संस्कृति, कला व विरासत का अदभुत संगम,विश्व धरोहर रम्माण मेला का भव्य शुभारंभ।


विश्व धरोहर रम्माण मेले का भव्य शुभारंभ।
जोशीमठ:जनपद चमोली के स्लूड डुग्रा में विश्व धरोहर रम्माण मेले का भव्य आयोजन किया गया। पहली बार जिला प्रशासन के सहयोग से रम्माण मेला आयोजित किया गया ।
प्रतिवर्ष अप्रैल माह के अंत या मई के प्रथम सप्ताह में आयोजित होने वाले विश्व धरोहर रम्माण की धार्मिक पूजा एवं अनुष्ठान कार्यक्रम बैसाखी पर्व से शुरू हो गया था। इसी दिन इस मेले के मुख्य आयोजन की तिथि भी निकली गई थी । बीते दिन रात को मुखौटा नृत्य का आयोजन किया गया जबकि भूमियाल देवता के मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मेले का आयोजन हुआ । जिसमें ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अभि मुक्तेश्वरानंद व बद्रीनाथ के विधायक लखपत बुटोला ने भाग लिया ।
इस बार पर्यटन विभाग द्वारा मेले को आयोजित किया गया था । इस अवसर पर सेना द्वारा मेडिकल कैंप भी लगाया गया था । जबकि दूर- दराज से आए लोगों के लिए ग्रामीणों द्वारा भंडारे का भी आयोजन किया गया।


रम्माण का इतिहास लगभग
500 बर्ष पुराना माना जाता है।
यूनेस्को ने 2 अक्टूबर 2009 में रम्माण को विश्व सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी थी। रम्माण की प्रस्तुति गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में भी की जा चुकी है। रम्माण एक पारंपरिक लोक उत्सव है। जिसमें रामायण और महाभारत के पात्रों को मुखौटा नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है । इस आयोजन में 18 मुखोटे, 18 ताल, 12 ढोल, 12 दमोऊ व आठ भंकोरे का उपयोग किया जाता है । रम्माण में राम, लक्ष्मण, सीता व हनुमान जैसे पात्रों के नृत्य व गायन के माध्यम से धार्मिक कथाओं का जीवंत चित्रण किया जाता है । रम्माण का आयोजन संस्कृति, कला, विरासत और आस्था का अदभुत संगम है। जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है । यह उत्तराखंड की संस्कृति एवं विरासत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो दुनिया में यहां की संस्कृति को संजोने का काम करता है ।