उत्तराखंड के दूरस्थ पहाड़ी जिलों में आज भी नहीं सुधरी महिलाओं की स्थिति
रिपोर्टरः नीरज गोयल
बागेश्वर जिले में हिमालय से सटे सामा गांव में महिलाओं का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। महिलाएं पुरुषों की गैरमौजूदगी में कठिन परिश्रम करने से पीछे नहीं हटती। यहां तक की महिलाएं खेती के लिए भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए तपती धूप में खुद ही खेत को जोतने के लिए मजबूर हैं। बता दें कि गोगीना क्षेत्र के रिठकुला और रातिर केटी समेत कई गांव में महिलाएं जंगल से लकड़ी लाकर अपने घर का चूल्हा चौका करती है। यहां तक की खेती-बाड़ी करने में भी महिलाएं पीछे नहीं है। इन महिलाओं के पूर्वजों ने पहाड़ को काटकर छोटे-छोटे खेत बनाएं, जिसमें फसल उत्पादन के लिए आज हर परिवार कृषि संसाधनों की कमी के चलते खेती-बाड़ी करने के लिए काफी जूझ रहा है। ज्यादातर परिवार की महिलाएं बैल ना होने के कारण खुद हल से खेत जोतकर फसल उगाने के लिए मजबूर है। जिससे उन्हें अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज मिल सके । गांव की प्रधान का कहना है कि साधन और गरीबी की कमी के चलते लोग मजबूरी में यह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण यहां सरकार द्वारा चलाई जा रही कोई भी योजना और संसाधन नहीं पहुंच पाते और ना ही यहां संचार की व्यवस्था है। जिससे यहां के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है।