जीवंत ग्राम योजना का नही मिला सीमांत ग्रमीणों को लाभ,उपजिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से जनप्रतिधियों ने दिया गृहमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन
Marginal villagers did not get benefit of Jeevant Gram Yojana, public representatives gave memorandum to Home Minister and Chief Minister through Sub-District Magistrate Joshimath
चमोलीःजिला महामंत्री प्रधान संध चमोली के नेतृत्व में उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के विकास खंड जोशीमठ के दूरस्थ क्षेत्र के गावों को वाईव्रैंट विलेज/जीवंत ग्राम योजना के अंतर्गत सम्मलित किए जाने विषयक उप जिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से गृहमंत्री भारत सरकार व मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन सौपा गया।
ज्ञापन में अवगत कराया गया कि 21 अक्तूबर 2021 को आपके द्वारा उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ विकास खंड के अंतिम गांव माणा जिसको आपके द्वारा देश का प्रथम गांव का दर्जा दिया गया में पहुंच कर एक योजना का अनावरण किया गया थां। जिसका आपने वाईव्रेंट विलेज/जीवंत ग्राम नाम दिया था जिसके अंतर्गत सीमांत जनपद चमोली के सीमावर्ती क्षेत्र के लगभग नौ ग्राम सभाओ के गावों को शामिल किया गया। लेकिन सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ विकास खंड के जो सबसे दूरस्थ ग्राम सभाओ के गांव है (द्रोणागिरी,जेलम व कागा गरपक) जहां पर पहुंचने के लिए ग्रामीणों को नौ नौ किमीव पैदल का रास्ता तय करना पड़ता है और अपने दिनचर्या के सामानों को पीठ पे लाद के पहुंचाना पड़ता है उन ग्राम सभाओ के गावों को अभी तक इस योजना से वंचित रखा गया जो कि बहुत ही सोचनीय विषय है।
वाईव्रेंट विलेज/जीवंत ग्राम का जो मुख्य परिकल्पना है वह शायद ग्रामीणों को इस योजना के अंतर्गत स्वरोजगार के साधन उपलब्ध करवाना व अन्य दिनचर्या की सुविधा मुहिया करवा के पलायन पर रोक लगाना है।मगर मेरा मानना है कि जीवंत ग्राम हमको उन गावों को करना है जहां पर वास्तव में लोगो को रोजगार की सुविधा,स्वास्थ्य की सुविधा और यातायात की सुविधा नही मिल पा रही है,जहां पर लोगो को नौ नौ किमीव पैदल चलकर अपना गांव पहुंचा पड़ रहा है बीमार पड़ जाए तो कंडी व डोली की सहायता से मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है न कि उन गावों को जो विकास की मुख्य धारा सड़क से जुड़े है।
यदि ग्राम सभा द्रोणागिरी व ग्राम सभा कागा गरपक के किसी भी ग्रामीण के पास मूलभूत संसाधनों जैसे कि नमक,माचिस/आग जलाने की सुविधा समाप्त हो जाती है तो ग्रामीणों को नौ किलोमीटर पैदल चलकर अपनी उस मूलभूत सुविधा/रोजमर्रा के साधन जुटाने पड़ते है। ऐसा नही है कि उक्त छूटे हुए ग्राम सभाओं के गांव कोई अलग क्षेत्र या अलग दिशा में स्थित है बल्कि उक्त ग्राम सभाओं के गांव भी जिन गावों को वाईव्रेंट विलेज/जीवंत ग्राम योजना के अंतर्गत सम्मलित किया गया उन्ही गावों के अगल बगल में स्थित है।लेकिन इक्कीसवी सदी के तीसरे दशक की समाप्ति पर भी इन गावों को आज तक सड़क,स्वास्थ्य व दूर संचार के साधनों से नही जोड़ा गया।
विगत दो ढाई वर्ष से वाईव्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत सिर्फ ग्रामीणों से कार्य योजना मांगी जा रही है धरातल पर कोई भी कार्य योजना का अभी तक प्रोग्रेस में दूर दूर तक नही दिखाई दे रही है जबकि वाईव्रेंट विलेज योजना से पहले नीती माणा घाटी मे बीएडीपी (बॉर्डर एरिया डेप्लोमेंट प्रोग्राम) के तहत करोड़ो रुपए की योजनाओं का काम किया जाता था। लेकिन विगत ढाई वर्ष से कोई भी कार्य इन घाटियों में नही किया जा रहा है।