July 20, 2025

चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत समिति ने बद्रीनाथ मास्टर प्लान के संबंध में पर्यटन सचिव से वार्ता

 भाजपा नेता रवीन्द्र जुगरान की अगुवाई में चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महा पंचायत समिति के एक प्रतिनिधीमंडल ने बद्रीनाथ धाम में हो रहे निर्माण कार्यों के संबंध में सचिव पर्यटन  सचिन कुर्बे से सचिवालय में चर्चा वार्ता की।

महापंचायत के अध्यक्ष  कृष्ण कांत कोटियाल, महामंत्री हरीश डिमरी विधी सलाहकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त राजेन्द्र कोटियाल जी सम्मिलित थे।

प्रतिनिधी मण्डल ने कहा कि बद्रीनाथ जी को सतयुग धाम, बैकुंठ धाम व मोक्ष धाम भी कहा जाता है। इसका वर्णन भगवत पुराण, स्कंद पुराण एवं महाभारत काल में भी आता है। इसकी पौराणिक, आध्यात्मिक व पूजा पद्धति के सैकड़ों वर्षों की परम्परा को अश्रुण बनाये रखे जाना जरूरी है।

मास्टर प्लान लागू करते समय यह किसी भी प्रकार से प्रभावित ना हो। आरम्भ में बद्रीनाथ महायोजना 1999 तक के लिए थी जिसे 20 मार्च 2012 को वर्ष 2025 तक के लिए बढ़ाया गया। प्रतिनिधिमंडल ने प्रथम आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि बद्रीनाथ नारायण पुरी का क्षेत्र विनियमित क्षेत्र में नहीं था मात्र बद्रीनाथ मंदिर परिसर का क्षेत्र विनियमित क्षेत्र में सम्मिलित था तो रिवर फ्रंट के नाम पर कैसे काम चल रहा है। जिसमें की अलकनंदा नदी में भारी मशीनें चल रही हैं, बाजार तोड़ दिया गया, पुरोहितों के अनेक भवन तोड़ दिये गये। 08 जून 1966 की अधिसूचना अनुसार सम्पूर्ण बद्रीनाथ विनियमित क्षेत्र में था। 1974- 75 में हेमवती नंदन बहुगुणा के मुख्यमंत्रित्व काल में बहुगुणा  द्वारा तत्कालीन वित्त मंत्री नारायण दत्त तिवारी की अध्यक्षता में 19 सदस्यों की कमेटी गठित की जिसने ऊतर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रेषित करते हुए कहा रिपोर्ट के अध्याय चैप्टर 05 में बद्रीनाथ मंदिर एवं पुरी क्षेत्र के सुनियोजित विकास के संदर्भ में समिति ने स्पष्ट मंतव्य दिया की अलकनंदा नदी के दाहिने तट पर जो भी स्थान उपलब्ध है उसमें पराकाष्ठा तक निर्माण हो चुका है और अब और निर्माण की कोई संभावना नहीं है।

विशेषज्ञों का भी यही मत था कि अब और निर्माण हानिकारक हो सकता है। इसी आधार पर उतर प्रदेश सरकार ने  26 नवंबर 1997 को अधिसूचना जारी की जिसमें अलकनंदा के दाहिनी ओर से ऋषि गंगा नदी तक के क्षेत्र को विनियमित क्षेत्र की सीमा से बहार कर दिया गया।

प्रतिनिधी मण्डल ने प्रश्न किया की जब यह विनियमित क्षेत्र है ही नहीं तो फिर वहां कौन से नियम कानून से महायोजना के अन्तर्गत कार्य चल रहा है? जबकि पुनरिक्षित महायोजना में स्पष्ट रूप से लिखा है की बद्रीनाथ पुरी का वो भूभाग जो विनियमित क्षेत्र में सम्मिलित ही नहीं है उसका तो सर्वेक्षण ही नहीं किया गया है।

दूसरी आपत्ति में कहा गया की जब कपाट बंद थे तो भू स्वामी व भवन स्वामीयों की अनुपस्थिति में बिना मुआवजा दिये दुकानों मकानों को ध्वस्त कर दिया गया। प्रतिनिधी मण्डल ने मांग की भूमि अर्जन एवं विस्थापन की कार्यवाही भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्विस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 के अनुसार किया जाय। प्रतिकर हेतु सर्किल रेट का निर्धारण मंदिर से दूरी को केंद्र बिंदु मान कर किया जाय राष्ट्रीय राजमार्ग को मान कर नहीं। पुनर्वासन व पुनर्स्थापन हेतु ऐसी नीति बनाई जाय जो संशोधित राष्ट्रीय पुनर्वासन एवं पुनर्विस्थापन नीति 2007 के आधार पर हो या उससे बेहतर।

विस्थापन से पूर्व पुनर्वास के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए वरीयता दी जाय। रवीन्द्र जुगरान ने अवगत कराया की वार्ता सौहार्द पूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुई और सचिव पर्यटन उत्तराखंड शासन सचिन कुर्बे जी ने हमें 30 अगस्त तक का समय दिया है।

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