September 13, 2025

पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की बढती चुनौतियों पर ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग आयोजित करेगा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन”

 

Rural Technology Department will organize a national seminar on the increasing challenges of agriculture in hilly areas.

 

श्रीनगर गढ़वालः उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सत्त कृषि प्रणाली का प्रोत्साहन,संभावनायें व चुनौती विषय पर ग्रामींण प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के चौरास परिसर के स्वामी मनमथन सभागार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्ववि़द्याल के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक प्रो. राजेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्द्याटन गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एम.एस. चौहान करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल व विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व कुलपति एस.पी सिंह, अन्य अतिथी के रूप में नवार्ड के मुख्य महा महाप्रबन्धक विनोद कुमार विष्ट, जवाहर लाल विश्वविद्याल के प्रो.के.के.शर्मा, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डी.के सिंह,बनारस हिन्दु विश्वविधालय के के.के.शर्मा, बाबाभीमराव विश्वविधालय के प्रोफेसर संजय कुमार, कृषि संकाय के संकायाध्य प्रो. ए. के. नेगी, पूर्व एडीसनल कमीशनर एवं उद्यान निदेशक, उत्रराखण्ड डॉ. बीर सिंह नेगी, पूर्व सलाहकार भारत सरकार ड़ा. बी. एस. नेगी एवं देश, विदेश के विभिन्न विश्वविधालयो के कृषि विषय के शिक्षाविद, गढवाल विश्वविधालय के सभी संकायध्यक्ष, समस्त प्रोफेसर शिक्षाविद, शोध छात्र, छात्र सिरकत करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में पर्वतीय क्षेत्र उन किसानों को भी आंमत्रित किया गया है जो इस समस्या से जूझ रहे है। इस संगोष्ठी में किसानों की समस्याओं के समाधान के साथ साथ उनके अन्य विकल्पों जैसे उद्यानकी,सगंध पौधा रोपण,फूलों की खेती आदि के लिए प्रेरित किया जायेगा। तीन दिवसीय संगोष्ठी में किसानों के द्वारा उत्पादित विभिन्न प्रकार के स्टॉल भी लगाये जायेंगे।
इस संगोष्ठी में विशेषज्ञों के मंथन पर आधारित व्लू प्रिंट को भारत सरकार को सौंपा जायेगा। जिससे पर्वतीय क्षेत्र में सिमटते कृषि क्षेत्र की समस्या का निदान हो सके।

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