अधिक पढ़े लिखे व जानकार लोग मानसिक विकलांगता के शिकार हो सकते है
मानसिक विकलांगता
विकलांगता के बारे में सोचते ही हमें एक ऐसी अक्षमता का ज्ञान होता है जैसे शरीर से जुड़ी हुई है, यानी कोई ऐसी स्तिथि जिसमें हम किसी अंग के होते हुए भी उसका प्रयोग करने में अक्षम हों। लेकिन विकलांगता सिर्फ शारीरिक ही नहीं होती है विकलांगता का एक और स्वरूप है और ये आज हमारे सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में आ चुका है। विकलांगता को परिभाषित करने में नये विषय को जोड़ने का समय आ गया है, जी हाँ, ये मानसिक विकलांगता के बारे में है। ये एक ऐसी अक्षमता है जिसे हम स्वीकार करने में ज्यादातर विफल हो जाते हैं। हम ये स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि हमारी मानसिक क्षमताओं का ह्रास हो गया है या होता जा रहा है और हम अपनी कई क्षमताओं को बढ़ाने के बजाय दिन पर दिन उसको घटाने के लिए किसी आदत में शामिल हो चुके हैं।
जरूरी नहीं है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ और पूर्ण व्यक्ति मानसिक रूप से भी वैसा ही हो। मानसिक विकलांगता से जूझता हुआ व्यक्ति आपको मुस्कराता हुआ और अपने दैनिक कार्यों को करते हुए दिख सकता है और आपको अंदाजा भी नहीं लगेगा कि वह किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है। मानसिक परेशानियां अधिकांश तौर में अधिक पढ़े लिखे और जानकार लोगों में पाई जाती हैं। ये सच है कि व्यक्ति जितना अधिक साक्षर होगा, जानकार होगा वो अपने लिए उतनी ही चुनौतियाँ खड़ी कर सकेगा। निरक्षर और कम जानकार लोग अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में ही अपना सारा ध्यान लगा देते हैं।
आज के इस सूचना जगत में हर तरफ से आती भ्रामक और अस्पष्ट सूचनाएं हमारे मानसिक विश्वासों और मूल्यों को छेड़ कर उन्हें कई बार बदल भी देती हैं। और हम ना चाहते हुए भी किसी ना किसी प्रकार की मानसिक विकलांगता का शिकार हो जाते हैं।
आखिर मानसिक विकलांगता है क्या? जब हमारा मस्तिष्क और उसकी विचार प्रणाली हमारे हित में काम करना कम या बंद कर दे, सही निर्णय लेने में कठिनाई होने लगे, आपकी शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक गुणवत्ता में गिरावट होने लगे तो आपको समझ जाना चाहिए कि कुछ ऐसे कारक हैं जो आपके सामान्य और स्वस्थ जीवन में रुकावट पैदा कर रहे हैं। ये सारी अक्षमता ही मानसिक विकलांगता के लक्षण है और यदि समय रहते इस पर काम नहीं किया गया तो हमारा मस्तिष्क जैसा ताकतवर अंग सही तरह से काम करना बंद कर देता है और हम मानसिक विकलांगता के साथ ही बाकी का जीवन जीने लगते हैं।
मानसिक विकलांगता से बचने के लिए तरीके: मानसिक अक्षमता बीते समय में एक शर्मिंदगी का विषय रही है, पर आज के आधुनिक जगत में नई युवा पीढ़ी इस मुद्दे पर बात करने के लिए आगे आती है। ये बहुत अच्छे संकेत हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इस विषय पर अधिक सार्थक संवाद की जरूरत है। ये संवाद बिना किसी पूर्वधारणा के नये पहलू को खोजने के लिए होने चाहिये। यदि किसी व्यक्ति को मानसिक कार्यक्षमता में चुनौती आने लगे तो इस पर सलाह लेना और बात करना जरूरी हो जाता है। मानसिक परेशानियों के बारे में अधिक से अधिक सूचनाएं और उनके समाधान के लिए उपलब्ध साधनों तक आसान पहुँच इस परेशानी से बचने के लिए सहायक होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस तरह की परेशानियां होती है तो उसकी बात को खुले और ग्रहणशील सोच के साथ सुनना उस व्यक्ति की आधी समस्या का समाधान करने के लिए काफी है।
जिस तरह हम किसी शारीरिक विकलांगता को धारण किये हुए व्यक्ति के साथ सहानुभूति के साथ पेश आते हैं उसी तरह मानसिक चुनौतियों से लड़ते हुए व्यक्ति के साथ भी हमें सहानुभूति और सहायता के लिए मदद करने वाले साथी के रूप में मिलेंगे तो आने वाले समय में होने वाली स्थायी मानसिक विकलांगता से उसे बचा सकेंगे। इसके लिए हमें किसी भी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर तक पहुंच कर मदद के लिए माँग करना पूरी तरह से जायज और शक्तिशाली होने का प्रमाण है न कि किसी कमज़ोरी का।
डॉ. पवन शर्मा (द साइकेडेलिक)
संस्थापक-फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसायटी