March 8, 2025

सौख्यम रीयूजेबल पैड्स: सैनिटरी पैड्स का एक बेहतर विकल्प

Saukhyam Reusable Pads: A better alternative to sanitary pads

4 अक्टूबर 2024 को देहरादून, उत्तराखंड के हिम ज्योति स्कूल में सौख्यम रीयूजेबल पैड्स पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का संचालन हिम वैली सोशल फाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती अनीता नौटियाल द्वारा किया गया। इस जागरूकता अभियान में टिकाऊ मासिक धर्म स्वच्छता की आवश्यकता पर जोर दिया गया और कपास व केले के रेशों से बने पुन: उपयोगी पैड्स, जिन्हें सौख्यम रीयूजेबल सैनिटरी पैड्स के रूप में जाना जाता है, के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। साथ ही, पारंपरिक सैनिटरी पैड्स के नकारात्मक प्रभावों पर भी चर्चा की गई।

सौख्यम, माता अमृतानंदमयी मठ की एक पहल है, जिसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों को एक सुरक्षित, पर्यावरण अनुकूल उत्पाद प्रदान करना है, जो प्रदूषण में योगदान नहीं करता। सौख्यम कपड़े के पैड्स केले के रेशों से बने होते हैं और इनमें कोई हानिकारक रसायन नहीं होते, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ये पैड्स जैविक रूप से विघटनीय हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों की रक्षा होती है। इसके अतिरिक्त, इन पैड्स के उपयोग से महिलाओं को आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। ये पुन: उपयोगी पैड्स 4 से 5 वर्षों तक उपयोग किए जा सकते हैं। केले के पौधे, जो फलने के बाद अनुपयोगी हो जाते हैं, उनके रेशों से सौख्यम पैड्स बनाए जाते हैं। ये पैड्स न केवल सुंदर और उपयोगी हैं, बल्कि आज के समय में एक आवश्यकता भी हैं।

इसके विपरीत, डिस्पोजेबल सैनिटरी पैड्स पर्यावरण और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इनमें सेल्यूलोज फाइबर होता है, जो शरीर के लिए सुरक्षित नहीं है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है।

नौटियाल ने बच्चों को यह भी बताया कि सौख्यम को नीति आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है और इसे “वीमेन ट्रांसफार्मिंग इंडिया अवार्ड” से सम्मानित किया गया है। इसे मासिक धर्म स्वच्छता में सर्वश्रेष्ठ सामाजिक पहल के लिए भी पुरस्कार मिला है। उत्तराखंड में हिम वैली सोशल फाउंडेशन सक्रिय रूप से कई स्कूलों और कॉलेजों में सौख्यम जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है, जिससे 4000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका जा रहा है। यह अनुमान लगाया गया है कि 43,750 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल मासिक धर्म कचरे को समाप्त किया गया है।

“उन्नत भारत अभियान” (भारत सरकार की एक पहल) और हिम वैली सोशल फाउंडेशन के माध्यम से, विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और आस-पास के गांवों में इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं, जिससे लोग इन पुन: उपयोगी पैड्स को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इस कार्यशाला में छात्रों और सभी शिक्षकों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। हिम ज्योति स्कूल की प्राचार्य सुश्री रूमा मल्होत्रा,  प्रियंका रंधावा और अन्य स्टाफ सदस्य इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

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