October 18, 2024

धामी सरकार के मूल मंत्र सरलीकरण समाधान और संतुष्टि पर पलीता लगाते उत्तराखंड शासन के अडियल नौकरशाह

The stubborn bureaucrats of Uttarakhand government are sabotaging the basic mantra of Dhami government – simplification, solution and satisfaction.

देहरादून:उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा के नेतृत्व में एक आन लाईन गुगल मिट की गई जिसमें सभी वक्ताओं द्वारा कहा गया कि राज्य कर विभाग उत्तराखंड से लगभग 15 वर्षों से कार्य कर रहे 113 उपनल कर्मचारियों को विभाग द्वारा 1 मार्च 2024 से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था किंतु आतिथि तक भी उनकी बहाली नहीं हो पाई है जबकि पूर्व मैं मुख्यमंत्री द्वारा और विभागीय मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा अधीनस्थ अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि इन बाहर किए गए कर्मचारियों की दोबारा वापसी की जाए तथा किसी की भी सेवा बाधित नहीं की जाय, किंतु उत्तराखंड शासन पर बैठे नौकरशाहों द्वारा केवल सरकार को गुमराह करने के लिए ही बैठक की गई। 113 कर्मचारियों के बहाली की पत्रावली को एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग में घुमाते हुए सिर्फ़ टहलाने की कोशिश की गई, जबकि विभाग शासन को स्वयं कह रहा है कि उनके पास अभी भी सैकड़ो पद रिक्त हैं उसके उपरांत भी 113 कर्मचारियों का कोई समाधान नहीं निकाला गया जो लगभग 15 वर्षों से विभाग में अपनी सेवा दे रहे थे, तदोपरांत आचार संहिता लग जाने के कारण इन कर्मचारियों का मामला ठंडा बस्ते में चला गया।
इसी बीच उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल द्वारा अधिकतर कर्मचारियों को राहत प्रदान करते हुए विभाग द्वारा 29 फरवरी 2024 के टर्मिनेशन ऑर्डर पर स्टे करते हुए दोबारा बहाली के निर्देश दिए गए जिसमें भी लगभग तीन माह व्यतीत हो जाने के बाद भी उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं क्या जा रहा है। सरकारी नौकरशाही सरकार पर और जनता पर हावी होने के कारण न्यायालय में भी सरकार की फजीहत कराने को तैयार हैं। जनता के टैक्स के पैसों से बड़े-बड़े वकील कर इन अल्प वेतन भोगी कर्मचारी के रोजगार पर अड़चन डालने को अब अपनी हनक समझ रहे हैं और उत्तराखंड सरकार के मूल मंत्र सरलीकरण, समाधान और संतुष्टि पर पलीता लगाते हुए नजर आ रहे हैं.. यहां यह भी अवगत करा दें कि उपनल कर्मचारी से संबंधित नियमितीकरण का मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है।उसके उपरांत भी 113 कर्मचारी जो की 15 वर्षों से काम कर रहे थे को उनकी सेवा से हटा दिया गया। संगठन के पदाधिकारी एवं कर्मचारी लगातार सम्बंधित मंत्री, मुख्यमंत्री, व विभागीय अधिकारियों के चक्कर काटते रहें आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ, इन कर्मचारियों के ऊपर स्वयं के साथ अपने बच्चों, माता पिता, परिवार, बच्चों के स्कुल की फीस, दवा, दुध, राशन, किराए के अलावा अन्य भारी आर्थिक संकटों का पहाड़ टूट गया है। राज्य सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों की सस्म्मान बहाली करे अन्यथा प्रदेश के समस्त उपनल कर्मचारी उग्र आन्दोलन करने को मजबूर होंगे जिनकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी विभाग शासन प्रशासन की स्वयं की होगी। बैठक में प्रदेश महामंत्री प्रमोद गुसाईं, उपाध्यक्ष पुरन भट्ट, कोषाध्यक्ष तेजा सिंह बिष्ट, गणेश गोस्वामी, विनोद बिष्ट, मनोज कुमार, श्याम मेवाड़ी, नवीन कापड़ी, मनोज जोशी, मनोज गड़कोटी, संदीप कुमार, अनिल कोटियाल, योगेश भाटिया, नीतिन, आदी मौजूद रहे।

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