प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक देबू रावत ने फिल्म विकास बोर्ड पर लगाया शोषण का आरोप
देहरादून :प्राकृतिक सुंदरता और शुद्ध आबोहवा के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध उत्तराखंड फिल्म निर्माण के लिए सबसे मुफीद स्थान है। फिल्म निर्माण को लेकर बीते साल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा फिल्म कॉन्क्लेव का आयोजन कर देश विदेश के निर्माता निर्देशकों को उत्तराखंड आमंत्रित किया गया, साथ ही यहां के स्थानीय सिनेमा के निर्माता निर्देशकों को भी प्रोत्साहन के तौर पर फिल्म विकास बोर्ड के जरिए 30% सब्सिडी सब्सिडी देने का जीओ जारी किया गया। जिससे यहां की निर्माता निर्देशक को आंचलिक फिल्में बनाने में प्रोत्साहन मिला लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लाॅकडाउन से कई आंचलिक फिल्में रिलीज नहीं हो पा रही है। जिससे अब निर्माता निर्देशकों और फिल्म व लोक कलाकारों पर रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है ।
वही प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक देबू रावत का का कहना है कि, साल 2019 में राज्य सरकार द्वारा फिल्म प्रोत्साहन के लिए सराहनीय कार्य किया गया। जिसमें पहली बार चार उत्तराखंडी फिल्मों को सब्सिडी दी गई। लेकिन अधिकारियों के उदासीन रवैया के कारण उनके द्वारा बनाई गई कन्यादान फिल्म की सब्सिडी की फाइल सचिवालय अभी तक मैं धूल फांक रही है। उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों पर सीधा आरोप लगाया है कि अधिकारियो की लापरवाही के कारण उत्तराखंड के फिल्म निर्माताओं काफी नुकसान हो रहा है ।
उत्तराखंडी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता पन्नू गुसाईं का कहना है की राज्य सरकार को कलाकारों का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि कलाकार ही उत्तराखंड की संस्कृति को देश विदेशों में पहुंचाते हैं। और कोरोना काल में कलाकारों को ही सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में आंचलिक फिल्म व अन्य भाषाओं की फिल्मों को प्रोत्साहन के लिए सराहनीय कार्य किया गया। उत्तराखंड के फिल्म निर्माताओं के लिए 30% सब्सिडी की भी व्यवस्था भी की गई लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण बंद पड़े सिनेमा हॉल वह मल्टीप्लस से फिल्म निर्माताओं वह कलाकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वही अधिकारियों की लापरवाही के कारण फिल्म निर्माताओं की सब्सिडी भी रुकी हुई है, जिससे निर्माता निर्देशकों का मनोबल टूटता जा रहा है।अब देखने वाली बात यह होगी राज्य सरकार आंचलिक फिल्मों के निर्माता निर्देशकों की बात को कितनी गंभीरता से लेती है।
Bhanu Prakash Negi