राजा बजीर भूमियाल देवता के मणो अनुष्ठान में उमड़ी आस्था, जागर और लोकगीतों से गूँजा देवस्थल
देवरखड़ोरा/रौली ग्वाड़ (चमोली):
उत्तराखण्ड अपनी समृद्ध लोककला, संस्कृति और विरासतों के लिए विश्वभर में विख्यात है। यहां देवी-देवताओं की दिवारा यात्राओं, धार्मिक अनुष्ठानों और लोकपरंपराओं की परंपरा सदियों पुरानी है। इन्हीं विशिष्ट परंपराओं में से एक है भूमियाल देवता राजा बजीर का मणो अनुष्ठान, जिसका आयोजन इस वर्ष चमोली जनपद के दशोली विकासखंड के देवरखड़ोरा और रौली ग्वाड़ क्षेत्र में किया जा रहा है।
दिवारा यात्रा के तीन वर्ष बाद होने वाले इस तीन दिवसीय मणो अनुष्ठान के दौरान रात्रि जागरण, जागर और पारंपरिक गीतों ने पूरे क्षेत्र को भक्ति और लोकसांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में धियाणियों (मुलाकात को आने वाली बेटियों) के आगमन से विशेष रौनक देखने को मिली।

मंदिर समिति के संरक्षक वीरेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि मणो अनुष्ठान में आराध्य भूमियाल देवता राजा बजीर को मणो के अनुसार भोग लगाया जाता है। छिनका के थोकदार अनुष्ठान से एक सप्ताह पूर्व मां नंदा और सुनंदा के पुतले तैयार करते हैं, जिन्हें अनुष्ठान के शुभारंभ पर बनाए गए पांडाल में स्थापित किया जाता है। इसके बाद राजा बजीर देवता पांडाल में पधारते हैं, जहां नंदा-सुनंदा के साथ उन्हें भी मणो के अनुसार भोग अर्पित किया जाता है।

अनुष्ठान के अंतिम दिन क्षेत्र के सभी देवी-देवताओं और उनके पश्वाओं को पांडाल में आमंत्रित किया जाता है। अंत में समस्त देवी-देवता उपस्थित श्रद्धालुओं, धियाणियों तथा क्षेत्रवासियों को धन-धान्य, सुख-समृद्धि और कल्याण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम के दौरान शिव-पार्वती विवाह का मंचन भी किया गया, जिसे देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
अनुष्ठान के सफल आयोजन पर बजीर देवता मंदिर समिति ने सभी ग्रामवासियों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
