किमोली गांव से माॅ नंदा सुनंदा की कैलाश विदाई पर भावुक हुई धियाणियां।



उत्तराखंड अपनी समृद्ध लोक परम्परा, संस्कृति व विरासतों के विश्व विख्यात है। यहां पर देवी व देवताओं की पूजा अर्चना के संबध में कई कथायें प्रसिद्व है। इसी श्रृखला में जनपद चमोली के कर्णप्रयाग तहसील स्थित मां नंदा सुनंदा कात्यायनी देवी का मंदिर भी है। यह मंदिर कर्णप्रयाग तहसील से 18 किलोमीटर की दूर व सड़क मार्ग से दो किलोमीटर की चढाई पर किमोली व पारतोली गांव के पास स्थित है।
पौराणिक परमपराओं के अनुसार किमोली व पारतोली गांव के ग्रामीणों के द्वारा किमोली गांव में मां नंदा कात्यायनी देवी का 9 दिन तक पूजा अर्चना की जाती थी। यहां मॉ नंदा कात्यायनी देवी को ग्रामीण अपनी धियांण मानते है। इस लोक महाउत्सव में क्षेत्र के भक्तों के अलावा अनेक स्थानों से यहां मॉ नंदा कात्यायनी के दर्शनों के लिए पधारते है। 9 दिनों की भव्य पूजा अर्चना के बाद मॉ नंदा कात्यायनी को कैलाश पर्वत के लिए विदा किया जाता है। जिसमें धियाणियों व ग्रामीणों के द्वारा मॉ नंदा कात्यायनी को,श्रंगार का सामान,रोट,हलवा,ककड़ी,मुगरी,चुयूडा,आदि स्थानीय सामाग्री भेंट की जाती है। मॉ नंदा कात्यायनी की विदाई के दौरान माहौल अतियंत भावुक हो जाता है। 9 दिन की पूजा अर्चना में कही बारिस नहीं होती लेकिन जब विदाई का वक्त आता है तक जमकर बारिस होती है।ऐसा माना जाता है कि मॉ नंदा कात्यायनी अपनी विदाई के वक्त भावुक हो जाती है और बारिस के रूप में जमकर ऑसू बहती है।
कोरोना काल के बाद किमोली पारतोली गांव में आयोजित इस लोक महाउत्सव को भारी उत्साह के साथ मनाया गया। जिसमें राजेश नेगी समेत सभी ग्रामीणों का खास सहयोग रहा।
भानु प्रकाश नेगी ।हिमवंत प्रदेश न्यूज किमोली गांव,कर्णप्रयाग चमोली।