क्लाईमेट ट्रेंडस द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन का उत्तराखंड पर प्रभाव कार्यशाला में विशेषज्ञों ने जताई चिन्ता
देहरादूनःक्लाईमेट ट्रेंडस द्वारा उत्तराखंड पर जलवायु परिवर्तन और इसके कारण बदलते सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और सतत विकास के रास्तों पर देहरादून राजपुर रोड़ स्थित एक निजी होटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में पधारे पर्यावरण के विशेषज्ञों ने उत्तराखंड में पर्यावरण परिवर्तन के कारण भूधसांव व तापमान परिवर्तन समेत अनेक पर्यावरणीय समस्याओं पर गंभीर चिन्ता जताई। इस दौरान
विशेषज्ञों का ने कहा कि भारत को अपनी विकास योजनाओं के केंद्र में जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को शामिल करना ज़रूरी है।
उत्तराखंड को निर्माण, मलबा निस्तारण और जल निकासी के नियमों को सख़्ती से लागू करने की आवश्यकता है।
राज्य को अपने पहाड़ों और कस्बों की वहन क्षमता पर गहन अध्ययन और इसके पारिस्थितिकी तंत्र पर उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की आवश्यकता है।
राज्य भले ही सामान्य वर्षा की श्रेणी में आ गया हो लेकिन अगर हम आंकड़ों पर नज़र डालेंगे तो सच्चाई थोड़ी अलग है। आंकड़ों के मुताबिक़ ज्यादातर बारिश की भरपाई ‘अधिक’ या ‘अत्यधिक’ बारिश के कारण हुई है।मानसून में मौसम की चरम घटनायें हावी रही हैं।
उत्तराखंड पर जलवायु परिवर्तन और इसके कारण बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और सतत विकास के रास्तों पर कार्यशाला में अतिथि प्रोफेसर दुर्गेश पंत, एनडीएमए से कुणाल सत्यार्थी,एसपीसीबी से एसके पटनायक,. कपिल जोशी (अतिरिक्त पीसीसीएफ-पर्यावरण), बिक्रम सिंह (आईएमडी), डॉ. कलाचंद सैन, निदेशक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, डॉ. पूनम गुप्ता (यूसीओएसटी), डॉ रीमा पन्त और डॉ. एसके ढाका (प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय) अपने विचार साझा किये।