November 21, 2024

पशुपालन विभाग की लापरवाही के कारण आवारा घूम रहे है दुर्लभ प्रजाति के याक

    -पुष्कर सिंह राणा,हिमवंत प्रदेश न्यूज जोशीमठ/नीती घाटी

जोशीमठ/नीतीःसीमान्त नीती घाटी के सुराईथोटा से लगभग पांच किलोमीटर आगे गाड़ी व्रिज नामक स्थान पर तीन दुर्लभ प्रजाति के याक बीते कई दिनों से लावारिस हालत में घूम रहे है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, याक कई दिनों से जुम्मा औऱ सुराईथोटा के बीच लावारिस घूम रहे है। इनकी देख रेख करने वाला कोई नही है। हिमवंत प्रदेश न्यूज की टीम ने स्थानीय लोगो से ज्यादा जानकारी ली तो उनका कहना था कि, ये एक प्रकार से दुर्लभ जाति के जानवर है इनकी संख्या लगभग 15 से 20 तक है। इनकी देख-रेख की जिम्मेदारी सरकार ने पशुपालन विभाग को दी हुई है और विभाग ने दो तीन कर्मचारी इनकी देख रेख के लिए नियुक्त किये है। लेकिन कर्मचारी कहाँ है,कौन है किसी को पता नही है? जिस कारण से ये रोड पर लावारिस घूम रहे है।

अन्य याको के बारे में पूछा तो स्थानीय लोगों का ये भी कहना था कि वैसे तो इनको इस समय द्रोणागिरी गॉव के बुग्यालों मे होना चाहिए था। शायद ये तीन याक अन्य याको से बिछुड़ गए होंगे और ये बुग्याल से उतर कर नीचे रोड की तरफ आ गए और कुछ दिनों से यही लावारिस घूम रहे है। दुर्लभ प्रजाति के जानवरों के लिए सरकार द्वारा विभाग के लिए अलग से बजट का प्रावधान है,जिससे इनकी देख रेख ठीक प्रकार से हो सके। आमतौर पर जब द्रोणागिरी के बुग्यालों मे ठंड ज्यादा हो जाती है या बर्फवारी शुरू हो जाती है तो विभाग द्वारा इनको नीती घाटी के निचले क्षेत्रो जैसे सुकी,तोलमा व लाता के जंगलों मे शिफ्ट किया जाता है और जब इन क्षेत्रों में गर्मी शुरू होती तो इनको विभाग द्वारा उच्च हिमालय के द्रोणागिरी बुग्यालों मे भेजा जाता है।

कुल मिलाकर शीतकालीन प्रवास के दौरान जब द्रोणागिरी गॉव के लोग माइग्रेट करते है तो इन याको को भी विभाग द्वारा निचले क्षेत्र के जंगलों मे शिफ्ट किया जाता और जब गॉव वाले ग्रीष्मकालीन प्रवास मे द्रोणागिरी गॉव पहुँचते है तो विभाग इनको भी द्रोणागिरी के बुग्यालों मे शिफ्ट करता है। लेकिन यहां विभाग की घोर लापरवाही देखने को मिल रही है। जिसका नतीजा ये है कि इन दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को लावारिस छोड़ दिया गया है। स्थानीय लोगो ने शासन प्रशासन से औऱ सम्बंधित विभाग से अनुरोध किया है कि तुरन्त इन दुर्लभ प्रजाति के जानवरों का संज्ञान लेकर उनको उचित स्थान तक उनके अन्य साथियों के पास पहुँचा दिया जाय। वरना जैव विविधता को नुकसान पंहुचने पर स्थानीय लोग अग्रिम कार्यवाही/कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

 

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