चमोली: ठेली गांव सौ साल बाद भी नही बन पाया राजस्व ग्राम,आन्दोलन को मजबूर ग्रामीण


देहरादून:एक ओर हमारा देश जहां आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों में ऐसे गांव हैं जो अभी तक राजस्व ग्राम घोषित नहीं हो पाए हैं। लगभग सौ साल से अधिक बीत जाने पर भी राजस्व गांव न बनना इन गांवों के लिए जी का जंजाल बन गया है। इसका जीता जागता उदाहरण है चमोली जनपद का ठेली गांव बना हुआ है जो आजादी से पहले स्थापित होने के बाद भी राजस्व गांव नहीं बन पाया है।
इस गांव में 200 से अधिक मतदाता और 300 से ज्यादा आबादी होने के बाद भी यह गांव मूल गांव पमेठी से अलग नहीं हो पाया है ।सरकारी रिकॉर्ड पलेठी गाँव में होने के कारण यहां के ग्रामीणों को मूल निवास प्रमाण पत्र, स्थाई निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड सरकारी व गैर सरकारी नौकरी के लिए प्रमाण पत्रों को ठीक करवाने के लिए दर-दर भटकना पढ़ रहा है।


ग्रामीण महिला कमला रावत का कहना है की इस समस्या के कारण पंचायत पदों जैसे आशा कार्यकर्ती, प्राथमिक विद्यालयों में भोजन माता , ग्राम प्रहरी समेत किसी भी पद पर नियुक्ति नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों द्वारा क्षेत्र के जिलाधकारी ,विधायक ,जिला पंचायत सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष समेत तमाम अधिकारियों को ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है अपनी समस्या का समाधान ना होते देश तेली गांव के ग्रामीण आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर है।
-भानु प्रकाश नेगी,हिमवंत प्रदेश न्यूज

