पोखरी मेले की छठी संध्या रही जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के नाम, लोकगीतों पर देर रात तक झूमे दर्शक
 
                 
 
 
पोखरी (चमोली):
सात दिवसीय हिमवंत कवि चन्द्र कुंवर बर्तवाल खादी, पर्यटन एवं किसान विकास मेला पोखरी की छठी और अंतिम सांस्कृतिक संध्या उत्तराखंड के जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण और उनके साथी कलाकारों के नाम रही।

सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. महेश चौधरी एवं कल्प इंडस्ट्रियल कालेश्वर के मैनेजर प्रदीप पंवार ने फीता काटकर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रीतम भरतवाण ने “शुभ संध्या कैलाशु का” गीत से माहौल को भक्तिमय बनाया। इसके बाद “घुट घुट बाडुलि लगे”, “औ मेरा दगडूया”, “कैमरा”, “देवी जागर”, “मोहना तेरी मुरुली”, “तिवारी मा बैठी होली”, “मेरी भाना” और “सरुली मेरु जिया लगी तेरी रौतेली मुखड़ी मा” जैसे लोकप्रिय गीतों व जागरों ने पूरे मेला पांडाल को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं मेले के जनक राजेंद्र सिंह भंडारी, मेलाध्यक्ष नगर पंचायत अध्यक्ष सोहन लाल सहित मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथि भी गीतों की लय पर झूम उठे। वहीं, हजारों की संख्या में पहुंचे दर्शक देर रात तक लोकधुनों पर थिरकते रहे।
 
कार्यक्रम से अभिभूत होकर पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह भंडारी ने प्रीतम भरतवाण और उनके साथी कलाकारों को शाल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि
“इन महान कलाकारों की बदौलत उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। पोखरी मेला भी अब प्रदेश के प्रमुख मेलों में अपना स्थान बना चुका है।”

मेलाध्यक्ष सोहन लाल ने कहा कि कलाकारों की प्रस्तुतियों के कारण पोखरी मेला प्रादेशिक ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहा है।
इस अवसर पर बसंत भंडारी, मनोज भंडारी, मदीश कंडारी, गिरीश किमोठी, बिछना रौथाण, कालिका प्रसाद सती, सत्येंद्र बुटोला, पूरण सिंह नेगी, बसुधा गौतम, अर्जुन, दिलीप, काजल, राय सिंह रावत, विनोद चौहान सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मंच संचालन हर्षवर्धन थपलियाल, राजेंद्र असवाल और संतोष चौधरी ने संयुक्त रूप से किया।

 
                                         
                                         
                                        