संस्कृत और संस्कृति का संरक्षण विद्वानों के हाथों संभव – डॉ. पांडेय




देहरादून,
उत्तराखण्ड विद्वत् सभा (पंजीकृत) का सोलहवाँ स्थापना दिवस देहरादून स्थित तुलसी प्रतिष्ठान, तिलक रोड में हर्षोल्लास और गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में प्रदेशभर से पधारे विद्वज्जनों, आचार्यों एवं गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने समारोह को विशेष महत्त्व प्रदान किया।मुख्य अतिथि नगर निगम देहरादून के महापौर श्री सौरभ थपलियाल ने सभा की गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि समाज में विद्वज्जनों की भूमिका अनिवार्य है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे ज्योतिषाचार्य डॉ. रमेशचन्द्र पाण्डेय (संस्थापक अध्यक्ष, ज्ञानीगोलोक धाम एवं संरक्षक, उत्तराखण्ड विद्वत् सभा) ने कहा कि “विद्वान ही विद्वान को आगे बढ़ाता है, और उसी से संस्कृत एवं संस्कृति का संवर्धन व संरक्षण संभव है।”

समारोह की अध्यक्षता उत्तराखण्ड विद्वत् सभा के अध्यक्ष आचार्य हर्षपति गोदियाल ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि विद्वत् सभा सदैव ज्ञान, संस्कृति तथा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित रहेगी।समारोह का शुभारम्भ वैदिक यज्ञ एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर ज्योतिष पीठ व्यास पद समलंकृत शिवप्रसाद ममगाईं, भरतराम तिवारी, डॉ. रामभूषण बिजल्वाण, पवन शर्मा, सुभाष जोशी, विजेंद्र ममगाईं, जयप्रकाश गोदियाल, राजदीप डिमरी सहित अनेक विद्वानों ने अपने विचार रखे।
मंच संचालन महासचिव आचार्य अजय डबराल ने किया, जबकि स्वागत, प्रस्तावना और अन्य गतिविधियों में उपाध्यक्ष सत्यप्रसाद सेमवाल, मुरलीधर सेमवाल, विपिन डोभाल, राजेश अमोली, आशीष खंकरियाल, आदित्य राम थपलियाल एवं दीपक अमोली की महत्वपूर्ण भूमिका रही।कार्यक्रम में उत्तराखण्ड संस्कृति विभाग से अनीता पोखरियाल की टीम, तुलसी प्रतिष्ठान के प्रधान अश्विनी अग्रवाल,