एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज ट्रांसकैवल टावर करने वाला देश का पहला मेडिकल काॅलेज बना
SGRR Medical College becomes the first medical college in the country to build Transcaval Tower.
65 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के वरिष्ठजन मरीजों के लिए टीएवीआर तकनीक बेहद उपयोगी।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने दी बधाई।
देहरादून। श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ ट्रांसकैवल टावर करने वाला देश का पहला मेडिकल काॅलेज बना। काबिलेगौर है कि देश भर में किसी मेडिकल काॅलेज में इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज पहला मेडिकल काॅलेज है। जिसमें एम्स, पीजीआई, सीएमसी वैल्लोर मेडिकल काॅलेज भी शामिल हैं।
टावर तकनीक ह्दय रोगियों के उपचार की तकनीकों में उपयोग की जाने वाली विश्व की सबसे अत्याधुनिक तकीनीकों में से एक है। अति गम्भीर ह्दय रोगियों के उपचार में टीएवीआर तकनीक सबसे अधिक विश्वसनीय मानी जाती है। यह जानकारी श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ अजय पंडिता ने दी। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ साहिल महाजन, डाॅ अभिषेक मित्तल व उनकी पूरी टीम को ट्रांसकैवल टीएवीआर तकनीक से किये गए सफल प्रासीजर की बधाई व शुभकामनाएं दीं।
बंशी राम निवासी पिथरोरागढ़ उत्तराखण्ड को लंबे समय से ह्दय रोग सम्बन्धित बीमारी की शिकायत थी। बीमारी की वजह से इन्हें सांस फूलना, चलने में परेशानी, हल्की खांसी, सीने में भारीपन व बैठे बैठे अचानक बेहोशी की शिकायत थी। मेडिकल साइंस में इस बीमारी को एओआरटिक सिनोसिस (महाधमनी में अवरोध की शिकायत) कहा जाता है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ साहिल महाजन ने इनका प्रारम्भिक परीक्षण किया व जॉचें करवाई। जॉचों में एओआरटिक सिनोसिस (महाधमनी में अवरोध की शिकायत) की पुष्टि हुई।
काॅर्डियोलाॅजी विभाग के ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ साहिल महाजन, डाॅ अभिषेक मित्तल व सीटीवीएस के वरिष्ठ ओपन हार्ट सर्जन डाॅ अशोक जयंत ने टीएवीआर तकनीक से उपचार का फैसला लिया। मरीज बंशी राम की भी यही इच्छा थी कि बिना चीरा उनका हार्ट प्रोसीजर किया जाए। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की आधुनिक कैथ लैब में डेढ़ घण्टे तक चले प्रोसीजर में मरीज का सफल उपचार किया गया। सफल प्रोसीजर के बाद मरीज स्वस्थ्य हैं व उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे गई है।
ट्रांसकैवल टावर तकनीक को आप भी समझिए
आमतौर पर ह्दय रोगी का उपचार धमनियों के द्वारा किया जाता है। ट्रांसकैवल तकनीक में ह्दय की बंद धमनियों के बजाय नसों के रास्ते उपचार किया जाता है। इस तकनीक से किया जाने वाला प्रोसीजर एम्स दिल्ली, पीजीआई चण्डीगढ़, सीएमसी वैल्लोर व अन्य प्राईवेट व सरकारी अस्पतालों के राज्यों को पीछे छोडते हुए श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ व श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ट्रांसकैवल टावर प्रोसीजर करने वाला पहला स्थान हासिल कर चुका है।