स्वास्थ्य मंत्री के निदेशों के बाद भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रौता से डॉक्टर नदारत,ग्रामीण परेसान



Despite the instructions of the Health Minister, doctors are missing from the allopathic health center Rauta, villagers are worried.
चमोलीः भले ही राज्य सरकार सूबे के पर्वतीय जनपदों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा कर रही हो लेकिन हकीकत किसी से छुपी नहीं है। प्रदेश के अधिकतर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व जिला अस्पताल आज भी रेफर सेंटर बने हुऐ है। यहां तक कि सूबे के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में भी अनुभवी डॉक्टरों व ट्रेन स्टॉफ के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की कमियां है। वही चमोली जनपद के पोखरी व्लॉक के दूरस्त गांव रौता का एलोपैथिक स्वास्थ्य केन्द्र राम भरोसे चल रहा है।
रौता गांव के प्रधान वीरेन्द्र सिंह राणा का कहना है कि दूरस्त क्षेत्र के इस प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में यूं तो दो डॉक्टर तैनात है लेकिन इस अस्पताल में तैनात डॉक्टर बीते कई समय से अस्पताल में नहीं आते। वार्ड वॉय व नर्स की हाजरी ग्राम प्रधान देता है। लेकिन यहां तैनात दोनों डॉक्टर पोखरी सीएचसी में ओपीडी देते है जबकि इनकी उपस्थिति रौता के एलोपैथिक अस्पताल से दिखाई जाती है। पूर्व में सीएमओ चमोली डॉ राजेश कुमार शर्मा व स्वस्थ्य मंत्री डॉ.धनसिंह रावत द्वारा दोनों डॉक्टरों को इस अस्पताल में सेवा देने की बात कही थी लेकिन आज तक यहां डॉक्टर दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं जिससे ग्रामीणों में भारी रोष व्याप्त है।
आपको बता दें कि यह अस्तपाल उत्तर प्रदेश के समय से यहां निर्मित है तब रौता प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर समेत 8 लोगांे का स्टॉफ होता था। लेकिन अब यहां सब राम भरोसे चल रहा है। जिससे 14 गांव के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से बंचित है।

