February 16, 2025

सौड़ा सरोली में हुआ विराट गढ़वाली कवि सम्मेलन और पुस्तक का लोकार्पण

   

Virat Garhwali Kavi Sammelan and book launch held in Sauda Saroli

 

देहरादूनरू रायपुर सौड़ा सरोली अटल उत्कृष्ट राजकीय इन्टर कॉलेज मे भव्य साहित्यिक अयोजन हुआ। कार्यक्रम दो सत्रों में अयोजित किया गया। पहले सत्र में गढ़रत्न  नरेन्द्र सिंह नेगी जी की अध्यक्षता में सुबेदार बलबीर सिंह राणा ‘अडिग’ की गढ़वाली कहानी संग्रह ‘बिदै अर हौरि कहानि’ का लोकार्पण हुआ। सत्र का संचालन गढ़ साहित्य अलंकरण गिरीश सुन्दरियाल जी द्वारा किया गया। सत्र में बलबीर राणा अडिग के लेखकीय उद्बोधन के बाद साहित्य विद व विदुषी  बीना बेंजवाल द्वारा कथा संग्रह ‘विदै अर हौरि कहानि’ पर समक्षीय व्याख्यान एवं कर्नल (सेवानिवृत) मदन मोहन कण्डवाल द्वारा कथाकार के साहित्य, सैन्य जीवन व भारतीय सेना एवं विश्व सैन्य साहित्य पर विस्तृत ज्ञानोर्पाजन व्याख्यान दिया। सत्र के अन्त में नरेन्द्र सिंह नेगी जी द्वारा अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन आम जनता को सावधान किया जो अपने बच्चों को गढ़वाली साहित्य नहीं पढ़ा रहे हैं साथ में उन्होने कहा कि केवल साहित्य पर निर्भर नहीं सभी को अपनी गढ़वाली भाषा के लिए सचेत और संवेदशील होना पड़ेगा।

 


कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विराट गढ़वाली कवि सम्मेलन हुआ जिसका संचानल वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार व कुशल मंच संचालक  गणेश खुगशाल ‘गणी’ जी के द्वारा किया गया। जिसमें  गिरीश सुन्दरियाल,  धर्मेन्द्र नेगी,  प्रेमलता सजवाण,  बलबीर राणा ‘अडिग’,  ओम बधानी,  हरीष जुयाल कुटज,  ओम प्रकाश सेमवाल,  बीना बेंजवाल,  मदन डुकलाण,  गणेश खुगशाल ‘गणी’ और गढरत्न  नरेन्द्र सिंह नेगी जी द्वारा कविताओं का पाठ किया गया। सभी कवियों ने अपनी अपनी विष्शिट काव्य शैली से जनता को बांधे रखा। कवि सम्मेलन मे जहाँ  गिरीश सुन्दरियाल ने प्रेम गीत से जनता को मुग्द किया वहीं धरर्मेन्द्र नेगी ने व्यंग गजल से अपने चिर परचित अंदाज में वाह वाही लूटी, प्रेम लता ने फौजी भाई को सेवानिवृति के बाद नईं सामाजिक जिम्मेवारी, बलबीर राणा ने अपने सैन्य अंदाज में वीर रस की कविता,  ओम बधानी ने सैन्य परिवार गीत तो हरीष जुयाल कुटज ने अपने हास्य व्यंग ‘मास्टरों कि तन्खा’ से लोगों को खूब हँसाया,  ओम प्रकाश सेमवाल ने पिस्यूं आटू कबतक पीसलौ सामयिकी गीत,  बीना बेंजवाल ने उत्तराखण्ड मातृशक्ति जीवन संघर्ष,  मदन डुकलाण जी ने ‘हथ भर कटेगे अब बेथ भर रयूं चा’ गजल व कविता से सबको रिझाया। श्री गणेश खुगशाल ‘गणी’ जी ने सैनिक के बॉर्डर और सैनिक पत्नी के घर के बॉर्डर पर संघर्ष का सुन्दर कवित्व पाठ किया। अन्त में  नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने बढ़ती उम्र के प्रभाव व प्रेम कविता के साथ अपने गीत से दर्शकों को मुग्द किया। यह क्षेत्र में पहला आयोजन था जब एक सैनिक ने अपनी सेवानिवृति पर साहित्यिक संगोष्ठी करायी।
आयोजन में भारी मात्रा में साहित्यिक व सैन्य परम्परा क्षेत्र के साथ ग्राम सौड़ा के रैबासी व अडिग जी के कुटुम्ब जन मैजूद थे। मुख्यतया साहित्यिक वर्ग से भाषाविद रामाकान्त बेंजवाल जी, रंगकर्मी  कुलानन्द घनशाला,  जगदम्बा चमोला, डा. ईशान पुरोहित,  गिरीश बडौनी,  अनिल नेगी,  नन्दन राणा नवल,  आशीष सुन्दरियाल, दिल्ली से  जबर सिंह कैन्तुरा,  जगमोहन सिंह जगमोरा,  भगवती सुन्दरियाल,  रमेश बडौला,  अरविन्द प्रकृति प्रेमी,  इन्द्रेश प्रसाद पुरोहित आदि सैन्य वर्ग से कैप्टेन उमा दत्त जोशी, कैप्टेन तित्रोक सिंह रावत, कैप्टेन कुंवर सिंह’ वीर चक्रा, कैप्टेन महादेव प्रसाद, कैप्टेन गबर सिंह नेगी, कैप्टेन सत्यपाल सिंह राणा, 14 गढ़वाल से सुबेदार कविन्द्र थपलियाल आदि थे, साथ ही अयोजन में  अनिल कठैत, सुनिल कठैत,  दलीप फर्स्वाण,  कलम सिंह राणा, इन्द्र सिंह बिष्ट, विद्यालय प्रथानाचार्य  राम बाबू विनय आदि गणमान्य लोगों की गरिमामयी मैजूदगी रही।

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