आखिर कब तक रेफर सेंटर बने रहेंगे प्रदेश के पीएचसी,सीएचसी व जिला अस्पताल?
भानु प्रकाश नेगी,देहरादून
सरकारी स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्थाओं की बेहतरी के दावे हवाई किले सावित हो रहे है। सूबे में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आलम यह है कि एक छोटे से रोग के इलाज के लिए भी पर्वतीय जिलों से देहरादून व अन्य शहरों के अस्पतालों में मरीजों को रेफर किया जा रहा है।पर्वतीय जिलों के अलावा मैदानी जिलों के सरकारी अस्पतालों भी रेफर संेटर बने हुऐ है।
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत इस कदर खराब है, गर्भवती महिलाओं को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकाया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व जिला अस्पतालों तक में जच्चा बच्चा के देखरेख व उचित स्वास्थ्य उपकरण आवश्यक स्टॉफ नर्स व विशेषज्ञ डॉक्टरों का भारी आभाव है जिससे आम आदमी को आये दिन बड़ी परेसानियों को झेलना पड़ रहा है। और समय पर उचित इलाज न मिलने से असमय काल का ग्रास बनना पड़ रहा है।
बड़ी विडम्बना यह है कि, देहरादून जैसे महानगर में भी सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली देखने को मिल रही है। देहरादून शहर के रायपुर स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर प्रेमनगर स्वास्थ्य केन्द्र,पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल देहरादून समेत अन्य स्वास्थ्य केन्द्र में गर्भवती महिलाओं की डिलवरी व उसके बाद जच्चा बच्चा के उचित उपचार के लिए उपकरण,स्टॉफ,व डॉक्टर नहीं है। प्रेमनगर,रायपुर व जिला अस्पताल देहरादून में नवजात शिशु के उचित उपचार के लिए सीसीयू की सुविधा नहीं है। जिससे सभी अस्पतालों से गर्भवती महिलाओं को दून मेडिकल कॉलेज के दून अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। मरीजों के भारी दवाब के कारण यहां पर एक एक बेड में तीन तीन गर्भवती महिलाओं को रखा जा रहा है। इससे दून अस्पताल में भारी अव्यवस्था व मरीजों के साथ साथ तीमारदारों को भी परेसानियों झेलनी पड़ रही है। राज्य सरकार के संज्ञान में ये खबर होते हुऐ भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। वहीं इस बात का आंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि देहरादून जैसे विकसित शहर में जब सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी बदहाली है तो पर्वतीय जनपदों के अस्पतालों के हालत किस कदर खराब होंगे। यह अव्यवस्था कब सुधरेगी कहना बहुत मुस्किल है।