रैणी गांव में धूमधाम से मनाया गया चिपको आन्दोलन की प्रणेता गौरा देवी की 49 वीं वर्षगांठ




रैणी गॉव मे चिपको आंदोलन की 49 वी वर्ष गांठ का आयोजन धूमधाम से मनाया गया।जिसमे महिला मंगल दलों व उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक जगदीश नैथवाल व उत्तराखण्ड के लोक जागर गायिका पम्मी नवल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान सबसे पहले गौरा देवी के मूर्ति पर दीप प्रज्वलित कर वृक्षारोपण किया गया।
आपको बता दें कि हरे पेड़ों को काटने के विरोध में सबसे पहला आंदोलन पांच सितम्बर, 1730 में अलवर (राजस्थान) में इमरती देवी के नेतृत्व में हुआ था, जिसमें 363 लोगों ने अपना बलिदान दिया था। इसी प्रकार 26 मार्च, 1974 को चमोली गढ़वाल के जंगलों में भी ‘चिपको आंदोलन’ हुआ, जिसका नेतृत्व ग्राम रैणी की एक वीरमाता गौरादेवी ने किया था।
गौरादेवी का जन्म 1925 में ग्राम लाता (जोशीमठ) में हुआ था। विद्यालयीन शिक्षा से विहीन गौरा का विवाह 12 वर्ष की अवस्था में ग्राम रैणी के मेहरबान सिंह से हुआ। 19 वर्ष की आयु में उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई और 22 वर्ष में वह विधवा भी हो गयी। गौरा ने इसे विधि का विधान मान लिया।
इस समारोह के अध्यक्ष जोशीमठ के उप जिलाधिकारी कुमकुम जोशी, वशिष्ठ अतिथि नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक बी0 बी0 मर्ताेलिया जी,जोशीमठ पी0 कॉलेज के प्राचार्य खाली व तहसील जोशीमठ के तहसीलदार रवि शाह व अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्तिथि थे।