उत्तराखण्ड उपनल संविदा कर्मचारी संघ द्वारा एक वर्चुअल बैठक का आयोजन,वेतन न मिलने को लेकर जताया रोष

उत्तराखण्ड उपनल संविदा कर्मचारी संघ द्वारा एक वर्चुअल बैठक की गयी जिसमें विभिन्न विभागों में कार्यरत उपनल कर्मचारियों द्वारा अवगत कराया गया कि माह नवम्बर 2021 से कई विभागों द्वारा उपनल कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है।
विभिन्न आई टी आई संस्थान तथा प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून वन प्रभाग सहित उत्तराखण्ड़ राज्य के विभिन्न विभागों में शासन के शासनादेश संख्या द्वारा उपनल कर्मचारियों को 02 श्रेणियों में त्रैमासिक भत्ते का भुगतान किये जाने हेतु विभागीय नियुक्ति की सूचना विभाग से मांगी गयी है, परन्तु प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून वन प्रभाग सहित विभिन्न विभागों द्वारा आतिथि तक उपनल कर्मचारियों के भत्ते का भुगतान नहीं किया गया है।
उप महाप्रबन्धक वित्त, उपनल द्वारा एक आर0टी0आई के क्रम मे उत्तर दिया गया है कि उपनल कर्मचारियों के वेतन वितरण की तिथि नियत नहीं की गयी है जबकि उपनल कम्पनी एक्ट 2013 के अन्तर्गत पंजीकृत कम्पनी है और कम्पनी एक्ट में वेतन वितरण की तिथि हेतु स्पष्ट निर्देश है। इससे स्पष्ट होता है कि या तो उपनल कार्यालय को जानकारी का अभाव है या फिर वह अल्प वेतन उपनल कर्मचारियों के शोषण व्यवस्था को बनाये रखना चाहता है।
उक्त स्थिति को देखते हुए कर्मचारियों द्वारा कहाँ गया कि उपनल गठन की मूल भावना पूर्व सैनिकों के पुर्नवास तथा कल्याण थी किन्तु वर्तमान में उपनल कर्मचारियों का शोषण ही शोषण किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ सैनिक कल्याण विभाग, उत्तराखण्ड़ शासन द्वारा नियमों का उल्लघंन करते हुऐ बिना किसी उचित कारण के श्री पी0पी0एस पाहवा प्रबन्ध निदेशक (उपनल) का 67 की आयु पूर्ण करने के उपरांन्त भी 16 मार्च, 2022 को चौथी बार शासन द्वारा सेवा विस्तार कर दिया गया है जबकि प्रबन्धन निदेशक (उपनल) सेवा नियमावली में स्पष्ट निर्देशित दिये गये है कि प्रबन्ध निदेशक (उपनल) के पद का सेवा काल नियुक्ति की तिथि से 03 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो तक अनुमन्य है। स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी प्रबन्ध निदेशक (उपनल) के पद हेतु शासन द्वारा लम्बे समय से विज्ञप्ति नहीं निकाली जा रही है और दिनांक 31 अगस्त, 2016 से प्रबन्ध निदेशक (उपनल) के पद पर नियुक्त श्री पाहवा को ही बार-बार सेवा विस्तार दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ जबकि विभिन्न विभागों में नियोजित पूर्व सैनिकों के लिए अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष निर्धारित की गयी है वहीं प्रबन्ध निदेशक के पद पर एक ही व्यक्ति का बार-बार सेवा विस्तार दिया जाना स्वयं में संदेह उत्पन्न करता है साथ राज्य के अन्य सेवा निवृत्त सैन्य अधिकारी जो प्रबन्ध निदेशक के पद केे योग्य है उनके साथ अन्याय प्रतीत होता है।