December 22, 2024

जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान ने पूर्ण किया वर्ष 2023 का औषधीय वृक्षारोपण का लक्ष्य।

 

 

भानु प्रकाश नेगी,हिमवंत प्रदेश न्यूज चमोली

चमोली/गोपेश्वरःउत्तराखंड को जड़ी बूटी प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है यहां दिव्य औषधीय जड़ी बूटियों का अनमोल खजाना हिमालय की गोद में समाया हुआ है। इन जड़ी बूटियों का उपयोग जनहित में करने के लिए प्रदेश में  1989 में की गई  थी ।वर्ष 2010 में इस संस्थान को जनपद चमोली के जिला मुख्लालय से लगभग 16 किलामीटर की दूरी पर स्थित मण्डल गांव स्थापित किया गया ।इस संस्थान का संचालन डॉ आर सी सुन्दरियाल के कार्यकाल में शुरू किया गया था। वहीं तत्कालीन निदेशक डॉ. बी.एस नेगी के कार्यकाल 2016-17 के दौरान यहां ढांचागत सुविधाओं का विकास हो पाया। और अब इस संस्थान से सम्पूर्ण प्रदेश के कृषको व कास्तकारों को फायदा पंहुचने लगा है।
वही जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान में वर्ष 2023-24 के हर्बल वृक्षारोपण का लक्ष्य लगभग पूर्ण हो गया है। इस वर्ष जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान गोपेश्वर मण्डल द्वारा जड़ी बूटी पौधों के वृक्षारोपण लिए 260 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था, जो लगभग पूर्ण हो चुका है। निदेशक जड़ी बूटी एवं सीडीओ चमोली डॉ ललित नारायण मिश्र का कहना है कि इस हर्बल वृक्षारोपण में 5500 किसानों को लाभान्वित किया गया है। और अभी कुछ वृ़क्षारोपण जारी हैं जिससे वृक्षारोपण का क्षेत्रफन बढ़ेगा। इस बार का अधिकतर वृक्षारोपण चमोली जनपद के नीती माणा समेत उच्च हिमालयी गांवों के ग्रामीणों के साथ किया गया।
जडी बूटी शोध व विकास संस्थान के बैज्ञानिक डॉ सी पी कुनियाल का कहना है कि संस्थान द्वारा उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में कूट,कूटकी,अतीश,फरण,काला जीरा, मध्यक्ष क्षेत्र में तेजपात,बड़ी ईलाईची,सतावर, निम्न क्षेत्र में सर्पगंधा,सतावर की खेती को बढ़ावा दिया जाता है। साथ ही जड़ी बूटी शोध संस्थान के द्वारा किसानों को विपणन में भी हर प्रकार की संभव मदद की जाती है। जनपद चमोली के कई किसान अपने औषधीय पौधों के उत्पाद को अमेरिका,जर्मनी में बेचते है। जिसके लिए संस्थान द्वारा वन विभाग के माध्यम से एल पी सी प्रदान की जाती है।
गौरतलब है कि जड़ी बूटी शोध संस्थान सम्पूर्ण उत्तराखंड में औषधीय एवं सगंध पादपों की खेती को बढावा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मुख्य रूप से इस संस्थान के द्वारा प्रदेश के किसानों के किसानो को कृषिकरण के लिए प्रोत्साहित करना,औषधिय पादपों का सर्वे एवं सरक्षण करना, कास्तकारों का अभिलेखीकरण करना है।

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