राज्य सरकार के बेहतर स्वास्थ्य,सड़क सुविधाओं की खुली पोल,चट्टान से गिरा बुजूर्ग देहरादून हायर सेंटर रेफर
पोखरी (बिनगढ)भले ही राज्य सरकार गांव गांव में बेहतर सड़क,शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाये पंहुचाने का दावा कर रही हो लेकिन हकीकत अभी भी कोशो दूर है। विकट भूगोल व विषम परिस्थति के कारण उत्तर प्रदेश से 24 साल पहले अलग बनाये गये उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जनपदों में अभी आम जनता मूलभूत समस्याओं के लिए जूझ रही है। यहां के अधिकतर विद्यालय अध्यापक व स्कूल भवनों के जूझ रहे है। आये दिन होने वाली दुर्धटनाओं के बावजूद यहां के अस्पताल रेफर संेटर बने हुऐ है। जिससे आम जनता भारी समस्याओं से जूझ रही है। ताजा घटनाक्रम चमोली जनपद के पोखरी व्लाक विनगढ़ गांव का है जहां 60 वर्षीय पृथ्वी सिंह नेगी अपने पास के जंगल में गाय चुगाने गये थे। चट्टान से पैर फिसलने कारण वह गहरी खाई में गिर गये। जंगल में घास लेने गई महिलाओं के द्वारा ग्रामीणों को सूचना दी गई। घायल पृथ्वी सिंह को 5 किलोमीटर जंगल से स्ट्रेचर के द्वारा ग्रामीण ने सड़क तक पंहुचाया और कर्णप्रयाग चिकित्सालय ले गये।
गंभीर रूप से घायल पृथ्वी सिंह के सिर व कमर पर ज्यादा चोट होने के कारण कर्णप्रयाग अस्पताल से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। लेकिन प्राथमिक उपचार 4 घंटे बाद मिलने के कारण उनके सिर से अत्याधिक खून बह गया। गंभीर हालत को देखते हुए पृथ्वी सिंह नेगी को देहरादून हायर सेंटर रेफर किया गया हैं जहां उनकी हालत गंभी बनी हुई है।
सामाजिक कार्यकर्ता हरीश खाली ने का कहना है कि सड़क मार्ग न होने के कारण व अस्पतालों के रेफर संेटर बनने के कारण पृथ्वी सिंह नेगी जीवन और मौत के बीच झूलने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि पोखरी क्षेत्र का यह र्दुभाग्य रहा है कि यहां से लगातार विधायक,मंत्री,सांसद चुने जाने के बाद भी आज तक क्षेत्र में आवश्यक सड़के नहीं बन पाई है और न ही यहां के अस्पतालों का हालत सुधर पाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बीते 16 साल से यहां की सड़के बनाने का वादा करते आये हैं लेकिन हालत जस की तस बनी हुई है। आम जनता को आज भी यहां के गांवों से पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सड़क,स्वास्थ्य व शिक्षा की हालत गंभीर बनी हुई है। चुनाव के समय यहां के नेता जनता से विकास के बडे़ बडे दावे व वादे करते है लेकिन सत्ता पर काबिज होते ही जनता के कार्यो से मुहं मोड़ लेते है। तब सवाल उठता है कि क्या उत्तराखंड का निमार्ण इस लिए हुआ था कि मूल भूत सुविधाओं के लिए भी यहां की जनता को 21वीं सदी में भी जूझना पडे। आखिर जनता कब तक नेताओं की कथनी व करनी का शिकार होती रहेगी यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
-भानु प्रकाश नेगी,हिमवंत प्रदेश न्यूज पोखरी चमोली