हरकू का चौतरफा विरोध, क्या “छल“ के ऑसू इस बार होंगे दरकिनार!
हरकू का चौतरफा विरोध क्या “छल“ के ऑसू इस बार होंगे दरकिनार!
देहरादून-साल 2022 के विधानसभा चुनाव आते ही एक बार फिर से पूर्व कैविनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने दल बदल अपना पुराना रिकार्ड कायम रखा। पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार में विधानसभा के अंदर सारे आम बगावत करते हुऐ कांग्रेस छोड़ भाजपा में सामिल हुए थे। साथ ही 8 अन्य विधायकों ने भी भाजपा में सामिल हो कर उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया था। लेकिन अब हरक सिंह रावत की इस विधानसभा चुनाव में कोटद्वार सीट से जीत पक्की न होने और अपने अलावा अपने दो परिजनों को टिकट की जिद से भाजपा ने उन्हें पार्टी से छ साल के लिए निस्कासित कर दिया है। वहीं हरकू के कांग्रेस में सामिल होने से पहले ही कांग्रेस के केदारनाथ विधायक मनोज रावत दिग्गज नेता पूर्व कैविनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट,पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, समेत पार्टी कार्यकर्ता विरोध में उतर आये है। लिहाजा हरकू की स्थिति फिलहॉल न घर का और न घाट का जैसी हो रखी है। इस स्थिति को लेकर राजनीतिक गलियारों में उनके नई पार्टी बनाने की चर्चा भी चल पड़ी है। लेकिन उत्तराखंड राज्य निमार्ण के बीस साल बाद अब हरकू के चाल,चरित्र और चेहरे से हर उत्तराखंडी वाकिव हो गया है। समय समय पर छलकते उनके घड़ियाली ऑसुओं को आम जनता समझ चुकी ही कि ये उनके जनता के दर्द के लिए छलके ऑसू नहीं है बल्कि ये “छल“ के ऑसू है।