MOTO) पहला हमेशा पहला ।