चलो मतदान करें मजबूर नहीं मजबूत बनकर देश का उत्थान करें : प्रसिद्ध कवि बलबीर सिंह अडिग की खास कविता



Let’s vote, don’t be forced, let’s uplift the country by becoming strong: Special poem by famous poet Balbir Singh Adig.
चलो मतदान करें
मजबूर नहीं मजबूत बनकर, देश का उत्थान करें
लोकतंत्र के पर्व पर, निस्वार्थ हो मतदान करें ।
चलो नित्य के काम धंधों को जरा तनिक बिराम दें
चलायमान उदर साधना को एक दिन का आराम दें
निकलें घर से आवाज दें, भ्रष्टाचार पर चोट करें
हिंदुस्तान की मजबूती को, मिलकर सब वोट करें
भागीदारी यह देश निमित, राष्ट्रहित में श्रमदान करें
लोकतंत्र के पर्व पर, निस्वार्थ हो मतदान करें ।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के, आप मतदाता हो
आपका वोट अमोल है, आप राष्ट्र भाग्य विधाता हो
ये मत समझना मेरे न जाने, से क्या होने जाएगा
आपके न जाने से देश, असक्षम को ढोने जाएगा
सामर्थ्यवान को समर्थ करेंगे, चलो मिलकर आह्वान करें
लोकतंत्र के पर्व पर, निस्वार्थ होकर मतदान करें।


बहकावे में आकर वोट अपना, सूदों न व्यर्थ करें
अधिकार है आपका यह, जिसे चाहो हो समर्थ करें
भान रहे इतना जरूर, आपकी मुहर व्यर्थ न जाए
घपला घोटालेबाज व्यक्ति, संसद तक ना पहुँच पाए
तिजोरी भरने देश लूटने वालों का, समाधान करें
लोकतंत्र के पर्व पर, निस्वार्थ होकर मतदान करें।
स्व स्वार्थ की राजनीति से, लोकतंत्र गर्त में जा रहा
राष्ट्रहित परे रखकर, जनों में फर्क किया जा रहा
यही समझना और समझाना, जिम्मेवारी का काम है
सक्षम व्यक्ति को चुनकर भेजना, बफादारी का नाम है
जाति-धर्म से ऊपर उठकर, संविधान का मान करें
लोकतंत्र के पर्व पर, निस्वार्थ होकर मतदान करें।
@ बलबीर राणा अडिग
मटई चमोली

