नाबार्ड:’ग्रामीण समृद्धि’ विषय पर क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन



नाबार्ड द्वारा ‘कृषीतर क्षेत्र विकास के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि’ विषय पर क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन
देहरादून:नाबार्ड द्वारा ‘कृषीतर क्षेत्र विकास के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि’ विषय पर क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया। बैठक का आयोजन महाप्रबंधक भास्कर पंत की अध्यक्षता तथा उप महाप्रबंधक एस.एल. बिड़ला के समन्वयन में किया गया। बैठक में विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रतिभाग किया गया जिसमें उप निदेशक उद्योग- एम.एस. सजवान, सिडबी से नीरज बडवाल, भारतीय रिजर्व बैंक से महेश सिंह, केवीआईसी के राज्य निदेशक- रामनारायण, एसएलबीसी के प्रतिनिधि, उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक व उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक के महाप्रबंधक, एसएलआरएम से श्री प्रदीप पांडेय, उत्तराखण्ड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड व उत्तराखण्ड हस्तशिल्प एवं हथकरघा परिषद के प्रतिनिधि, भारतीय ग्रामोत्थान संस्था से अनिल चंदोला तथा संकल्प समाजिक संस्था से शांति परमार आदि व नाबार्ड के अधिकारीगण शामिल हुए.
बैठक में सभी का स्वागत करते हुए उप महाप्रबंधक एस.एल. बिड़ला ने क्षेत्रीय सलाहकार समिति के गठन के उद्देश्यों पर प्रकाश ड़ालते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में खेती जोत छोटी व बिखरी हुई है। ऐसे में जीवन यापन के लिए ग्रामीण केवल कृषि पर निर्भर नहीं रह सकता है। इसलिए कृषीतर गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा जो प्रदेश के आर्थिक विकास के साथ-साथ किसानों की आजीविका को बढ़ाने में सहायक होंगी। राज्य में उपलब्ध कृषीतर गतिविधियों की मैपिंग करनी होगी, उनकी संभाव्यता के अनुसार उसमें आने वाली बाधाओं जैसे आधारभूत संरचना, स्किल, वित्त विपणन आदि को मिलकर दूर करने के लिए सहभागिता आधारित कार्ययोजना तैयार करनी होगी तभी हम राज्य में ग्रामीण समृद्धि का सपना पूरा कर पाएंगे।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए महाप्रबंधक भास्कर पंत ने एनएसएसओ की 76वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कृषीतत्र क्षेत्र की गतिविधियाँ न केवल किसनों के कृषि जोखिम को कम करती है बल्कि उसकी आय को बढ़ाने में भी मददगार है। उन्होंने हस्तशिल्प, हथकरघा में स्किल तथा प्रशिक्षण देने पर जोर देते हुए कहा कि बाजार की मांग व ग्राहक की पसंद के अनुसार नए डिजाइन बानने की जरूरत है और यह तभी संभव है जब राज्य में उपलब्ध सभी हितधारक एक साथ मिलकर कार्य करें। उनका मानना है कि सभी योजनाओं को एक साथ लाकर सहभागिता से कार्य किया जाए तो वह मील का पत्थर साबित होगा।

इस अवसर पर विकास कुमार जैन ने नाबार्ड द्वारा विभिन्न माध्यमों में कृषीतर क्षेत्र को दी जा रही अनुदान व ऋण सहायता के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी जिसमें आधारभूत सुविधाओं के सृजन, कृषीतर उत्पादक संगठन, प्रशिक्षण/कौशल विकास, एमईडीपी, एलईडीपी, जीआई टैगिंग आदि पर प्रकाश डाला।
उप निदेशक उद्योग एम.एस. सजवान ने राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं जिसमें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना-अति सूक्ष्म ऋण, मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार, एक जनपद दो उत्पाद और एमएसएमई पर प्रकाश डाला और कहा ये योजनाएं कृषीतर क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण रोल अदा करती हैं।
नीरज बडवाल ने सिडबी की विभिन्न योजनाओं जिसमें एराइज, स्माइल, स्थापन,स्पीड, प्रथम, स्टार, स्वास, व आरोग आदि के बारे में विस्तार से बताया जिनका फायदा लेकर लाभार्थी कृषीतर क्षेत्र से अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के प्रतिनिधि ने बैंकों द्वारा कृषीतर क्षेत्र में दी जा रही विभिन्न योजनओं से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने निम्न साख जमा अनुपात वे जिलों में बैंकों द्वारा ऋम सुविधाओं का विस्तार कर साख जमा अनुपात बढ़ान पर जोर दिया।
भारतीय रिजर्व बैंक से महेश सिंह ने कृषीतर क्षेत्र को किसानों के लिए पूरक व अनुपूरक बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र प विशेष ध्यान देना चाहिए।
केवीआईसी के राज्य निदेशक रामनारायण ने कहा कि कृषीतर क्षेत्र बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में अहम रोल निभा सकता है। उन्होंने सभी हितधारको को एक मंच पर लाकर मिलकर कार्य करने के लिए प्रेरित करने हेतु नाबार्ड का धन्यवाद किया तथा मार्केटिंग के प्रति जागरूकता लाने के कैम्प लगाने का अनुरोध किया। साथ ही नाबार्ड से राज्य स्तरीय प्रदर्शनी लगाने की सलाह भी दी ताकि कृषीतर क्षेत्र के लोगों को उचित प्लेटफॉर्म मिल सके। समय के साथ ऑनलाइन मार्केटिंग को अपनाने की जरूरत पर बल दिया।
एसएलआरएम से प्रदीप पांडेय ने विभिन्न योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुँचाने पर बल दिया ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
उत्तराखण्ड राज्य सहकारी बैंक, उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक, एनजीओ के सदस्यों ने भी अपनी बात रखी। बैठक का समापन उप महाप्रबंधक उर्वशी गर्ग के धन्यावाद ज्ञापन से हुआ।