November 21, 2024

यादो की पोटली(चिठ्ठी) पर इंटरनेट व मोबाइल का कब्जा

राजेन्द्र असवाल वरिष्ठ पत्रकार चमोली(चमोली)

डिजिटल इंडिया के तहत इंटरनेट व मोबाइल के दौर ने दूर दराज से आने वाली यादो की पोटली, बेजान पड़ने लगी है।और जंग खाती पत्र पेटिका(लेटर बाक्स) जिसका मजाकिया नाम डाकखाने के बाहर दीवाल पर लगा खडा लाल मुंह वाला डब्बा भी कहा करते थे। जो कि खुशियो की सौगात की दुकान डाकखाना और पोस्टमैन होता था।उसके झोले मे लोग यादो का इंतजार करते थे। पोस्टमैन के गांव की ओर आने व उसके कंधे पर खाकी रंग का बैग जिसमे पीतल का चमकता हुआ लाॅक अपनो की चिट्ठियों के इंतजार मे प्रदेश मे रहने वालो की क्षेम कुशलता की यादो मे बेजुबान को देवदूत जैसा लगता और उसकी तरफ वे करार ऑखे बिन पूछे कह जाती मां -पिता जी तो पोस्टमैन की बिछायी डाक की टोह लेते, और दिल मे उत्सुकता बनी रहती थी।

अपनो की पूरी चिट्ठी पड़कर मां के ऑखो में ऑसू छलक जाते, तब भी जब जी नही भरता तो उसे बार-बार अपने हृदय पर लगाकर मन को तसल्ली देकर उसके बाद कमर मे ठोस देती। सेना के जवानो की चिठ्ठी का रंग तो देश भक्ति मे रंगा रहता था। और उसमे पत्ता 56 एपीओ या 99 एपीओ दर्ज रहता था, जो कि आज भी जारी है। अब तो समय बदल गया, न तो पोस्टमैन दिखता है, और न तो चिट्ठियां आती है,और नही डाकिया का इंतजार करना पडता है।इन तमाम व्यवस्थाओ पर इंटरनेट व मोबाइल का कब्जा होने से खुशियो का पिटारा अब नही खुलता।अब प्राय: भी देखा जा रहा है कि मोबाइल की तकनीक और उसमे संचालित इंटरनेट इतना प्रचारित व प्रसारित हो गया है कि अब रेडियो,फोटोग्राफर, घड़ी व घड़ी साज के कारोबार पर लगे कामगारो की आजीविका का साधन था, पूर्णरूप से ठप हो गया है।

रेडियो तो अब दिखते ही नही है, जिनके पास होगे भी वह भी जंक खा रहे है।अब तो धीरे-धीरे टीवी प्रचलन भी घटने लग गया है।वर्तमान मे इंटरनेट मीडिया तो इतना सक्रिय हो गया है, कि वह तुरंत व लाइव प्रसारण कर देश-विदेश की खबरे आम जन तक पहुंचा रहे है।

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