उप चुनावः बद्रीनाथ सीट पर भाजपा प्रत्यासी के लिए जीत की राह आसान नहीं
चमोली(पोखरी)ःबद्रीनाथ विधान सभा में उप चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा व मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत अन्य दल व निर्दलीय प्रत्यासी अपने अपने पक्ष में जनता को रिझाने के लिए लोक लुभावन दावे व वादे करने लगे है।
लेकिन बद्रीनाथ सीट पर जिस वजह से उप चुनाव हो रहे है उससे जनता का मिजाज भाजपा प्रत्यासी राजेन्द्र भण्डारी की ओर फिलहाल 80 प्रतिशत कम दिख रहा है। भले ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट ने गृह नगर क्षेत्र पोखरी में जिला स्तर समेत सामान्य कार्यकर्ताओ की बैठक आयोजित कराकर साफ कर दिया कि पार्टी के खिलाफ काम करने वालो को माफ नही किया जायेगा। लेकिन भाजपा के पुराने कार्यकर्ता कांग्रेस के बागी नेता राजेन्द्र भण्डारी को टिकट दिये जाने से खुश नजर नही आ रहे है। बीते दिनों भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता बीरेन्द्र पाल सिंह भण्डारी इस बात को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके है। इस बात को लेकर उनकी बगावत भी सामने आयी थी। भले ही भाजपा ने बीरेन्द्र पाल भण्डारी को मैनेज कर दिया हो लेकिन उनके अन्दर की आग अभी भी शांत नही हुई है।
भाजपा के लिए नाक का सवाल बना यह उप चुनाव बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। भाजपा इस सीट को साम दाम दण्ड भेद लगाकर हर हाल में जीतना चाहती है क्योंकि 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी की हार जीत बहुत मायने रखेगी।खुद भाजपा प्रत्यासी राजेन्द्र भण्डारी का राजनीतिक कैरियर इस उप चुनाव में दांव पर लगा है अगर वह इस चुनाव में नहीं जीत पाये तो उनके राजनीतिक कैरियर पर सवालिया निसान लग जायेंगे और भाजपा में उन्हे फिर लम्बा इंतजार भी करना पड़ सकता है।
वही भाजपा के प्रत्यासी का कांग्रेस का बागी होने से कांग्रेस प्रत्यासी लखपत बुटोला के राह आसान दिख रही है। अधिकतर जनता इसलिए नाराज है कि जब भाजपा के प्रत्यासी राजेन्द्र भण्डारी को 2022 के लोकसभा चुनाव मे सम्मानजनक जनादेश दे चुकी है तो उन्होंने निजी स्वार्थ के लिए जनता के जनादेश का अपमान क्यों किया? जिस भाजपा सरकार को वह भष्टाचार में लिप्त व खरीद फरोक्त की पार्टी बता रहे थे अचानक कपड़े बदले बगैर उसी मै कैसे सामिल हो गये? 2016 में वह भाजपा पर उनकी कीमत लगाकर खरीदने की बात कह रहे थे तब वह खुद को ईमानदार पार्टी के साथ बता रहे थे और अब भाजपा मे किस कीमत पर बिके है?
कांग्रेस प्रत्यासी के लिए यह जनता के सवाल सहायक सिद्ध हो रहे है। वही निर्दलीय प्रत्यासी नवल खाली ब्राहमण चेहरा होने से जातीय समीकरण के हिसाब से भाजपा के वोटबैंक पर सेन्धमारी कर रहा है। नवल खाली से जनता यह सवाल कर रही है कि आपने बद्रीनाथ विधानसभा के इलाकों में चुनाव से ठीक पहले ही जन समस्या क्यों सुनी ?आज तक आपकों इन लोगों की याद क्यों नहीं आई?जिस पहाड़वाद का नारा आप इस वक्त दे रहे है उत्तखंड राज्य निमार्ण के 24 साल तक आप कहां थे? पहाड़ वाद को लोगांे को अब समझा रहे है जबकि अब तक पहाड़ियों के हक पर बड़ा डाका पड़ चुका है अब तक आपने इनकी पीड़ा क्यों नहीं समझा?
हॉलाकि भाजपा प्रत्यासी अपने आप मे सधा हुआ खिलाड़ी है उन्हे राजनीति में हर तरह के खेल करने में महारथ हासिल है लेकिन अगर जनता 10 जुलाई तक अपने भविष्य को लेकर सचमुच आक्रोसित रही तो उनका हर दांव फेल हो सकता है। फिलहाल हवा का रूख कांग्रेस प्रत्यासी के पक्ष में दिखाई दे रहा है लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि इस जनाक्रोश का फायदा कांग्रेस को मिल पाता है कि नहीं।