बच्चों को सही और गलत स्पर्श का ज्ञान है जरूरी
यौन शोषण वर्तमान समय में समाज की एक गम्भीर समस्या बनता जा रहा है। यौन शोषण न केवल महिलाओं, ब्लकि बच्चों और कभी-कभी पुरुषों के साथ भी होता है। किसी की इच्छा के बिना उसे छूने की कोशिश करना, यौन सम्बंध बनाने के लिए दबाव बनाना, जबरध यौन सम्बंध बनाना, नग्न होने के लिए बाध्य करना, हस्तमैथुन के लिए बाध्य करना, अश्लील बातें करना, अश्लील चित्र, फिल्म या सामग्री दिखाना, अश्लील इशारे करना, इत्यादि यौन शोषण है। आजकल बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनायें भारत में बढ़ने लगीं हैं जो समाज और राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है। 90 प्रतिशत बच्चों का यौन उत्पीड़न परिवारिक सदस्य या जान पहचान के व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। बच्चों का यौन उत्पीड़न ज्यादातर पुरुषों द्वारा किया जाता है किंतु महिलाओं द्वारा यौन शोषण के मामले भी सामने आये हैं। 10 में से 9 यौन शोषण के मामले में उत्पीड़न करने वाला व्यक्ति बच्चे का पारिवारिक सदस्य या जान पहचान का होता है।
यौन उत्पीड़न के मामले में भारत विश्व में चौथे स्थान पर है। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय {2007} के एक सर्वेक्षण के अनुसार 53 लोगों ने स्वीकार किया कि कभी न कभी वे यौन शोषण का शिकार हुए, जिसमें से 32 बच्चों के साथ बलात्कार, नाजुक अंगों को छूना या चुंबन करना तथा 21 बच्चों को अश्लील सामग्री दिखाना और उनके सामने अश्लील हरकते करना शामिल है। प्रत्येक 4 में से 1 लड़की तथा 13 मे से 1 लड़का अपने बचपन में कभी न कभी यौन शोषण का शिकार होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन {2002} की एक रिपोर्ट के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के 7.9 प्रतिशत लड़के और 19.7 प्रतिशत लड़कियाँ यौन शोषण की शिकार होती हैं।
यूनिसेफ द्वारा 2007-2013 के बीच भारत में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार 10-14 वर्ष की 10% और 15-19 वर्ष की 30 प्रतिशत लड़कियाँ यौन शोषण का शिकार होती हैं।
बच्चों के यौन शोषण के पीछे अनेक कारण होते हैं, व्यक्ति अपनी यौन कुंठा या मनोविकारों से ग्रसित होने के कारण बच्चों का यौन शोषण करता है।
बच्चे यौन शोषण से कई बार वाकिफ़ नहीं होते हैं, जिसके कारण वे विरोध नहीं कर पाते हैं, इसलिए वे अपराधियों के लिए आसान लक्ष्य होते हैं। शोषण करने वाला व्यक्ति बच्चों को बहुत अधिक वरीयता देता है, उसे उपहार व खाने पीने की चीजें देता है और उसे घुमाने ले जाता है। बच्चों के साथ अकेले होने का मौका तलाशता है। यदि कोई गैर व्यक्ति बच्चे के प्रति विशेष लगाव या व्यवहार दिखाता है तो ऐसी स्थिति में माता-पिता को उसपर सतर्क नजर रखने की जरूरत होती है।
अध्ययन में पाया गया है कि यौन शोषण का शिकार बच्चा अचानक किसी व्यक्ति विशेष को नापसंद करने लगता है, उस व्यक्ति के आने से अचानक डर जाता है या उस व्यक्ति के साथ अकेले जाने से बचता है। यदि आपका बच्चा इस तरह के कुछ इशारे देता है तो माता-पिता को उस व्यक्ति को अपने घर पर मिलने के बजाय बाहर कहीं मिलना चाहिए, चाहे वो व्यक्ति आपके जितना भी घनिष्टता का हो।
यौन शोषण के शिकार बच्चों के लक्षण :-
* नींद न आने की समस्या
* डरावने सपने देखना
* शरीर में कंपकपी
* अपनी उम्र के अनुपयुक्त यौन व्यवहार करना या यौन संबंधी सूचना इकठ्ठा करना
*चक्कर आना
* दिल का तेज धड़कना
* ध्यान न लगने की समस्या
* सीखने में कठिनाई
* असहाय महसूस करना
* ऊर्जा की कमी महसूस करना
* स्कूल के निष्पादन में गिरावट
* शरीर पर असमान्य निशान
* यौन अंगों पर चोटों के निशान होने पर अलग-अलग समय पर उसका कारण अलग-अलग बताना
* बच्चा अपने शरीर को दिखाने से बचने का प्रयास करता हो, जैसे कपड़े पहन कर स्नान करने की जिद्द करता हो।
यौन शोषण का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव :-
* तनाव * चिड़चिड़ापन * निम्न आत्मविश्वास * खानपान में गडबड़ी * क्रोध पूर्ण व्यावहार * मनोबाध्यता विकार * समायोजन की समस्या * खुद के बारे में बुरा महसूस करना * भयभीत रहना *चिन्ताग्रस्त रहना ।
बच्चों को यौन शोषण से बचाव के उपाय :-
*बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में समझाएं
* बच्चे से खिल कर बात करें जिससे वह अपनी बात साझा कर सके
* किसी अजनबी पर बहुत अधिक विश्वास न करें, यदि घर में नौकर या अन्य अजनबी हो तो आकस्मिक ढंग से बीच बीच में उन पर नजर बनाये रखें
* बच्चे के व्यवहार में किसी प्रकार का बदलाव आने पर उसके कारणों को जानने का प्रयास करें
* बच्चे के शरीर पर असमान्य निशान को गंभीरता से लें
* बच्चे के आत्मविश्वास के विकास का प्रयास करें
* बच्चे को यह विश्वास दिलाएं कि किसी भी परिस्थिति में आप उसके साथ हैं।
2012 में भारत में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के नियंत्रण हेतु पॉक्सो (लैंगिक उत्पीड़न से बच्चे के संरक्षण का अधिनियम) लागू किया गया, जिसमें त्वरित सुनवाई व विशेष अदालतों के साथ-साथ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 375 बलात्कार, 372 वैश्यावृत्ति के लिए महिलाओं की बिक्री, 373 वैश्यावृत्ति के लिए महिलाओं को खरीदना, और 377 अप्राकृतिक कृत्य के लिए सख्त कानून का प्रावधान किया गया है ताकि यौन शोषण पर लगाम लगाई जा सके।
बच्चों का मन कोरे काग़ज़ की तरह होता है उस पर लगने वाला धब्बा लंबे समय तक अपना प्रभाव बनाए रखता है। कुछ बच्चों को तो यौन शोषण के सदमे से उबरने में पूरा जीवन लग जाता है। यौन शोषण से पीड़ित बच्चों के प्रति सम्वेदनशीलता के साथ व्यवहार करना चाहिए तथा उन्हें मानसिक और भावनात्मक सहयोग और समर्थन प्रदान करने से बच्चे सदमें से बाहर निकलने में सक्षम होते हैं। ऐसे बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करने तथा समायोजन की क्षमता विकसित करने में प्रशिक्षित और पेशेवर मनोवैज्ञानिकों की अहम भूमिका होती है, उनसे परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
डॉ. पवन शर्मा (द साइकेडेलिक)
फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसायटी
फोन: 7617777911